Thursday 28 September 2017

भाजपा सर्जीकल सर्जीकल स्ट्राइक पर सेना की बहादुरी का श्रेय ढोल बजा बजाकर खुद और आर एस एस को दे रही थी और पूरे देश में सर्जीकल स्ट्राइक का खुद श्रेय लेते हुए अपने हॉर्डिंग तक लगवा रही थी इस नोटबन्दी के बाद देश में मचे हाहाकार और नोटबन्दी के दौरान बैंकों की लाइन में लगकर मौत के आगोश में समाने वाले बेगुनाह लोगों का पाप भी अपने सर लेने का साहस दिखाए इसके आलावा जिस प्रकार बिना तैयारी के ये तुगलकी फरमान थोपा गया था उसकी तमाम कमियां निकल कर बाहर आई थीं जिसमे बैंकों की संलिप्तता के साथ अन्य लोग भी इसमें लिप्त पाये गए ये भी किसी से छिपा नहीं हाँ ये बात अलग है सरकार ये कहकर खुद ही अपनी पीठ ठोक ले कि जिन लोगों ने बैंकों की मदद से अपने काले धन को सफेद किया है वो पकड़े गए या फिर पकड़े जायेंगे क्या सरकार ये बताएगी देश की जनता को कि  कितना काला धन अब तक पकड़ा गया
जब लगभग (कुछ परसेंट को छोड़कर) सारा रुपया बैंकों में पहुंच गया तो काला धन कहाँ गया । अब ये भी शायद सरकार को पता नहीं तो फिर क्या पता है सरकार को।नोटबन्दी के दौरान जहाँ एक आम आदमी अपने एक एक रूपये के लिए बैंकों की लाइन में मारा मारा फिर रहा था  धक्के खा रहा था अपनी जान गंवा रहा था  नए नोटों की लाखों करोड़ों की बरामदगी सरकार की कार्यशैली और विश्वसनीयता पर एक बहुत बड़ा प्रश्नचिन्ह भी  लगा रही थी

Saturday 23 September 2017

व्यंग्य यथार्थ के आसपास !
श्री वेंकेया नायडू कमाल के संस्कारी तथा शुद्ध नागपुरी हिन्दुत्व व्यवहार एवं चिंतन के असाधारण प्रतीक हैं .भगवा परिवार के हाई कमांड ने उन्हें यूं ही उप राष्ट्रपति के पद पर शोभित नहीं किया . उनका समर्पण भाव तथा उनकी आस्था देखते ही बनती है .कुछ समय पहले जहाँ उन्होंने मोदीजी को देशवासियों के लिए ईश्वर का वरदान परिभाषित किया वहीं उन्होंने असाधारण राजनीतिक अनुसन्धान देशवासियों के सामने प्रस्तुत किया कि देवतुल्य मोदीजी अपने नाम के अनुरूप "प्रगतिशील भारत के निर्माता हैं [ Modi = maker of developed India] . अपनी परंपरागत सोच के अनुरूप ही उनका नवीनतम प्रवचन भक्तों की दिव्य संतुष्टि और आत्मीय प्रसन्ता का कारण बना है . वाह क्या बात है. जो प्रवचन राष्ट्र गुरु परम आदरणीय मोहन भाग्वत जी न दे सके वह प्रवचन नायडू जी ने दे डाला :-
* देवी दुर्गा प्राचीन भारत के  डिफेन्स मंत्री के पद पर शोभित थी !
* देवी लक्ष्मी प्राचीन भारत के फाइनेंस मंत्री के पद पर शोभित थी !
* देवी सरस्वती प्राचीन भारत के एजुकेशन मंत्री के पद पर शोभित थी !
इस प्रवचन के माध्यम से अब देशवासियों को पहली बार समझने को मिला कि किस आधार पर वर्ष २०१४ में श्रीमती स्मृति ईरानी को एजुकेशन मंत्री का दायित्व दिया गया था और अब किस आधार पर श्रीमती निर्मला सीथारमण को डिफेन्स मंत्री का दायित्व दिया गया .इस अनुसन्धान के आधार पर यह भी स्पष्ट हो जाता है कि वास्तव में माननीय अरुण जेटलीजी तथा प्रकाश जावेडकर जी क्रमशः देवी लक्ष्मी तथा देवी सरस्वती के प्रतीक हैं .इसके साथ साथ नए भारत का नया इतिहास निर्माण करने की दिशा में कपोलकल्पित मिथ को ठोस इतिहास के रूप में प्रस्तुतीकरण करने का नया आयाम बना !
#निर्माणाधीन_हिन्दू_राष्ट्र  !

Friday 15 September 2017

कुछ वैज्ञानिकों का व्यवहार अवैज्ञानिक क्यों?

