Thursday 19 October 2017

The biggest deal actually is how and why such highly successful start up was closed abruptly in Oct 2016. A goddess of wealth must have descended in dream of promoters and gave them prior information that the wealth in form of currency notes of value of Rs 500 and 1,000 are going to be scrapped in months time. Put all money in bank and pay the taxes forthwith.

Wednesday 18 October 2017

बहुचर्चित दीवाली उत्सव:कुछ तथ्य !
आज कार्तिक मास की अमावस्या के दिन नवान्नेष्टि के स्थान पर दीवाली का त्योहार मानने की परम्परा बन गई है। पहले आज के दिन यदि यज्ञ में चावल को पका कर अग्नि में स्वाहा किया जाता था अब बेशुमार पटाखे, बिजली के बल्ब,दीपक, मोमबत्तियाँ आदि जलाई जाती हैं।न दोनों में कोई समानता है और न ही किसी को नवान्नेष्टि का नाम याद है। 
आज दीवाली की शुरुआत के बारे यही कहा जाता है कि जिस दिन मिथात्मक काव्य रामायण के पात्र राम लक्ष्मण हनुमान आदि रावण का वध करके अयोध्या लौटे, उस दिन अयोध्यावासियों ने उनके स्वागत में दीपमालाऐं जलाई लेकिन यह बात शत प्रतिशत अतिशयोक्तिपूर्ण कपोल कल्पित और अविश्वसनीय है। वाल्मीकि रामायण के युद्धकांड के सर्ग 127 में राम के स्वागत के लिए किए गए आयोजन का वर्णन मिलता है उस में दीपक शब्द का एक बार भी उल्लेख नहीं हुआ है।राम आदि दिन के समय अयोध्या पहुंचे थे अतः दिन को दीपक जलाए जाने का कोई औचित्य न था।दूसरे रामायण में राम के स्वागत के संदर्भ में रात्रि को आयोजित किए गए किसी आयोजन का उल्लेख नहीं मिलता है।तीसरे रामायण में रावण वध के तत्काल बाद राम के अयोध्या वापस आने का उल्लेख है। ज्योतिष गणना के अनुसार रावण वध फाल्गुन या वैशाख में हुआ था।हिन्दू धर्म के विद्वानों ने रावण वध की तिथि वैशाख कृष्ण चतुर्दशी निश्चित की है। अतः कार्तिक के महीने में राम के अयोध्या पहुचने की बात और इस को दीवाली के साथ जोड़ने का रामायण के कथानक से कोई सम्बन्ध नहीं बनता।
परजीवी ब्राह्मणों ने अपने वंशजों के लिए लक्ष्मी देवी की कल्पना कर डाली जिस के वाहन को उल्लू बताया गया।पुराणों से पहले के मिथात्मक साहित्य में इस देवी का कोई उल्लेख नहीं मिलता है। स्वार्थपूर्ति के लिए यह प्रचार किया गया कि लक्ष्मी देवी की कृपा प्राप्त करने के लिए उस की पूजा अत्यावश्यक है तथा इस की कृपा से ही धन की प्राप्ति होती है और यह पूजा ब्राह्मणों के सौजन्य से ही सम्पन्न हो सकती है अन्यथा तबाही सुनिश्चित है।सामाजिक त्रासदी देखिए धन की देवी का पूजन यहाँ इस देश में होता है परन्तु आर्थिक वैभव और आर्थिक सम्पन्नता म्लेच्छों के देशों में विराजमान है।
व्यंग्य यथार्थ के आस पास !
राष्ट्रवादी संस्कारी सरकार  राष्ट्रमाता गायजी की विशालतम मूर्ति स्थापित करेगी !
नारदमुनि न्यूज़ सर्विस ने अति विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से यह समाचार प्रसारित किया है कि सरकार पावन भूमि  इन्द्रप्रस्थ राज्य  के पवनपुत्र नगर में गायमाता की विशालतम मूर्ति स्थापित करेगी . वास्तुशास्त्रियों की एक टीम इस प्रोजेक्ट पर दिन रात काम कर रही है. टीम के प्रधान वास्तुशिल्पी महर्षि विश्वकर्मा ने आकाशवाणी के माध्यम से प्रोजेक्ट का महिमामंडन करते हुए स्पष्ट किया है कि यह मूर्ति ४०००  मीटर ऊँची तथा १६,००० मीटर चौड़ी होगी .इस दिव्य मूर्ति के निर्माण में प्रयोग होनेवाले fiberglass का शुद्धिकरण गौमूत्र तथा पवित्र गंगाजल से किया जायेगा .हिमालय पर्वत को मात देने वाली यह मूर्ति न केवल चंद्रलोक से नज़र आयेगी बल्कि अमेरिका जर्मनी फ्रांस रूस तथा इंग्लैंड से भी नज़र आयेगी .जहाँ इस मूर्ति के सींग में इटली के मार्बल का प्रयोग होगा वहीं इस की पूँछ को ५६ डिग्री के माप से निर्माण होगा जिस के सौजन्य से चारोंओर गौमूत्र विसर्जन का प्रबंध होगा .यह विसर्जन प्रति सेकंड ८०० लीटर ५०० मीटर की ऊँचाई तक होगा जिस की सहायता से ५ किलोमीटर तक भक्तजन दिव्य प्रसाद का ग्रहण करेंगे .रात्रिकालीन अन्तराल में यह मूर्ति तीन प्रकार के भगवा रंगों में चमकती नज़र आयेगी .जानकार वास्तुशास्त्रियों का मानना है विश्वस्तर पर इस मूर्ति का गौरव तथा महिमामंडन ताजमहल की तुलना में १०० प्रतिशत अधिक होगा .
फुटपाथ का दर्द !
अपने लिए तो दुनिया जीती है
वाइन के साथ रम भी पीती है
गरीबों के लिए कोई कुछ करता नहीं
देश में आज भी फटेहाल और बदहाल जिंदगी रोती है
जिनकी सुबह नहीं होती
जिनकी शाम नहीं होती
जिनकी होली नहीं होती
जिनकी दीवाली नहीं होती
कैसे जीती है ये जिंदगी
जो हर रात रोती है
और आज भी फुटपाथ पे सोती है ![संजय शर्मा].

