Wednesday 25 May 2016

मोदीजी का आकाश छूता तूफानी प्रचार !हर पल ,हर घर ,हर ओर छा गया !
"मेरा देश बदल रहा है "-
देखो आसमां में काका, का पुष्पक उड़ रहा है,
काका के जहाज का, इंजन हरदम चल रहा है,
‘अच्छे दिनों’ का कच्चा चिट्ठा, अब खुल रहा है,
गरीब को थाली में, दाल नहीं मिल रहा है,
मेरा देश…मेरा देश…मेरा देश…
मेरा देश तो बस, मोदी के विज्ञापनों में बदल रहा है।
अडाणी-अंबानी-बाबा का, बिजनेस आसमां चढ़ रहा है,
किसान की फसल को, न्यूनतम मूल्य नहीं मिला है,
मुआवजे में उनको, सौ-पचास का चेक मिल रहा है,
ट्विटर पे भक्तगण, बहन-बेटियों को जलील कर रहा है,
मेरा देश…मेरा देश…मेरा देश…
मेरा देश तो बस, विज्ञापनों में बदल रहा है।
स्वास्थ्य और शिक्षा का, बजट कम हो रहा है,
फलाना-ढिमका सेस, जनता पे बजर रहा है,
बैंक का रूपया लेके, माल्या ससर रहा है,
डॉलर के मुकाबले, रूपया गिर रहा है,
मेरा देश…मेरा देश…मेरा देश…
मेरा देश तो बस, विज्ञापनों में बदल रहा है।
महंगाई और करप्शन, दनादन बढ़ रहा है,
आलम बेरोजगारी का, दिनोंदिन बढ़ रहा है,
निर्यात और उत्पादन, घटता जा रहा है,
काला धन भी कतई, नहीं आता दिख रहा है,
मेरा देश…मेरा देश…मेरा देश…
मेरा देश तो बस, विज्ञापनों में बदल रहा है।[आभार तीखी मिर्ची ].


श्रीमान राम नायक, राज्यपाल उत्तर प्रदेश के "अदभुत बोल".
जब से राष्टीय स्वयं सेवक संघ का केन्द्रीय सत्ता पर आधिपत्य हो गया है, संघ के जो वरिष्ठ महारथी गुमनामी में दिन गुज़ार रहे थे, एक सोची समझी रणनीति के तहत उन का (मार्गदर्शक मण्डल को छोड़ कर) संविधानिक और अन्य पदों पर एक नई बारी का श्री गणेश होगया है. श्रीमान राम नायक जो ड़ान दाऊद के "षड़यंत्र "के कारण गोविंदा से चुनाव हारे थे, आजकल उत्तर प्रदेश के राज्यपाल पद पर विराजमान हैं. पद का क्या है आते जाते रहते हैं. प्रासंगिक है संघ विचारधारा के प्रति समर्पण. अपने नवीनतम प्रवचन में उन्होंने प्रवचन दिया है कि बजरंग दल द्वारा संगठित रूप से अपने कार्यकर्ताओं को हथियारों की ट्रेनिंग केवल और केवल आत्मसुरक्षा है. अब यदि कोई उन से पूछे कि यदि अन्य धर्मों के अनुयायी भी आत्मरक्षा के नाम पर बजरंग दल का अनुसरण करें तो आप की क्या प्रतिक्रिया होगी. और फिर केन्द्र और अधिकांश राज्यों में सत्ता और सरकारी सुरक्षा तंत्र आप के करकमलों में सुरक्षित है. आत्म सुरक्षा किन से? एक समानांतर सुरक्षा तंत्र क्यों, किन के विरुद्ध? इस प्रवचन से यह भी सोचा जा सकता है कि बाबू बजरंगी, माया कोड़नानी किसी नरसंहार के अपराधी नहीं है, वह तो अल्पसंख्यकों पर पुष्पवर्षा करते हुए, कांग्रेस और इटली माफिया के विदेशी षड़यंत्र का शिकार बनाये गये थे. और यह भी पूछा जा सकता है कि क्या बिना किसी संविधानिक संशोधन के भारत देश हिंदू राष्ट्र बन गया है जहां बहुल धर्मवादियों के लिए विशेष अधिकारों का प्रावधान सुरक्षित कर लिया गया है ?
‪#‎हिंदूराष्ट्र‬

