Wednesday 25 May 2016

श्रीमान राम नायक, राज्यपाल उत्तर प्रदेश के "अदभुत बोल".
जब से राष्टीय स्वयं सेवक संघ का केन्द्रीय सत्ता पर आधिपत्य हो गया है, संघ के जो वरिष्ठ महारथी गुमनामी में दिन गुज़ार रहे थे, एक सोची समझी रणनीति के तहत उन का (मार्गदर्शक मण्डल को छोड़ कर) संविधानिक और अन्य पदों पर एक नई बारी का श्री गणेश होगया है. श्रीमान राम नायक जो ड़ान दाऊद के "षड़यंत्र "के कारण गोविंदा से चुनाव हारे थे, आजकल उत्तर प्रदेश के राज्यपाल पद पर विराजमान हैं. पद का क्या है आते जाते रहते हैं. प्रासंगिक है संघ विचारधारा के प्रति समर्पण. अपने नवीनतम प्रवचन में उन्होंने प्रवचन दिया है कि बजरंग दल द्वारा संगठित रूप से अपने कार्यकर्ताओं को हथियारों की ट्रेनिंग केवल और केवल आत्मसुरक्षा है. अब यदि कोई उन से पूछे कि यदि अन्य धर्मों के अनुयायी भी आत्मरक्षा के नाम पर बजरंग दल का अनुसरण करें तो आप की क्या प्रतिक्रिया होगी. और फिर केन्द्र और अधिकांश राज्यों में सत्ता और सरकारी सुरक्षा तंत्र आप के करकमलों में सुरक्षित है. आत्म सुरक्षा किन से? एक समानांतर सुरक्षा तंत्र क्यों, किन के विरुद्ध? इस प्रवचन से यह भी सोचा जा सकता है कि बाबू बजरंगी, माया कोड़नानी किसी नरसंहार के अपराधी नहीं है, वह तो अल्पसंख्यकों पर पुष्पवर्षा करते हुए, कांग्रेस और इटली माफिया के विदेशी षड़यंत्र का शिकार बनाये गये थे. और यह भी पूछा जा सकता है कि क्या बिना किसी संविधानिक संशोधन के भारत देश हिंदू राष्ट्र बन गया है जहां बहुल धर्मवादियों के लिए विशेष अधिकारों का प्रावधान सुरक्षित कर लिया गया है ?
‪#‎हिंदूराष्ट्र‬

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