Sunday 19 July 2015

भगवा अवसरवादिता : कल के खलनायक आज के नायक !
सरदार पटेल, महात्मा गांधी और बाबा साहब भीम राव अम्बेदकर के बाद भाजपा ने महान कांग्रेसी नेता, तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस में ‘किंग मेकर’ के नाम से मशहूर पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष के. कामराज की विरासत पर कब्जा करने और उनकी ओट में तमिलनाडु में प्रभाव बढ़ाने की अपनी योजना के अंतर्गत 15 जुलाई को कामराज की 113वीं जयंती पर उनके जन्म स्थान विरुध नगर में एक समारोह का आयोजन किया।
दूसरों की विरासत हथियाने की नवीनतम कड़ी में भाजपा ने जम्मू-कश्मीर की राजनीति के पुरोधा तथा वरिष्ठ कांग्रेसी पंडित गिरधारी लाल डोगरा को चुना और नरेंद्र मोदी ने 17 जुलाई को जम्मू में स्व. गिरधारी लाल डोगरा के जन्म शताब्दी समारोह में भाषण करते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अॢपत की।
उल्लेखनीय है कि स्व. डोगरा नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में वित्त मंत्री श्री अरुण जेतली के ससुर हैं जो कि मंच पर ही उपस्थित थे।
विडम्बना ही है कि एक ओर तो भाजपा ने अपने वरिष्ठï नेताओं लाल कृष्ण अडवानी आदि को ‘मार्गदर्शक मंडल’ में शामिल करने के बहाने हाशिए पर डाल रखा है तथा दूसरी ओर अपना वोट बैंक मजबूत करने के लिए यह दूसरे दलों के नेताओं को हाईजैक कर रही है।
इसी कारण राजनीतिक क्षेत्रों में कहा जा रहा है कि यदि भाजपा अपनी धर्म निरपेक्षता की नीति के अंतर्गत ऐसा कर रही है तब तो ठीक है परंतु क्या उक्त नेताओं की भांति ही भाजपा नेतृत्व मुस्लिम, ईसाई और अन्य समुदायों के नेताओं जैसे कि मौलाना आजाद, जाकिर हुसैन, मो. अशफाक-उल्ला-खान, खुदा बख्श, 1900 के पूर्वाद्र्ध में राष्ट्रीय आंदोलन को दिशा देने वाले बंगाली ईसाई काली चरण बनर्जी या भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जेल यात्रा करने वाले ‘यंग इंडिया’ के सम्पादक जे.सी. कुमारप्पा (मूल नाम जॉन जेसुदासन कार्नेलियस) आदि को भी अपना कर अपनी ‘धर्म निरपेक्षता’ की सूची में डालेगा?[मीडिया रिपोर्ट्स आधारित संकलन].

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