Tuesday 24 May 2016

मोदी जी भगवान कृष्ण का अवतार हैं !
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् !(गीता ४/७).
अर्थात हे भरतवंशी! जब भी और जहां भी धर्म का पतन होता है और अधर्म की प्रधानता होने लगती है,तब तब मैं अवतार लेता हूँ !
कांग्रिस शासन में अधर्म चरम सीमा पर पहुंच गया था अतः मोदी जी अवतरित हुए.
गीता में कृष्ण जी ने ६२० श्लोकों में ७७ बार अहम,७६ बार माम्,४३ बार मे,१९ बार मम,१२ बार मया और १८ बार मयि शब्दों का प्रयोग किया है.४७ ऐसे समास वाले पद हैं जिन में मैं का वाचक शब्द मिलता है.मोदी जी भी आत्म प्रशंसास्वरूप मैं,मेरा,मैं ने,मुझ में शब्दों का खुले दिल से प्रयोग करते हैं.
कृष्ण जी ने नौवें अध्याय में संसार की हर वस्तु जैसे मौसम,यज्ञ,ओषधि,अग्नि,मातापिता पितामह,त्रिवेद,गति,स्वामी मित्र,उत्पति प्रलय,सुर्य,अमृत से अपने को जोड़ते नज़र आते हैं.वहीं दसवें अध्याय में अपने आप को हृदय वासी,मरीच,चंदा,पीपल,मेरू पर्वत,वासुकि,शेर और गरूड़,मगरमच्छ,गंगा,गायत्री आदि आदि कहा है (लिस्ट लम्बी है).
ठीक उसी प्रकार पिछले एक वर्ष में जिन १८-१९ देशों का मोदी जी ने भ्रमण किया है,उन सभी देशों के धर्म,सभ्यता एवं संस्कृति के साथ मोदी जी ने अपना पुराना रिशता बताया है.वह हर स्थान से जुड़े हैं.अपने देश की हर विविधता में तो वह पहले से ही हैं.
विधार्थी जीवन में मार्क्सवादी चिंतन से जुड़ने के कारण पिछले लगभग ५० वर्षों से नास्तिक हूँ परन्तु २१वीं शताब्दी में साक्षात अवतारवाद को देख कर नास्तिक होकर भी नमोनमःनमोनमः कहना ही पड़ता है !

Saturday 21 May 2016

हिंदी व्यंग्य;

यूनेस्को ने कांग्रेस को घोषित किया ‘वर्ल्ड हैरिटेज पार्टी’

