Monday 25 May 2015

भजन मण्ड़ली पार्टी (भाजपा) तथा खाप पंचायत संज्ञान ले;
# शराब के लिए तो हमारे यहां संस्कृत में ढेर सारे पर्यायवाची शब्द हैं परन्तु चाय के लिए तो संस्कृत तो क्या भारतीय संस्कृति में एक भी शब्द नहीं है.'चाय' शब्द तो फारसी भाषा का है.जो लोग चाय पीते हैं वह शुद्ध भारतीय संस्कृति का कैसे और क्योंकर पालन कर सकते हैं?
# अब यही समस्या सलवारकमीज़ के संदर्भ में है.संस्कृत तथा भारतीय संस्कृति में सलवारकमीज़ के लिए कोई पर्यायवाची शब्द नहीं है.होगा भी कैसे -दोनों शब्द म्लेच्छोंं से अपनाए गये हैं. क्या उन की नकल करने से सलवारकमीज़ का भारतीयकरन हो गया है ?
जीन्स और पैंट के तो आप विरोधी हैं ही ! आप लोग साड़ी को शुद्ध हिंदूत्व व भारतीय संस्कृति का प्रतीक मानते हैं परन्तु बेचारी साड़ी को भी "भारतीय संस्कृति वालों" ने कितना पवित्र रहने दिया है?यह देखना है तो महाभारत के पृष्ट खोलें,द्रोपदी की पूरी साड़ी को उतारा गया था और उतारने वाले और कोई नहीं ,भारतीय संस्कृति के पूजनीय पात्र थे.वह तो भला हो कृष्ण का जिस की "माया" ने उसे पूर्ण नग्न होने से बचा लिया था.यह घटना (दुर्घटना) भारतीय संस्कृति के तत्कालीन एकमात्र दरबार हस्तिनापुर में युधिष्टर ,अर्जुन,भीष्म पितामहा,द्रोणाचार्य आदि के सामने घटी थी.अब क्या उसे पहनने के लिए लड़कियों को इस लिए विवश किया जा रहा है कि उसे उतारना जीन्स या पेंट उतारने की अपेक्षा ज़्यादा आसान है?
# शुद्ध भारतीय आचरण स्थापित करने के लिए आप लोगों को विदेशी कुरतापायजामा तथा पेंटकमीज़ पहनना बंद करना चाहिए.पैन बालपैन,मोबाईल,चमड़े से बनी बेल्ट और पर्स का भी त्याग करना चाहिए -क्योंकि यह सब भारतीय संस्कृति नहीं है.
"रथ्याचर्पटविरचितकन्यः अजिनं वासः" महान शंकराचार्य के इस निर्देश अनुसार तो गली में पड़े चिथड़ों की गुदड़ी और मृग की खाल ही श्रेष्टतम वस्त्र है.आप को रेल,बस,कार,स्कूटर/मोटर साईकिल,हवाई जहाज़,कम्पयोटर आदि आदि सब प्रकार की म्लेच्छों द्वारा अविष्कार की गई वस्तुओं को एकदम त्यागना चाहिए.रथ हाथी बैलगाड़ी पर सवारी करते हुए टेलाविजन का उपयोग भी त्याग दें.सभी अंग्रेज़ी औषधियों का बहिष्कार करें- विशेष रूप से डाइबिटीज़ के रोगी तो Insulin का प्रयोग कदापि न करें क्योंकि गायमाता के pancreas से बनाई जाती है.

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