Tuesday 5 January 2016

दो मुख्य मंत्री -मानिक सरकार और केजरीवाल !तुलनात्मक अध्ययन. 
मुझे विश्वास है बहुत सारे लोगों ने वर्ष 2013 में चौथी बार त्रिपुरा राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में निर्वाचित, मानिक सरकार का नाम शायद ही सुना होगा जबकि वर्ष 2014 में पहली /दूसरी बार दिल्ली राज्य के निर्वाचित मुख्यमंत्री के रूप में केजरीवाल अच्छे /बुरे कारणों तथा "विशिष्ट राजनीति " के चलते बहुचर्चित रहे हैं. दोनों की राजनीतिक सोच में ज़मीन आसमान का अंतर है. जहाँ मानिक सरकार अतिशयोक्तिपूर्ण प्रचार और दिखावे से दूर सरल, कर्मठ, निष्ठावान,समर्पित मार्क्सवादी हैं वहीं दूसरी ओर केजरीवाल वाम-मध्य -दक्षिण और कहीं अतिवादी राजनीतिक व्यवहार का मिला जुला अलबेला मिश्रण है. जहाँ मानिक सौम्यऔर विनम्र प्रकृति वाले व्यक्ति है, केजरीवाल आक्रमक तेज़तरार व्यक्ति है.
मानिक सरकार के पास न तो खुद का मकान है और न ही अपनी कार. वह नियमित रूप से साईकिल या पैदल अपने कार्यालय जाते हैं. मुख्यमंत्री के रूप में सरकारी नियमाधीन जो वेतन आदि मिलता है वह समस्त राशि अपनी पार्टी मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट दल को देते हैं और पार्टी की ओर से उन्हें अपने तथा परिवार के लिए प्रतिमाह 5000 रूपये मिलते है. उन के कट्टर विरोधी भी मानते हैं कि वह स्वयं तो बेदाग़ हैं ही, वरन तुलनात्मक रूप से उन का मंत्रीमंड़ल भी बेदाग़ है. उन का आजतक केन्द्रीय राजसत्ता से कोई विशेष टकराव नहीं रहा है और दक्षिणपंथी भाजपा सरकार के साथ उन के सम्बन्ध सकारात्मक और रचनात्मक हैं.
केजरीवाल की अपनी चुनावी घोषणा के अनुसार दिल्ली में उन के पास दो मकान हैं. वह बड़े सरकारी मकान में पूरे तामझाम के साथ रहते हैं. यह सर्व विदित और चर्चा का विषय रहा है कि किस प्रकार उन्होंने चुनाव फंड़ के लिए "गुमनाम " व्यक्ति /व्यक्तियों से पचास पचास लाख के चार चेक बड़े आराम से स्वीकार किए. चुनावी रैलियों में वह कहा करते थे कि वह मुख्यमंत्री के रूप में अपना वेतन दान करेंगे पर ठीक इस के विपरीत, मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने, पूरे देश में एक नया कीर्तिमान स्थापित करते हुए अपने और अपने साथी विधानसभा सदस्यों के वेतन में असाधारण रूप से 400 प्रतिशत की वृद्धि करादी, जिस के परिणामस्वरूप "आम आदमी "के संवैधानिक प्रतिनिधि प्रतिमाह दो दो लाख से अधिक धनराशि प्राप्त कर रहे हैं. वह संविधानिक या अन्य किसी स्थापित मर्यादा को न्यूनतम प्रासंगिक मानते है. मानते हैं कि उन का दृष्टिकोण सदा गल्त नहीं हो सकता परन्तु उन का दृष्टिकोण सदा तर्कसंगत नहीं हो सकता. और न ही केजरीवाल श्रीमान परफेक्ट हो सकते हैं. कई बार लगता है कि वह अभीतक विरोधी राजनीति की छत्रछाया में ही जी रहे हैं.

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