पेरिस/नई दिल्ली। पहले लोकसभा चुनाव और अब चार राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की जबरदस्त हार के बाद यूनेस्को ने इसे ‘वर्ल्ड हैरिटेज पार्टी’ घोषित कर दिया है। ऐसा करीब 130 साल पुरानी पार्टी की ऐतिहासिक विरासत के संरक्षण के मकसद से किया गया है। इसके साथ ही पार्टी के दिल्ली स्थित अकबर रोड मुख्यालय को वर्ल्ड हैरिटेज साइट का दर्जा दे दिया गया है।
यूनेस्को के इस कदम का कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि इससे उन असामाजिक तत्वों को गहरा झटका लगेगा जो पिछले कुछ अरसे से ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ कहकर इसे खत्म करने की कसमें खा रहे थे।
बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर:-
पालि त्रिपिटक का यदि अवलोकन करें तो हम बुद्ध को यह कहते हुए पाते हैं -एहि पस्सिक अर्थात आओ मेरे विचार मेरी अभिव्यक्ति की पहले जांच परख कर लो. 
'तत्वसंग्रहपंजिका' में बुद्धिवादियों के आदिगुरू बुद्ध के एक श्लोक में कहा गया है :-
तापाच्छेदाच्च निकषात्सुवर्णमिव पंडिता इह, 
परीक्ष्य भिक्षव ग्राह्यं मद् वचो न तु गौरवात्. 
अर्थात जैसे सोने को तपाकर, काट कर और कसौटी पर रगड़ कर उस की परिक्षा की जाती है, उस के शुद्ध अथवा मिलावटी होने का निर्णय किया जाता है, उसी प्रकार हे पंडितो, भिक्षुओ, मेरे वचनों को भलीभान्ति जांचपरख कर स्वीकार करो, उन्हें मेरे प्रति सम्मान के कारण मत स्वीकार करो.
अपने समय के महान बुद्धिवादि जिन्हेंने ब्राह्मणवादी कर्मकांड और पाखंड को चुनौती दी, तर्क के आधार पर अपनी प्रगतिशीलता को जन आन्दोलन का रूप दिया, एक नई जागृति के प्रेरणा स्त्रोत बने, उसी महान व्यक्तित्व को उसी के अनुयायिओं ने ब्राह्मणवादी षड़यंत्र को सफल बनाते हुए भगवान का रूप दे डाला. आज बुद्ध के मंदिर हैं जहां उसे पूजा जाता है. उन के प्रगतिशील विचार, उन का व्यक्तित्व जैसे कहीं अंधेरे में खो गया है और वह अनुकरणीय न होकर केवल पूज्यनीय रह गये हैं. यह ठीक है कि उन के अनुयायी हिंदू पाखंड का विरोध करते हैं परन्तु उस के विरोध में एक क्रांतिकारी विचारधारा नहीं, एक और धर्म ने जन्म लिया है. कितनी बड़ी त्रासदी कितना बड़ा विरोधाभास है ???
ओशो ने अपनी पुस्तक -The Goose is out, पृष्ठ 145 मे लिखा है-"बुद्ध के एक मंदिर का नाम रखा गया है -The temple of ten thousand Buddha's, जिसे एक पूरे पहाड़ में बनाया गया है. यदि आज वह जीवित होते तो अपने ही अनुयायिओं के कारण अपनी विचारात्मक दुर्दशा देख कर आत्महत्या कर लेते.

Friday 20 May 2016

हिंदी व्यंग्य;

पैदा होते ही बच्चे ने की पीएचडी

नई दिल्ली। राजधानी में मंगलवार को एक बच्चे ने पैदा होने के चार घंटे के भीतर ही पीएचडी कर ली। देखते ही देखते यह खबर आग की तरह फैल गई। इस खबर के बाद कुछ दंपतियों ने डाॅक्टरों से कहा है कि वे ऐसा बच्चा चाहते हैं जो पैदा ही पीएचडी के साथ हो। शिक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञों ने इसका श्रेय भारत में तेजी से विकसित होते एजूकेशन सिस्टम को दिया है।
यह बेबी राधेश्याम गुप्ता नामक दंपती के यहां हुआ है। उन्होंने इसका नाम पीएचडी कुमार रखा है। राधेश्याम ने बताया कि वे जल्दी ही अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ‘नासा’ से संपर्क कर बच्चे को उनके दल में रखने का आग्रह करेंगे ताकि वह तीन साल की उम्र तक आते-आते नासा के नेपच्युन अभियान का हिस्सा बन सके।

