Sunday 6 August 2017

चोटी काटना: एक भीड़ उन्माद ;
अन्धविश्वास बढानें तथा तांत्रिकों की रोजीरोटी अर्जित करवाने की सुनिश्चित तर्कहीन योजना !
भारतीय समाज में इस तरह का मास हिस्टीरिया बहुत दिनों के बाद देखा गया है। इससे पहले 2006 में हजारों लोग यह अफवाह सुनकर मुंबई के एक समुद्र तट पर पहुंचने लगे कि वहां समुद्र का पानी अचानक मीठा हो गया है। इसी तरह 2001 में मुंहनोचवा या मंकीमैन की अफवाह फैली थी। दिल्ली में सैकड़ों लोगों ने दावा किया कि मुंहनोचवा ने उन पर हमला किया, लेकिन जब ऐसी खबरों पर टीवी की टीआरपी आनी कम हो गई तो धीरे-धीरे करके ऐसे किस्से भी आने बंद हो गए। और पीछे जाएं तो 21 सितंबर 1995 की सुबह गणेश मूर्तियों के चम्मच से दूध पीने की अफवाह समूचे देश में फैल गई, जबकि चम्मच में दूध भरकर उसे किसी भी पत्थर से सटा दिया जाए तो वह पत्थर की तरफ जाने लगता है।
कहीं यह जनता को उनकी दैनिक आर्थिक एवं सामाजिक समस्याओं से ध्यान हटाने का भारतीय भजन मंडली पार्टी का हथकंडा या नवीनतम टोटका तो नहीं है ???
इस संदर्भ में टीवी चैनलों का रोल शर्मनाक तथा निंदनीय है जो अपने निज स्वार्थ एवं टी आर पी के लिए इस भीड़ उन्माद का खूब प्रचार प्रसार कर रहे हैं !😡😡😡😡😡

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