Saturday 2 January 2016

कार्पोरेट नियन्त्रित निजी चैनलों द्वारा टी आर पी वृद्धि हेतु अंधविश्वास का प्रचार प्रसार !
टीवी चैनलों से आजकल धर्मांध दर्शकों के आगे जो अंधविश्वास परोसा जा रहा है, वह गहन चिंतन और चिंता का विषय है. अंधविश्वासों की परम्परा प्राचीन है, परन्तु आज 21वीं शताब्दी में टीवी चैनल अपने निज स्वार्थ पूर्ति के लिए अंधविश्वास के अंधकार को और गहरा कर रहे हैं जिस के परिणामस्वरूप अकर्मन्यता और अवैज्ञानिकता को बढावा मिल रहा है. चूंकि कार्पोरेट जगत का राजनीतिक दलों से गठजोड़ है और फिर आज के संदर्भ में भजनमण्ड़ली सरकार से किसी सकारात्मक पहल की आशा रखना बेकार है.
अंधविश्वासों के फैलाव की जैसे बाढ सी आगई है. पहले यह धन्धा केवल कर्मकांडों तक सीमित था, परन्तु आज अंधविश्वास एक बहुत बढ़ा कारोबार बन गया है. चैनलों पर तथाकथित बाबे, साधु साधवियां, गुरू महात्मा, तांत्रिक, ज्योतिषी, पुजारी, आचार्य आदि, पैसे के बलबोते चैनलों का प्राइम समय खरीद कर, धर्मांध भक्तों को यह दुनिया और दूसरी कपोलकल्पित दुनिया संवारने का सपना बेच कर अरबों खरबों के मालिक बन बैठे हैं
समाज में अंधविश्वास फैलाने और किसी भी नागरिक की चमत्कारी ढंग से समस्या सुलझाने का दावा करना Magical remedies and objectionable advertisement act की विभिन्न धाराओं का खुला उल्लंघन है. अन्य सम्बन्धित कानूनों की खुले आम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, परन्तु संज्ञान लेने की किसी पड़ी है, वह भी भजनमण्ड़ली सरकार के छत्रछाया में?

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