Thursday 19 May 2016

MEANINGFUL QUERY !
DID HE ASK YOU?
It is obvious that Christianity promotes pathological guilt. Who has not heard “Jesus” died for our sins? Would any SANE person feel obligated to feel guilty for the suicide of a man they did not know (and 2000 years ago)? Would a SANE man be willing to sacrifice his life for a group of total strangers? Would any SANE man think that dying would forgive the crimes of another? Would any SANE man offer his own son (how about Peter) to die because it was prophesized? Would any SANE man offer his only son to die and think this was an act of love?
Was there ever a SANE person who believed that a man could be invisible and still have the five senses of a sensate being? Is there a single SANE person who would take a book of myth, fable and folklore as means of conduct to emulate? Has it ever been recorded in history that a SANE person would believe a dead man could come back to life and physically float into the atmosphere or into the stratosphere? Would any SANE person eat a wafer and drink a glass of wine and think they are eating a god? Would any SANE person think that religion per se would make a person moral? Is there a SANE person who thought they come to their religion by some special means as opposed to being brainwashed since childhood? Is there a single SANE person who ever thought that the tenets of Christianity would be moral to follow? Is there one SANE person who reads the immoral depraved and sexually explicit parts of the bible and still wants their children to read it?
Newton Joseph, PhD. [Courtesy Ellis Dean Hovey]
Yoga Day is June 21, and the nonsense over how to celebrate it is back again. Of courlse the Sanghis want chanting of Om and some shlokas to be part of this celebration of the "wisdom of ancient India". And rightly a lot of people are objecting to this blatant thrusting of a communal agenda.
But the larger point, that escapes many, is the nonsensical claim that Yoga is some great discovery of "Indian" culture and wisdom. It is such a blatant and obvious Brahmanical product (together with its practice of course by some ascetics of other castes). It is clearly the product of a section of society that does not lift even a little finger in manual labour. Have you ever heard of Dalit yoga? Have you heard of peasants and agricultural workers from any caste have their own yoga peculiar to them? Not to mention craftsmen of any sort? And only a contemporary elite with such an incredible distance from any manual labour whatsoever could hail this as some celebration of knowledge of the body and wax eloquent about it.
Not just the OM and all that, but the very idea of Yoga as some universal achievement of India must be debunked.
And what a breathtaking fraud it is indeed. Here in India we have the great Yoga and horrible rates of ill-health, malnutrition, physical debility and what not. But the Japanese, Koreans, Scandinavians, Scots, Irish, Argentinians, whatever...are NOT vegetarian, are NOT teetotallers, DO NOT practice Yoga and yet live longer, healthier and physically more productive lives than the vast majority of Indians.
Time we called this bluff!! Look up a good American fitness website and go for a good walk or run. Much better for your heart and lungs instead of pretending to breathe hard in an artificial fashion to no useful purpose except donating free ad time for Patanjali products.

Sunday 15 May 2016

People who watch porn more than once a week become more ...

