Wednesday 28 June 2017

CULT OF LYNCHING !
I can't recollect exactly when i first heard the famous Billie Holiday version of the song 'Strange Fruit' .This song with powerful message was written as poem by Abel Meeropol in 1937 .It protested American racism ,particularly the lynching of African Americans by white Americans. Jewish white and member of the Communist party Abel Meeropol wrote it as a protest poem. The song was highly regarded and the 1939 record sold a million copies. in year 1999,Time magazine called it the song of the century .Quite logically the first stanza of the song tells us ,for there to be 'blood on the leaves',there also has to be 'blood on the root'.
STRANGE FRUIT LYRICS !

Sunday 25 June 2017

आगरा। उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस बयान कि ताजमहल भारतीय संस्कृति का हिस्सा नहीं है, से आहत एक समिति ने एक अभियान चलाने का निर्णय लिया है। इसके तहत ताजमहल को विशेष प्रयासों के जरिए भारतीय संस्कृति का हिस्सा बनाया जाएगा।

क्या करेगी समिति? :

‘ताजमहल को भारतीय संस्कृति में लाओ’ नामक समिति का मानना है कि ताजमहल और उसके परिसर के अत्यंत स्वच्छ दिखने के कारण योगी आदित्यनाथ को इसके भारतीय संस्कृति का हिस्सा होने पर डाउट हुआ होगा। इसलिए समिति ताजमहल को भारतीय संस्कृति का हिस्सा बनाने के लिए ये तीन काम करेगी :
1.पान-गुटखा खाने वालों की सेवाएं लेगी : ताजमहल की दीवारों को पान की पीक से लाल किए बगैर इसे भारतीय संस्कृति में शामिल नहीं किया जा सकता। तो इसके मद्देनजर समिति पान-गुटखा खाने वाले वालेंटियर्स की सेवाएं लेंगी। समिति को उम्मीद है कि ये लोग दस दिन में ताजमहल को भारतीय संस्कृति के काफी निकट ले आएंगे।
2. प्रेमी जोड़ों को प्रेरित किया जाएगा : ताजमहल को भारतीय संस्कृति के और निकट लाने के लिए प्रेमी जोड़ों को ताजमहल की दीवारों पर “I love you सोनम/सविता/कविता/राजेश/सुरेश” या इसी टाइप की कुछ कालजयी रचनाओं के लिए प्रेरित किया जाएगा। इसके लिए प्रेमी जोड़ों को नुकीले औजार मुहैया करवाए जाएंगे ताकि उन्हें दिक्कत नहीं हो।
3. चिप्स, कुरकुरे के पैकेट मुहैया करवाए जाएंगे : ताजमहल देखने जाने वाले पर्यटकों को समिति फ्री में चिप्स, कुरकुरे जैसी चीजों के पैकेट मुहैया करवाएगी। इसका मकसद यही है कि लोग ताजमहल देखते-देखते चिप्स-कुरकुरे का मजा लें और खाली पैकेट्स को वहीं फेंककर ताजमहल को भारतीय संस्कृति का हिस्सा फील करवाएं।

Thursday 22 June 2017


व्यंग्य मात्र ………इतिहास गवाह है ‘राम’ के बाद यदि कोई “राम राज्य”(अच्छे दिन )का प्रयास कर रहा है तो वोह मोदी जी ही हैं | भगवन ‘राम’ के बाद ‘राम’ का राज्याभिषेक केवल ‘राम’ लीलाओं मैं ही होता रहा है | दलितों के उत्थान के लिए ‘राम’ ही सर्वोत्तम मार्ग ‘राम’ का अभिषेक ही है | अब “राम मंदिर” की स्थापना को तड़पते हिन्दुओं को साक्षात् ‘राम’ ही सत्तारूढ़ हो जायेंगे | अब मंदिर बने या न बने आराध्य स्वयं ही सिंहासनाधीन हो जायेंगे | मंदिर भी क्यों नहीं बनेगा ..? सब सर्वत्र ‘राम’ ही ‘राम’ हैं | किसी युग मैं “राम राज्य” से पहिचाना जाने वाला अब “अच्छे दिन” के नाम से भी जाना जाता है | जब ‘राम’ का ही राज्याभिषेक हो जायेगा तो ‘”राम राज्य” का आभास ही “अच्छे दिनों” मैं बदल में बदल जाएगा।
…क्या विडम्बना रही कि १४वें राष्ट्रपति के लिए एक दलित रूप मैं ‘राम’ को स्वयं आना पड़ा | जिस हिंदुस्तान मैं १०० हिन्दुओं मैं ४० नाम ‘ राम’ नाम को लिए होते हैं वहां अब तक कोई’ ‘राम’ नाम धारी राष्ट्रपति या प्रधान मंत्री नहीं मिल पाया | लगता है मोदी जी ने इस तथ्य को समझा और ‘राम’ के बनवास को ख़त्म कर दिया | उनका प्रयास ‘राम’ का राज्याभिषेक करते ‘राम’ राज्य स्थापित कर देना ही है |                                                                                                                                                                                    ”राम राज बैठे त्रिलोका ,हर्षित भये गए सब शोका ”[ m

Tuesday 6 June 2017

मोदी विरोधी कहते हैं कि इसका कारण मीडिया द्वारा बनाई गई मोदी जी की छवि है। इस बात में कुछ सच है। आज देश का मीडिया जिस तरह मोदी जी के महिमामंडन में लगा है, वैसा शायद राजीव गांधी के पहले एक-दो  साल के बाद कभी नहीं हुआ। देश के मीडिया पर सरकार का जितना नियंत्रण है, उतना एमरजैंसी के बाद से कभी नहीं हुआ। मीडिया मोदी को पूजने में लगा है, उनकी हर कमी पर पर्दा डालने को तत्पर है और भाजपा के इशारे पर विपक्षी दलों के विरुद्ध अभियान चलाने में जुटा है। रॉबर्ट वाड्रा के कुकर्मों का पर्दाफाश करने को तत्पर है लेकिन बिड़ला, सहारा डायरी पर चुप्पी साध जाता है। कपिल मिश्रा के हर आरोप को उछालने को तत्पर है लेकिन व्यापमं घोटाले पर चुप है। इतना पालतू मीडिया शायद ही किसी प्रधानमंत्री को नसीब हुआ हो।