 
 

आधुनिक काल को हम वैज्ञानिक युग की संज्ञा देते हैं। विज्ञान ने मानव के सामर्थ्य एवं सीमाओं का विस्तार किया है। विज्ञान और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के बीच गहरा संबंध होता है। आज अनगिनत उपकरण व डिवाइस हमारे दैनिक जीवन के अंग बन चुके हैं। लेकिन हमारे देश और समाज में एक अजीब सा विरोधाभास दिखाई देता है। एक तरफ तो हम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में होने वाली खोजों का भरपूर लाभ उठा रहे हैं। मगर दूसरी तरफ कुरीतियों, मिथकों, रूढ़ियों, अंधविश्वासों एवं पाखंडों ने भी हमारे जीवन और समाज में जगह बनाए हुए हैं। हमारे समाज की शिक्षित व अशिक्षित दोनों ही वर्गों की बहुसंख्य आबादी निर्मूल एवं रूढ़िगत मान्यताओं की कट्टर समर्थक है। आज का प्रत्येक शिक्षित मनुष्य वैज्ञानिक खोजों को जानना, समझना चाहता है। वह प्रतिदिन टीवी, समाचार पत्रों एवं जनसंचार के अन्य माध्यमों से नई खबरों को जानने का प्रयास करता है। तो दूसरी तरफ यही शिक्षित लोग कुरीतियों, मिथकों, रूढ़ियों, अंधविश्वासों एवं पाखंडों के भी शिकार बन जाते हैं।
वैश्वीकरण के प्रबल समर्थक और उससे सर्वाधिक लाभ अर्जित करने वाले लोग ही भारतीय संस्कृति की रक्षा के नाम पर आज आक्रमक तरीके से यह विचार सामने लाने की खूब कोशिश कर रहे हैं कि प्राचीन भारत आधुनिक काल से अधिक वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी सम्पन्न था। आज वैज्ञानिक दृष्टिकोण, तर्कशीलता, धर्मनिरपेक्षता, मानवता और समाजवाद की बजाय अवैज्ञानिकता, अंधश्रद्धा, अंधविश्वास और असहिष्णुता को बढ़ावा दिया जा रहा है। शिक्षित लोगों से लेकर अशिक्षित लोगों तक अंधविश्वासों और पाखंडों के समर्थक हैं, यहाँ तक हमारे देश के कई वैज्ञानिक और बुद्धिजीवी भी इसके अपवाद नहीं हैं ; जो चकित करता है।

Thursday 14 September 2017

चरमपंथी साम्प्रदायिकवाद की घोर आलोचक के रूप में विख्यात बेंगलुरू की रहने वाली पत्रकार गौरी लंकेश की जघन्य हत्या ने एक बार फिर इस बात पर फोकस बना दिया है कि विभाजन और असहिष्णुता की राजनीति के विरुद्ध आवाज उठाने वालों को लक्ष्य बनाकर हमले किए जाते हैं। 

नरेन्द्र दाभोलकर, गोबिन्द पनसारे तथा एम.एम. कालबुर्गी और अब गौरी लंकेश सहित पत्रकारों, विचारिकों तथा एक्टिविस्टों की हत्याओं का जैसे हाल ही में सिलसिला चल निकला है वह एक निश्चित ढर्रे का हिस्सा है। उक्त सभी लोग तर्कवादी होने के साथ-साथ कट्टरवादी हिन्दुत्व के आलोचक थे और इन सभी की हत्याओं का तरीका एक जैसा है। महत्वपूर्ण बात है कि इनमें से किसी ने भी ऐसी बातें नहीं लिखी थीं जो संविधान द्वारा प्रदत्त अभिव्यक्ति के अधिकार के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन करती हों। सितम की बात यह है कि बेशक सभी हत्याओं में हमले का तरीका एक जैसा है तो भी पुलिस किसी अपराधी को न तो काबू कर सकी है और न ही किसी संदिग्ध की पहचान कर सकी है। 