www.independent.co.uk › Lifestyle › Love & Sex
2 days ago - The paperpublished in the Journal of Sex Research, found people who never ... This result was predicted by Dr Perry, who said: “For religious ...
हिंदी व्यंग्य;
भीषण गर्मी से निजात दिलाने के लिए सरकार की अनूठी पहल, गर्मी को भी डालेगी ठंडे बस्ते में!
देश में ठंडे बस्तों की कमी, खरीदी के समझौते के लिए प्रधानमंत्री तुरंत करेंगे किसी यूराेपीय देश का दौरा !
नई दिल्ली। देश के कई इलाकों में पड़ रही भीषण गर्मी के प्रकोप को कम करने के लिए केंद्र की भाजपा सरकार ने इसे भी ठंडे बस्ते में डालने का फैसला किया है। सरकार को उम्मीद है कि इससे तापमान में थोड़ी कमी हो सकेगी। इस संबंध में शनिवार को प्रधानमंत्री द्वारा बुलाई गई एक आपातकालीन बैठक में इस विषय पर गंभीरता से विचार किया गया।
गर्मी से देश में मरने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। आने वाले दिनों में गर्मी से कोई राहत न मिलने की संभावना के चलते सरकार वैकल्पिक उपायों में जुट गई है। इसी को लेकर सरकार ने आज आनन-फानन में कोर ग्रुप की एक बैठक बुलाई। बैठक में उपस्थित राजनाथ सिंह ने कहा कि हम जिस तरह से धारा 370, राम मंदिर निर्माण, कश्मीर पंडितों के पुनर्वास और समान आचार संहिता जैसे मुद्दों को ठंडे बस्ते में डाल चुके हैं, उसी तर्ज पर गर्मी को भी ठंडे बस्ते में डालकर जनता को फौरी राहत दिला सकते हैं।
अरुण जेटली ने भी इसका समर्थन करते हुए कहा, “सर्दी के दिनों में जब लोग ठंड से मरने लगेंगे तब हम गर्मी को ठंडे बस्ते से निकालकर थोड़े दिनों के लिए गर्मी बढ़ा देंगे, वैसे ही जैसे चुनावों के समय बाकी मुद्दों को बस्ते से निकालकर हम सरगर्मी बढ़ा दिया करते हैं।”
बैठक में उपस्थित कोर ग्रुप ने इसका समर्थन किया। लेकिन प्रधानमंत्री ने यह बात करके संदेह पैदा कर दिया कि देश में इस समय मौजूदा गर्मी के लिए हमारे पास ठंडे बस्ते ही उपलब्ध नहीं हैं। जो हैं भी तो उनमें धारा 370, राम मंदिर और समान आचार संहिता जैसे मामले ठंसे हुए हैं। इसलिए मुझे तत्काल किसी यूराेपीय देश की यात्रा पर जाकर वहां ठंडे बस्तों की खरीदी को लेकर कोई समझौता करना पड़ेगा। उन्होंने ठंडे बस्तों की बढ़ती जरूरत के मद्देनजर भविष्य में ‘मेक इन इंडिया’ के तहत भी ठंडे बस्तों की निर्माण योजना को आगे बढ़ाने के संकेत दिए।

Saturday 14 May 2016

अमित शाह देश के धाँसू नेताओं में से एक हैं। वो वाल्मीकि घाट की जगह किसी गटर में जाते और देखते कि वाल्मीकि समाज के लोग किन मजबूरियों के चलते कैसी परिस्थितियों में काम करते हैं तो मैं उनकी प्रशंसा करता। मेरी समझ नहीं आता दलित साधु-सन्तों के साथ कुंभ में डुबकी लगाकर उसी वंचित समाज की परेशानियाँ कैसे हल हो जाएंगी? अगर मैं ये मान भी लूँ कि अमित शाह की भावना राजनीति से ज़्यादा दलित कल्याण से प्रेरित थी, तो भी क्षिप्रा नदी में डुबकी मार-मार कर वो वाल्मीकियों को गटर में से कैसे उबारेंगे? क्या डुबकी लगाने भर से उनका उद्धार हो गया? अब अगला कुंभ तो सालों बाद आएगा। तब तक वाल्मीकि समाज आपकी अगली डुबकी का इंतज़ार नदी में करें या गटर में?
ये काम कर रहे किसी दलित-पिछड़े वर्ग (सॉरी मैं सवर्ण नहीं लिख सकता) के किसी व्यक्ति से पूछिए, यक़ीन मानिए जवाब गटर ही होगा। क्योंकि ये काम कर रहे लोगों की, ख़ासतौर पर वाल्मीकियों की समस्या गटर है, कोई नदी-घाट नहीं। नदियाँ साफ़ करने के कथित प्रयास करने के दावे तो किया जा रहे हैं, गटर में काम करने वालों को तो सांत्वना भी नहीं मिलती जो जाने कितने लंबे वक़्त से सबसे निचले दर्जे का काम करते हुए सामाजिक भेदभाव का ज़ख़्म सह रहे हैं।