Saturday 14 October 2017

दिव्य असाधारण लाभदायक संजीवनी :धर्म प्रेरित बाबागिरी !
दो बेरोजगार नवजवान बबलू तथा बंटू का गंभीर वार्तालाप भविष्य के संदर्भ में :-
बबलू =कोई हमें जॉब देने को तयार नहीं है .सब हमें ठोकर मार रहे हैं !
बंटू=मैं जानता हूँ अब हमें क्या करना है . हम ड्रग्स का धंधा करेंगे !
बबलू =ड्रग्स का धंधा पर यह तो गैरकानूनी काम है !
बंटू =चिंता मत करो , मैं जिस ड्रग की बात कर रहा हूँ वह गैरकानूनी नहीं है बल्कि क़ानूनी भी है और असाधारण रूप से अत्यंत लाभकारी !
बबलू =क़ानूनी -असाधारण लाभदायक ? हेरोइन का धंधा कब से इस श्रेणी में आगया ?
बंटू =अरे दोस्त ,मैं हेरोइन जैसी ड्रग की बात नहीं कर रहा हूँ !
बबलू =तो क्या कोकीन या अफीम का धंधा करने का इरादा है और फिर यह बेचना कब से क़ानूनी हो गया है ?
बंटू =मैं गदा या मुर्ख नहीं हूँ . मैं जिस ड्रग की बात कर रहा हूँ ,वह विश्व की सर्व शक्तिशाली औषध है -इन सभी ड्रग्स के मुकाबले तेज़ और लाभकारी तथा खर्चा भी नाममात्र !
बबलू =पर क्या सरकार हमें ड्रग्स बिज़नस का दोषी नहीं मानेगी ?
बंटू =दोषी ?अपराधी ?उल्टा सरकार हमारा मानसम्मान करेगी और सहायता भी !
बबलू =सरकार हमें मुफ्त में ज़मीन देगी ,सामाजिक प्रोत्साहन और प्रशंसा के साथ .हमारी कमाई पर इनकम टैक्स भी माफ़ होगा ,बडे से बड़ा नेता हमारे साथ सेल्फी लेता नजर आयेगा .हम बाबा रामरहीम तथा अम्भिताब बचन से भी अधिक लोकप्रिय और हमारे लाखों अनुयायी हमारे एक इशारे पर वोटिंग करेंगे.
बंटू =दोस्त ,ऐसी कौन सी ड्रग का तुम सुझाव दे रहे हो ?
बबलू =यह समस्त विश्व में और विशेष रूप से हमारे पावन देश में एक ऐसी औषध है जो लोगों को एक ऐसी अवस्था में ले जाती है जहाँ सोचने समझने की भावना समाप्त हो जाती है -इस दिव्य औषध का नाम है धर्म प्रेरित बाबागिरी जो धर्मगुरु के नाम से लोकप्रिय है !
[टाइम्स ऑफ़ इंडिया में प्रकाशित जग सुरिया के अंग्रेजी ब्लॉग का हिंदी रूपांतरण].🤤🤤🤤🤤🤤

