Wednesday 27 May 2015

वेदों में विज्ञान -कुछ मूलभूत प्रशन ?
 जब से केंद्र में संघ संचालित सरकार की स्थापना हुई है ,बहुत सुनने को मिल रहा है :-
*"पश्चिम का विज्ञान वेदों से निकला है. जर्मनी वाले हमारे वेद ले गए थे और उन्ही ग्रंथों  से उन लोगों ने विज्ञान सीखकर अविष्कार किये"
* " यह तो हमारे पूर्वजों को पहले से ही ज्ञात थ."
यदि वेदों में वास्तव का विज्ञानं था तो हज़ारों सालों से उन्हें पढ़ने कंठस्थ करने और उनपर  भाष्य लिखने वाले हिन्दुओं ने कोई भी अविष्कार विदेशी वैज्ञनिकों से पहले क्यों नहीं किया ?
यदि वेदों में विज्ञान था तो प्राचीनकाल  में बड़े बड़े वेदज्ञ विद्धानों ने भी इस का उल्लेख क्योँ नही किया ?
वेदोँ के जो प्राचीन भाष्य मिलते हैं जिन में एक एक शब्द की व्याख्या की गई है ,उनमें जो वेद मन्त्रों के अर्थ किये गए हैं ,उनसे किसी वैज्ञनिक सत्य का परिचय क्यों नही मिलता ?
क्या १९वी शताब्दी तक सभी वेदज्ञ स्कॉलर मूर्ख थे जो उन्हें वेदों के मंत्रों के ठीक अर्थ न सूझ सके और वह उनसे विज्ञान न निकाल सके ?तो यहां से वेद ले जा कर पढ़ने वाले जर्मनों को विज्ञान कैसे मिल गया ???
२०-२१वी शताब्दी के अविष्कार में से किसी एक का भी वर्णन वेदों में क्यों नहीं मिलता ???

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