Wednesday 30 August 2017

दरबारी पूंजीपतियों के आर्थिक भ्रष्टाचार लूट खसोट एवं money laundering [काले धन को सफेद बनाना ] पर चयनात्मक ख़ामोशी क्यों ???
पिछले वर्ष अंग्रेजी दैनिक हिन्दू के केंद्रीय सम्पादक तथा जाने माने प्रतिष्ठित खोजी पत्रकार जोसी जोसफ की नवीनतम पुस्तक  " A Feast of Vultures-The Hidden Business of Democracy in India [गिदों की दावत - प्रजातंत्र का गोपनीय धंधा ]प्रकाशित हुईं है जिस में प्रजातंत्र की आड़ में आर्थिक एवं राजनीतिक भ्रष्टाचार का विस्तृत व्योरा दिया गया है. [पृष्ट २१५-२१६].
वर्ष २०१४ के आम चुनाव के आसपास भारत सरकार की आर्थिक अपराध शाखा को अदानी ग्रुप के एक बडे आर्थिक घोटाले का पता चला  . Directorate of Revenue Intelligence [DRI] के अनुसार अदानी ग्रुप ने बिजली उपकरणों के आयात के लिए चीन तथा साउथ कोरिया को ९,०४८.८ करोड़ को  भुगतान घोषित किया जबकि वास्तव में केवल ३,५८०.८ का भुगतान किया गया . शेष ५,४६८ करोड़ दुबई के रास्ते Electrogen Infra Holdings के खाते में ट्रान्सफर किया गया जिस का संचालन अदानी भाईओं में वरिष्ट शांति लाल अदानी करते हैं . नियम अनुसार इस काले धन पर तिगुनी पेनालिटी का प्रावधान है जिस के अनुसार अदानी ग्रुप पर १५००० करोड़ की पेनालिटी बनतीं है .अदानी की प्रधानमंत्री के साथ मित्रता और अपनापन एक खुली किताब है . न तो मोदी सरकार की नज़र में यह आर्थिक घोटाला आर्थिक भ्रष्टाचार की परिभाषा में आता है और न ही ग़ुलाम मीडिया ने इस लूट खसोट का संज्ञान लिया है या किसी प्रकार की चर्चा की है .
#भ्रष्टाचार_मुक्त_भारत !


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