Monday 11 January 2016

साधू संत बनने का अति लाभकारी धंधा !
चमत्कार को नमस्कार करने की आदिम आदत ने हमारी सामूहिक चेतना को सदियों से जकड रखा है। धर्म का सम्बन्ध हम चमत्कार से जोड़ते आये हैं। हमारे देवी-देवता, संत-महात्मा बड़े बड़े चमत्कार करते हैं’ पर्वत उठा लेते हैं, नदियों को सुखा डालते हैं, शून्य में से भभूत और सिक्के निकाल कर लोगों को अचंभित कर देते हैं। इस तरह धार्मिक लोगों ने एक ख़ास किस्म की साजिश के तहत ‘संतों’ और ‘देवताओं’ को आम आदमी से अलग किया हुआ है। उन्हें यह बताया जाता है कि ये कुछ ख़ास किस्म के लोग थे, और आप कुछ भी कर लें, उनके गुण आपमें नहीं आ सकते। आप बस इनकी आराधना करें, इनपर भरोसा रखें, और भक्तों वाली औकात में रहें।
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किसी-किसी धर्म में खुद को ही संत घोषित किया जा सकता है जैसा कि सनातन धर्म में संभव है। आप स्वयंभू संत हो सकते हैं। कुछ चेले-अनुयायियों को बटोरिये और किसी ‘बड़े संत’ से अपने संत होने का सर्टिफिकेट ले लीजिये, अपने नाम के आगे कुछ सौ, कुछ हजार की संख्या जोड़ कर कोई विचित्र सा नाम रख लीजिये और फिर संत कहे जाने लगिए।

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