Sunday 14 October 2018

BURGEONING GURUS IN 'GOD' MARKET ;
21ST CENTURY GURUS;THE OCHRE-ROBED SOCIAL PARASITES !
Despite the influences of the scientific progress and the consequent changed values of life,outlook of the majority segment of society remains by and large the same.It is beyond any logic or comprehension,how vast majority of highly educated beneficiaries of modern science and technology continue to believe in supernatural powers supposedly embodied in Gurus ,who are peddlers of 21st century spiritualism ?It is ironical that gullible and credulous followers still believe that their all problems and miseries are the outcome of their wrong doings in an 'earlier life' and real happiness does not lie in worldly matters but in spiritualism and meditation.This personality disorder and inferiority complex has been greatly exploited since time immemorial by the unscrupulous masquerading in religious garbs. Majority segment of superstitious people of India Whose superstitious beliefs border on ludicrousness and absurdity are being exploited to the hilt in a variety of ways by a horde of Gurus,who publicize themselves as sole authorised middlemen of 'god'.These Godmen are manifesting themselves physically in myriad hideous and funny ways.If they are lined up an amusing comical spectacle of people taking part in funny fancy dress competition will have into view.Some of them have matted locks covering their scalps and beards flowing up to their knees,some covering their bodies with flowing pink or black gowns,some clad only in loincloths [some of them prefer natural birth suit] and so forth. Virtually mesmerized by spacious sophistry of modern day Gurus,credulous believers surrender almost in totality to self styled godmen, on the presumption that being authorized agents of 'god',they are capable of warding off their respective sorrows and pain .
Some friends may say that there are genuine Gurus too. Any way the job of verifying the genuineness of the Gurus is tremendous one. Even Swami Dayanand Saraswati wrote in this aspect that he was disillusioned many times before he was able to find his Guru Virjanand.
The 'holy' books of the Hindus,the Shastras and the Puranas-all constitute towards the creation,maintenance and fattening of the tribe of the Gurus at the expense of the common man who toils incessantly and pours his hard earned money into the laps of these social parasites,The writers and compilers of these scriptures themselves belonged to the class of social parasites and they saw to it that the class interests of their class was safeguarded for generations to come and accordingly hypothesis of spiritualism,salvation and mukti was established .
It will be very relevant to quote here Brihaspati,Guru of ancient rationalism :-
na swargho,na apvargho va,na aiv aatma paarlokika;na aiv varan ashram aadinam kriyashch phaldayika;agnihotram,trayo vedasya tri dhandam,bhasam ghuntham;budhi poorsh hinanam jeevika dhatr nirmita [BRAHASPAT SUTRA]. Exposition:-There is no heaven,no final liberation, nor any soul in the other world,nor do the faith of caste prejudice produce any genuine effect.The agnihotra [the ceremony of offering oblations to the consecrated fire],the three Vedas,the ascetics 3 staves and smearing one's self with ashes-all such rituals have been established as livelihood by ancestors of all those who are destitute of knowledge and manliness.

