Sunday 3 May 2015

राजनीतिक स्वार्थ और मुकाबले के सन्दर्भ में धर्म और राजनीति  का मिश्रण तथा संकीर्ण धार्मिक कट्टरवाद एजेंडा के किये सरकारी मशीनरी का दुरूपयोग भारत    जैसे देश के लिए घातक और प्रतिकूल प्रमाणित हो सकता है.
कवाहत है "बोये पेड बबूल के धर्म  और राजनीति  का कॉकटेल [मिश्रण] देश के लिए घातक !
आम कहाँ से होए ?". आज यह कहावत  राष्ट्रीय सेवक संघ संचालित सरकार की ओर से शिक्षा के सम्पूर्ण भगवाकरण पालिसी पर लागू होती है. हरियाणा प्रदेश की मनोहर लाल खटर सरकार ने सर्वप्रथम घोषणा की है कि आगामी स्तर से प्रदेश के सभी स्कूलों में गीता अध्यन अनिवार्य होगा. अब  29 अप्रैल को हुरियत कांफ्रेंस के अध्यक्ष उमर फारूक ने  मांग की है कि                         जम्मू कश्मीर राज्य के सभी स्कूलों में इस्लाम अध्यन को अनिवार्य घोषित किया जाए। इसी प्रकार की मांग        अन्य मुस्लिम बहुल प्रदेश भी शीघ्र करेंगे -इस की पूरी सम्भावना है. पंजाब में अगले वर्ष चुनाव होने जा रहे हैं. गुरुदवारा राजनीति के महारथी अकाली भला पीछे कैसे रह सकते हैं?कुछ समय की बात है जब अकाली दल गुरु ग्रन्थ साहिब के अध्यन को पंजाब के सभी स्कूलों में अनिवार्य घोषित करने की मांग करेगा. नागपुर रिमोट कंट्रोल सेंटर के एक इशारे पर राजस्थान ,मध्यप्रदेश,छत्तीसगढ़ ,गोवा ,गुजरात ,महाराष्ट्र आने वाले समय में अपने अपने राज्य में यही घातक मिश्रण प्रस्तुत कर सकते हें. केंद्र सरकार का आशीर्वाद तो है ही.
कौन कहता है भारतीय जनता पार्टी के पास राष्ट्रीय अखंडता का विज़न नहीं है?

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