Tuesday 10 May 2016

डबल श्री रवि शंकर इन दिनों खिसके हुए हैं। नोबल पुरस्कार को लेकर ऐसे बयान दे रहे हैं जो उनके खिसकने के पूरे प्रमाण देते हैं। उनका खिसकना उनकी खिसियाहट से जुड़ा हुआ है। नहीं मिले तो अंगूर खट्टे हैं वाली बात भी है और मार्केटिंग के फेल हो जाने की भी। फिर फिल्मी धुनों पर थिरकने वाला उनका छिछोरा विडियो तो वायरल हो ही चुका है, जिससे उन्होंने गंभीर संत की जो छवि बनाई थी वह भी ध्वस्त हो गई है। हालाँकि लोगों को तो अब उनमें आसाराम भी दिखलाई देने लगे हैं यानी उनका मार्केट नाम के साथ जुड़े श्री की तरह डबल हो रहा है।
रवि शंकर अपने गुरु का नाम छिपाते हैं लेकिन महर्षि महेश योगी के चेलत्व ने ही उन्हें सिखाया था कि दुनिया भर में मशहूर होने का विशुद्ध भारतीय फॉर्म्युला यही है कि पुराने आध्यात्मिक माल को रीपैकेज करो और उसे अद्भुत बताते हुए बेचना शुरू कर दो। माल भी ऐसा लो जिसमें कुछ ख़र्चा न हो, मसलन ध्यान, योग या अध्यात्म। इनकी पुड़िया विदेशों में ख़ूब बिकती हैं। shankarपश्चिम का खाया-अघाया समाज डॉलर-पौंड के साथ टूट पड़ता है। ख़ुद महर्षि ने ध्यान योग के आइटम बेचकर साठ हज़ार करोड़ की संपत्ति बनाई थी। रवि शंकर को चेला बने रहना मंज़ूर नहीं था इसलिए उन्होंने अपने गुरु को चकमा देकर अलग दुकान खोल ली। सुदर्शन क्रिया का फ़र्ज़ी प्रोडक्ट बनाया और उसे बेचना शुरू कर दिया। योग से भोग और भोग में योग तक की यात्रा ने उऩ्हें देश के सबसे धनवान संतों में से एक बना दिया है। उनका आर्ट ऑफ लिविंग धनी वर्ग में ख़ूब बिकता है। इसलिए बाबा हमेशा बौराए से रहते हैं।
चिंता और चिंतन का विषय !
बंगलादेश में इस्लामी आतंकवादियों के आक्रमणों का शिकार होने वालों की सूची लगातार बढ़ती ही जा रही है तथा धर्म निरपेक्ष ब्लॉगरों, शिक्षाविदों, समलैंगिक अधिकारों के कार्यकत्र्ताओं के साथ-साथ धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्य, शिया, सूफी और अहमदिया मुसलमानों, ईसाइयों और हिन्दुओं की हत्या की जा रही है। 

Thursday 5 May 2016

WE LIVE IN RIDICULOUS TIMES !
 Even as the high-decibel criticism of students from Jawaharlal Nehru University and Hyderabad University continues unabated, the riverside celebration of “Hindu-India” curated by the self-anointed Sri Sri has been forgotten. It has dissolved into the polluted air that hangs over the Yamuna. This so-called guru initially proclaimed that he would pay no fine or charge towards the environmental restoration. There was of course no question of his being accused of being anti-national or harming the flood-plains of a river. In fact, he was applauded. The certification came from none other than the prime minister himself.

The defence of the event, violent in ecological terms, extravagant in financial and social terms and shockingly wasteful in terms of time, energy and sheer man-hours, has come not in terms of a reasoned explanation but in low and mean personal accusations levelled against environmental activists, finger-pointing towards the excesses by other religious groups and the reduction of every criticism into the pettiest forms of party politics. Serious discourse is, of course, lost.