Wednesday 10 October 2018

21वीं शताब्दी में प्राचीन अदभुत विज्ञान की प्रासंगिकता !
जब से दीनानाथ बत्रा और बाबा रामदेव विश्व स्तर पर, प्राचीन भारतीय विज्ञान के ब्रेंड़ एम्बेस्ड़र बने हैं -पूरे विश्व में भारतीय विज्ञान की गौरवशाली परम्पराओं और ठोस असाधारण उपलब्धियों की चर्चा दसों दिशाओं में गूंज रही है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (world health organisation )ने इस चर्चा का संज्ञान लेते हुए ,डा. रिचर्ड़सन के नेतृत्व में पांच शीर्षस्थ वैज्ञानिकों का प्रतिनिधि मंडल भारत भेजा है जो 111 दिनों में निम्न विषयों का गहन अध्ययन करेगा :-
# कलश (घड़े) से महाॠषि अगस्त्य और वसिष्ठ का जन्म. (संदर्भ ऋग्वेद 7/33/11-13).
# कार्तिकेय का गंगा नदी से जन्म, (संदर्भ वाल रामायण 1/37/12,14-15,17-18,21-23).
# राजा सगर की पत्नी सुमति द्वारा 60,000 पुत्रों का जन्म. (संदर्भ वाल्मीकि रामायण 1/38/17-18).
# मनु की नाक से बच्चे का जन्म.(संदर्भ विष्णु पुराण 4/2/11).
# गोद में गिरे वीर्य से असंख्य ब्रह्मचारियों का जन्म. (संदर्भ, शिवपुराण, ज्ञानसंहिता 18).
# गिरे वीर्य से हज़ार वर्ष बाद बच्चे का जन्म. (संदर्भ, ब्रह्मावैवर्तपुराण, ब्रह्मखण्ड, 4/23-24).
# लकड़ी से पुत्र का जन्म. (संदर्भ, देवीभागवतपुराण, 1/14/4-8).
# दोने से द्रोणाचार्य का जन्म. (संदर्भ, महाभारत, आदिपर्व, 129/33-38).
# सरकंड़े से कृपाचार्य का जन्म. (संदर्भ, महाभारत, आदिपर्व 129/6-20).
# पुरुष की कोख से पुत्र का जन्म. (संदर्भ, भागवतपुराण, 9/6/26-31).
# जंघाओं और भुजाओं से बच्चों का जन्म. (संदर्भ, भागवतपुराण, 4/14/43-45,4/15/1-5).
# गौमाता से मानव शिशु का जन्म. (संदर्भ, पद्मपुराण, उत्तराखंड, 4/62-65).
# मांस के लोथड़े से 101बच्चों का जन्म. (महाभारत, आदिपर्व, 114/9-13,18-22,40-41).
# अग्नि से दो बच्चों का जन्म. (संदर्भ, महाभारत, आदिपर्व, 166/39,44).
# मछली के पेट से मानव का जन्म. (संदर्भ, महाभारत, 63/64,49-50,59-61,67-68).
# खीर से गर्भवती होकर दशरथ की पत्नियों द्वारा चार पुत्रों का जन्म. (संदर्भ, वाल्मीकि रामायण, बालकांड़, 16/11/15-20,30).
* विश्वस्त सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि गहन अध्ययन के बाद पांच में से चार वैज्ञानिक मानसिक सन्तुलन खो बैठे हैं और वह आगरा के मेंटल हास्पिटल में चिकित्सा लाभ प्राप्त कर रहे हैं.
व्यंग्य यथार्थ के आसपास। 🤣😂🤣😃
मुझे लगा जैसे मेरा मन मस्तिष्क शून्य हो गया हो, सोच समझ कर फेस बुक पर कुछ कहने की अभिव्यक्ति पर जैसे अंकुश लग गया हो। फेसबुक पर नियमित रूप से बतियाना किसी जटिल संक्रामक रोग से कम नहीं है जो व्यवहार और चिंतन में असाध्य रोग है। परिणामस्वरूप हम कुतर्क पर आधारित टिप्पणियों, तीखे कटाक्ष और प्रजातांत्रिक अलंकारों (♧◇♡♤) के अभ्यस्त हो गये हैं। विचारों के अभाव में यही सुझाया कि चलो आज सभी असहमतियों विवादों से परे कुछ निर्लिप्त लिखा जाये और हम ने झट से फेसबुक पर चेप दिया -#आखिर_मुर्गी_ने_सडक_पार_कर_ली ।मेरी खुशी का कोई ठिकाना न था क्योंकि 15 मिनट में 70 लोगों ने बिना किसी अलंकार के इस असाधारण अभिव्यक्ति को लईक कर लिया। हम कब तक खैर मनाते? तभी एक मोदी भक्त का कमेन्ट आया- आप को मतिभ्रम है यह सड़क विकास पुरूष की देन है। तभी किसी देशद्रोही का कमेन्ट आया- मोदी भक्त यह क्यों नहीं समझते कि मोदी निर्मित सडकों पर केवल मुर्गी ही क्रास कर सकती है। मोदी भक्त ने तत्काल प्रतिक्रिया व्यक्त की- पहले की तुलना में यह मोदी जी की ही देन है कि आज चूहा मुर्गी और गाय माता सुगमता से सड़क पार कर लेती है। व्यस्त सड़कों पर गाय माता बिना किसी वेतन के ट्रेफिक कंट्रोल करती नज़र आती है। मैं ने लिखना चाहा कि मेरी यह पोस्ट मुर्गी के असाधारण साहस बारे है और गैर राजनीतिक है परन्तु तभी मेरी नींद खुल गई और मै स्वप्न लोक से यथार्थ लोक में आ गया।

