Friday 29 January 2016

कपोलकल्पित शनि देव का कपोलकल्पित ड़र !
हमारी गली में हर शनिवार को काले वस्त्र, काला पटका और हाथ में बाल्टी लटकाकर जिस में तथाकथित शनिदेवता की मूर्ति होती है, भिखारी "अधिकृत " प्रतिनिधि बन कर आता है और मेरे को छोड़ सभी लोग उसे पैसे और तेल देकर सुख शान्ति का आशीर्वाद लेते हैं. 
हमारे समाज में आजकल शनि को खुश करने की जो कवायद चल रही है उस पर अब हंसी नहीं आती। न ही कोफ्त होती है, सिर्फ तरस आता है कि लोग क्या इतने डरे हुए हैं? समाज में क्या इतनी हार है, इतनी बेबसी है? ये डर मानसिक और चारित्रिक कमजोरी की निशानी है, इससे बाहर सुकून है। सिर्फ़ कुछ दिनों के लिए अंगूठियां निकाल दो, गंडे-तावीज़ फेंक दो, जप-मंत्र छोड़ो और कुछ खेलना शुरू करो, कोई शौक पाल लो। महीने दो महीने के बाद खुद ही फैसला कर लेना कि जब तेल चढ़ा रहा था मन कितना सहमा-सहमा रहता था। एक बार धर्म और भगवान् के नाम पर जो डर पाला हुआ है उससे मुक्ति ले कर, खुले में जी कर तो देखो!

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