Tuesday 10 October 2017

व्यंग्य यथार्थ के आस पास ;
आम आदमी बलि का बकरा ?
* हरियाणा के डिप्टी advocate general गुरदास सिंह को परम पूज्यनीय प्रातः स्मरणीय नागपुर संस्कारी बाबा राम रहीम का रोहतक जेल में निजी बैग उठाने के संगीन अपराध में हरियाणा सरकार ने सस्पेंड कर दिया !
* विवेक विहार थाने के प्रभारी [SHO] संजय शर्मा को परम रमणीय एवं परम पूज्यनीय देवी तुल्यं राधे माँ को अपनी सरकारी कुर्सी पर बैठाने तथा थाने में देवी का आदर सत्कार समारोह आयोजित करने के अपराध में अन्य स्टाफ के साथ सस्पेंड कर दिया गया .
पुरानी कहावत है जैसे राजा वैसी प्रजा . वैसे भी आम जनता जनार्धन देश के कर्णधारों तथा देश के उच्च पदों पर आसीन नेतागण के सामाजिक आचरणों से प्रेरित होती रहती है और फिर आज जो कर्णधार देश में रामराज्य स्थापित करने की दिशा में दिन रात २५ घंटे कार्यरत हैं .जिन्हें वेंकाया नायडू ने ईश्वर का उपहार परिभाषित किया है .भला ऐसे आदर्श एवं आलौकिक नेतागण के सामाजिक व्यवहार और चिंतन की क्योंकर अवहेलना की जा सकती है ? क्या जनता जनार्धन का नैतिक कर्तव्य अपने नेताओं के आदर्शों को फॉलो करना नहीं है ? अभी कुछ समय पहले हरियाणा का समस्त मंत्रीमंडल बाबा गुरमीत के चरणों में नतमस्तक नज़र आता था तो भला वरिष्ट सरकारी वकील गुरदास सिंह का बाबाजी का  बैग उठाने का जुर्म कितना बड़ा संगीन जुर्म था ? जब देश के उच्चतम संविधानिक पदों पर आसीन संविधानिक परम्पराओं की धजियाँ उड़ाते एक धर्म विशेष की धार्मिक नौटंकी में खुले आम भाग लेते नज़र आते हैं तो पुलिस अधिकारी संजय शर्मा का बिलकुल वैसा ही आचरण अपराध कैसे हो गया ?दोनों ,गुरदास सिंह तथा संजय शर्मा सरकारी नीति का पूरी ईमानदारी के साथ अनुसरण ही तो कर रहे थे .

Sunday 8 October 2017

Watching the news channels always depresses me. Recent events moved me to verse (or worse), and I jotted down the following lines for Mr Trump and Mr Kim, who have been threatening each other with instant obliteration:
Rash men make bombs,
We like to curse ’em,
But time will come
When they must burst ’em.
You’ve made your cake, sirs –
Now you must eat it,
The grave is dug –
And you’re standing in it![Ruskin Bond].


Thursday 5 October 2017

दलितों एवं अन्य कमज़ोर वर्गों के विरुद्ध बड़ता अन्याय ,शोषण तथा आंतक  !
पिछले दिनों राष्ट्रीय स्वयं संघ की कर्म भूमि एवं कार्य शाला गुजरात राज्य के आनंद डिस्ट्रिक्ट में उच्च जाति के पटेल महारथियों ने जयेश सोलंकी नामक दलित युवक की दीवार से पटक पटक कर क्रूरतापूर्वक हत्या कर डाली . उसका "जघन्य अपराध": दूर बैठकर गरबा नृत्य देखना . गुजरात राज्य में न यह पहली वीभत्स घटना है और न आखरी . अन्य राज्यों में भी दलितों तथा अन्य कमज़ोर वर्गों को किसी न किसी बहाने चुन चुन कर निशाना बनाया जा रहा है. वैसे भी भाजपा की गाय प्रेरित राजनीति ने पहले ही दलित ,मुस्लिम तथा अन्य को उनकी रोजीरोटी से वंचित करके आर्थिक बदहाली के किनारे खड़ा कर दिया है. यह भी एक कडवी सच्चाई है कि पिछले तीन वर्षों में येन केन प्रकारेण धर्म निरपेक्षता से कहीं अधिक मनुवाद को महिमामंडित किया जा रहा है. जहां वर्ष २००५ में दलितों के खिलाफ २६१२७ मामले सामने आये वहीं वर्ष २०१५ में ४५००३ मामले सामने आये .यह आंकडे पंजीकृत मामलों के हैं . पूरे देश में हज़ारों मामले दर्ज ही नहीं होते हैं .जहाँ तक बहुचर्चित मॉडल राज्य गुजरात का सम्बन्ध है -वर्ष २०१५ में दलितों के खिलाफ अपराध के ९४९ केस पंजीकृत किएगए और चार्ज शीट दर्ज की गयी लेकिन केवल ११ मामलों में क़ानूनी प्रक्रिया पुरी की गयी .
यह एक सामाजिक त्रासदी ही है कि आज ७० साल की आज़ादी , क़ानूनी प्रावधानों तथा बहु प्रचारित जुमले 'सब का साथ सब का विकास' की प्रष्टभूमि में भी दलितों तथा अन्य कमज़ोर वर्गों के खिलाफ सामाजिक अन्याय ,शोषण तथा आंतक का सिलसला जारी है.