Wednesday 4 May 2016

राजस्थान के मुख्यमंत्री के अस्थायी  हेलिपैड के लिए  लाखों लीटर पानी बर्बाद  !
 राजस्थान के 1.21 लाख से अधिक गांवों व ढाणियों में से 29,000 से अधिक गांवों व ढाणियों में पेयजल का संकट है वहीं 22,254 ढाणियों व गांवों का पानी प्रदूषित हो जाने के कारण पीने के अयोग्य हो चुका है तथा राज्य की एक चौथाई जनता विषैला पानी पीने के लिए मजबूर है। 
 
बाड़मेर जिला इसका सर्वाधिक शिकार है जहां 9963 गांव और ढाणियां प्रदूषित पानी की समस्या से जूझ रही हैं जबकि जोधपुर जिले में 4470, नागौर में 1162,भरतपुर में 700, जयपुर में 668, जालौर में 651, टोंक में 531, जैसलमेर में 392, चुरू में 382,अलवर में 361, राजसमंद में 355, डोंगरपुर में 310 गांवों और ढाणियों के लोग प्रदूषित पानी पी रहे हैं।
 
कुल 22,254 गांव-ढाणियों में से 7056 गांव-ढाणियों के पानी में फ्लोराइड, 13,814 गांव-ढाणियों में सैलीनिटी, 1370 गांव-ढाणियों में नाइट्रेट और 14 गांव-ढाणियों के पानी में लौह प्रदूषण पाया गया है। जयपुर के निकट जमडोली स्थित सरकारी स्पैशल होम में गत दिनों दूषित भोजन और पानी के परिणामस्वरूप ही 7 बच्चों सहित 12 लोगों की मृत्यु हो गई।
 
 लोग तो सूखे और प्रदूषित पानी की समस्या से जूझ रहे हैं परन्तु दूसरी ओर हमारे राजनेताओं के लिए पानी निर्ममता से बहाया जा रहा है। इसका नवीनतम उदाहरण पुष्कर में मिला जब राज्य की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे 3 मई को वहां एक रोप-वे का लोकार्पण करने पहुंचीं।
 
समारोह स्थल से मात्र अढ़ाई किलोमीटर दूर स्थायी हैलीपैड होने के बावजूद इसके नजदीक एक अस्थायी हैलीपैड बनवाया गया जिस पर छिड़काव के लिए लगभग 7 लाख लीटर पानी बर्बाद किया गया। 

Monday 2 May 2016

व्यंग्य :-
भ्रमणिश्रावित्र (मोबाइल ) तुष्टिकरण हेतु देव भाषा में दिव्य आराधना !
यदा यदाही मोबाइलस्य
ग्लानिर्भवति सिग्नलः
'आउट ऑफ रीच' सूचनेन
त्वरित जागृत संशयाः ।
विच्छेदितं संपर्का: कलहं मात्र भविष्यति।
तस्मात 'चार्जिंग' एवं 'रिचार्जिंग' कुर्वंतु तव सत्वरं।
मनसोक्तम् 'चॅटिंगं'।
हास्यविनोदेन 'टेक्स्टिंगं'।
सत्वर सत्वर 'फाॅरवर्डिंगं'।
अखंडितं सेवाः प्रार्थयामि
'टच स्क्रीनं' नमस्तुभ्यं अंगुलीस्पर्शं क्षमस्वमे।
प्रसन्नाय इष्टमित्राणां अहोरात्रं मेसेजम् करिष्ये॥
इति श्री 'मोबाईल' स्तोत्रम् संपूर्णम् ।
ॐ शांति शांति शांति: ।।
॥शुभम् भवतु॥
रोज सुबह शाम इसका ३ बार जाप करें तो इंटरनेट की सर्विस अखंड बनी रहती है और आपका मोबाईल सदा निरोग अवस्था में रहता है। और हाँ भाइयो/ बहनों... संस्कृत का फ्युचर ब्राइट है.... थोड़ी बहुत सीख लोगे तो कृपा आएगी!!
[आभार:अज्ञात तथा मानव संसाधन मंत्री ).