Tuesday 5 September 2017

Blue whale: Craze for sadistic suicidal game among children !
ब्ल्यू वेल : घिनौना आत्म घाती खेल !
गूगल ट्रैंड्स की हालिया रिपोर्ट के अनुसार ग्लोबल रैंकिंग में जानलेवा गेम ‘ब्ल्यू व्हेल चैलेंज’ के बारे में सबसे ज्यादा सर्च करने वाली सूची में भारत तीसरे स्थान पर है। देश में इस चैलेंज को सर्च करने वाले टॉप 30 शहरों की सूची में गत 12 महीनों के दौरान कोलकाता दुनिया भर में टॉप पर था यानी कोलकाता में इस जानलेवा गेम को सबसे ज्यादा सर्च किया गया।
यह खतरनाक तरह के चैलेंज देने वाली गेम है। इस खेल में अलग-अलग काम करने को कहा जाता है। जैसे कोई डरावनी फिल्म देखना, कोई जोखिम भरा काम करना। हर चैलेंज को पूरा करने पर हाथ पर एक कट करने के लिए कहा जाता है। चैलेंज पूरा होते-होते आखिर तक हाथ पर व्हेल की आकृति बनती है। इस खेल का आखिरी टास्क आत्महत्या है। ‘द ब्ल्यू व्हेल गेम’ को रूस के 25 वर्षीय युवक फिलिप बुडेकिन ने 2013 में बनाया था। रूस में इस गेम में सुसाइड का पहला केस 2015 में सामने आया था। इसके बाद फिलिप को जेल की सजा हो गई।
हालांकि, फिलिप दावा करता है कि यह गेम समाज की सफाई के लिए है क्योंकि खुदकुशी करने वाले ‘बायोलॉजिकल वेस्ट’ होते हैं। इसके अलावा हाल ही में रूस में ही एक 17 वर्षीय किशोरी को भी गिरफ्तार किया गया है जो इस गेम की एडमिनिस्ट्रेटर बताई जाती है। परंतु चिंता की बात यह है कि कुंठा, तनाव, अवसाद से ग्रस्त बच्चे इस गेम की ओर आकर्षित होते चले जा रहे हैं।

Saturday 2 September 2017

पिछले महीने दिल्ली में जब तीन सीवर सफाई कर्मचारियों की मौत सीवर में काम करते हुए दम घुटने से हुई तो सारे देश का ध्यान इन लोगों की तरफ गया लेकिन सिर्फ एक-दो दिन के लिये ही और बाद में ये लोग भुला दिये गये । ये लोग एक दिन के लिये ही अखबारों की सुर्खियों में जगह बना सके लेकिन दूसरे दिन ही गायव हो गये । वैसे तो टीवी मीडिया बेमतलब की बातों को लेकर सारा दिन चिल्लपौं करता रहता है और ये चिल्लाहट यहाँ तक बढ़ जाती है कि लोग तंग आकर चैनल बदलने के लिये मजबूर हो जाते हैं या फिर टीवी ही बन्द कर देते हैं लेकिन इस खबर को टीवी मीडिया ने तीन लोगों की अकस्मात मौत की खबर की तरह दिखा कर जाने दिया । मीडिया ने ये दिखाने की कोशिश नहीं की कि ये लोग प्रशासनिक और सामाजिक लापरवाही के कारण असमय मौत के मुंह में चले गये हैं । सिर्फ एनडीटीवी के रविश कुमार ने अपने प्राईम टाईम कार्यक्रम में दो दिनों तक इन लोगों की समस्या को विस्तार से देश के सामने रखा । ये भी एक विडम्बना ही है कि सिर्फ एक महीने में दिल्ली के अन्दर सीवर कर्मियों की मौत की चार घटनायें हुई और हम तक केवल एक ही घटना की रिपोर्टिंग पहुँच पाई क्योंकि अन्य तीन घटनाओं पर किसी ने ज्यादा ध्यान ही नहीं दिया । ये घटनायें कब हुई किसी को पता भी नहीं चला, वैसे इसमें कोई हैरानी वाली बात है भी नहीं क्योंकि देश में सीवर कर्मियों के सीवर में दम घुटने से होने वाले मौतों की खबर आती ही रहती है और ये रोज कहीं न कहीं होती रहती है, इन पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत कोई नहीं समझता है । मेरा स्पष्ट रूप से मानना है कि किसी लेख या कार्यक्रम द्वारा इन लोगों की समस्या को सम्पूर्ण रूप में समझा नहीं जा सकता है । लेकिन सच यह भी है कि अगर मीडिया इन लोगों की समस्याओं को सरकार तक पहुँचाये तो इन लोगों के साथ हो रही दुर्घटनाओं से सरकार की नींद खुल सके और सरकार इन दुर्घटनाओं को रोकने के लिये कोई कार्यक्रम लेकर आये ।
The government has not had a successful 10 days. Last week, its legal strategy to deny fundamental rights to Indian citizens fell apart after a nine-judge Supreme Court Constitution bench unanimously upheld a right to privacy. The next day a Bharatiya Janata Party government in Haryana was unable to maintain law and order after the conviction of a religious leader for rape, leading to widespread violence despite knowing it was likely in advance. On Wednesday, a report from the Reserve Bank of Indiaconfirmed what had long been suspected: That demonetisation has been an economic failure, with very few benefits at a steep cost. And on Thursday, it emerged that the economy is also on shaky territory, with Gross Domestic Product growth down to 5.7% in the first quarter of 2017