Monday 8 October 2018

नमस्ते, मैं गाँधी हूँ ;
जब गांधीजी मूर्ति से प्रकट हुए और आज के नेता से बात चीत की !
गाँधी :नमस्ते, मैं बापू हूँ !मैं यह जानने आया हूँ कि क्या आप लोग मेरा जन्मदिन मेरी विचाधारा के अनुसार एवं अनुरूप मना रहे हैं ?
आज का नेता :कौन बापू  ,किसका बापू ? 
गाँधी :मोहनदास करमचंद गाँधी ,राष्ट्रपिता !
आज का नेता :मोहनदास करमचंद ???वह तो मोहनलाल करमवीर ...नहीं ..मोहनचंद करम दास  ...?
गाँधी :नहीं ,वह मैं नहीं हूँ !
आज का नेता :आप मूर्ति से कैसे प्रकट हुए ?आप तो मूर्ति थे ?
गाँधी :नहीं ,मैं केवल मूर्ति नहीं हूँ , मैं कभी मानव रूप में था और अहिंसा जैसे मानवीय मूल्यों का प्रचारक था !क्या आप निजी और सामाजिक जीवन में अहिंसा पर विश्वास करते हैं ?
आज का नेता :शत प्रतिशत ,बापू !मैं उन सभी के विरुद्ध सशक्त कारवाही करता हूँ जो आप की विचारधारा का विरोध करते हैं !मैं उनकी पिटाई करता हूँ ,उन्हें गिरफ्तार करता हूँ ,उनपर पुलिस की सहायता से लाठीचार्ज तथा आंसूगैस का प्रयोग कराता हूँ !
गाँधी :मेरी दूसरी शिक्षा थी सत्य के लिए संघर्ष करना ,क्या आप सत्य जानने का प्रयास करते हैं ?
आज का नेता :सत्य ? अरे बापूजी ,सत्य के सम्बन्ध मैं आप का पूरा समर्थन करता हूँ ! मैं सत्य के प्रचार प्रसार के लिए सभी माध्यम का प्रयोग करता हूँ ,फेक न्यूज़ ,प्रचार -प्रसार, परिवर्तित [morphed] वीडियो ,फेक फोटो ...मैं सत्य के प्रचार प्रसार के लिए सभी माध्यम का प्रयोग करता हूँ !
गाँधी :सादा जीवन गुजारने बारे आप का क्या विचार है ?मेरी मृत्यु के समय मेरी सम्पति केवल ऐनक ,स्लीपर ,घडी,कुछ बर्तन तथा कुछ अन्य छोटी चीज़ों तक ही सीमित थी !
आज का नेता :बापूजी मैं भी सादा जीवन गुजारने पर विश्वास रखता हूँ !VIP श्रेणी का होने के कारण जब जब मैं यात्रा करता हूँ मुझे एअरपोर्ट पर  किसी प्रकार की सिक्यूरिटी समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है ,क्योंकि ब्लैक कमांडो आम आदमी को मेरे पास फटकने नहीं देते ! मेरा जीवन सादगी की मिसाल है !
गाँधी :निराशाजनक भाव !मेरे खादी प्रयोग प्रचार प्रसार बारे आप का क्या विचार है ?क्या आप इसका अनुकरण करते हैं ?
आज का नेता : मैं खादी का पक्का अनुयायी हूँ !विभिन्न रंगों में खादी के बहुत सारे वस्त्र हैं मेरे पास -जैकेट ,शर्ट्स,कुर्ता वह भी विभिन्न स्टाइल और साइज़ में !
गाँधी :टोकते हुए ,रुको रुको ,मेरी जिज्ञासा यह न थी !मैंने गरीबों के लिए अपना जीवन समर्पित किया ! क्या आप ...?
आज का नेता : बापू ,मैं लगातार गरीबों की सेवा कर रहा हूँ और उसी के परिणामस्वरूप गरीब भी अमीर हो रहे और मैं भी अमीर हो रहा हूँ ! मेरा अमीर होना किसी चमत्कार से कम नहीं है !
गाँधी :निराशाजनक स्वर ! मेरा मूर्ती बने रहना ही ठीक है !
आज का नेता :उचित विचार है बापूजी !आप प्रतीकात्मक रूप से मूर्ति में ही बने रहें यही उचित रहेगा !और फिर यदि आप ने ऐसे प्रश्न पुनः पूछने का प्रयास किया तो मैं आप को देशद्रोही अर्बन नक्सलवादी घोषित कर दूंगा !
[टाइम्स ऑफ़ इंडिया में प्रकाशित ,सारिका घोष के व्यंग्यात्मक आलेख का हिंदी रूपांतरण ]

Saturday 6 October 2018

हिटलर की परिभाषा लोकतंत्र के सन्दर्भ में  !
हिटलर एक बार अपने साथ संसद में एक मुर्गा लेकर आए और सबके सामने एक-एक करके उसके पंख नोंचने लगे। मुर्गा दर्द से तिलमिलाता रहा। इस पर भी हिटलर ने एक-एक करके उसके सारे पंख नोंच दिये और फिर मुर्गे को फर्श पर फेंक दिया।
तब हिटलर ने अपनी जेब में से कुछ दाने निकालकर मुर्गे की तरफ फेंक दिए और चलने लगा। मुर्गा दाने ख़ाता हुआ हिटलर के पीछे चलने लगा।
हिटलर बराबर दाने फेंकता गया और मुर्गा बराबर दाने मुँह में डालता हुआ उसके पीछे चलता रहा। आख़िरकार वह मुर्गा हिटलर के पैरों में आ खड़ा हुआ।
हिटलर ने स्पीकर की तरफ देखा और एक तारीखी जुमला बोला, `लोकतांत्रिक देशों की जनता इस मुर्गे की तरह होती है। उसके हुकुमत और हुक्मरान जनता का पहले तो सब कुछ लूटकर उसे अपाहिज कर देते है, और बाद में उन्हें थोड़ी सी खुराक दे-देकर उनका मसीहा बन जाते हैं।[मीडिया].