Wednesday 6 April 2016

कट्टर हिन्दुत्व मानसिकता प्रजातंत्र के लिए चुनौती. 
पिछले कुछ समय से हिन्दुत्व लाबी ने ढेर सारे लोगों को देश द्रोही घोषित किया है और आज भी यह क्रम जारी है. त्रासदी यह है कि संविधानिक संस्थानों को इस असंविधानिक मिशन के लिए खुले आम प्रयोग किया जा रहा है. ऐसा लगता है आर एस एस के निर्देशन और नियंत्रण में कार्यरत यह ग्रुप यह मान कर चल रहा है कि केवल केंद्र में सत्ता प्राप्त करने मात्र से यह देश हिंदू राष्ट्र बन चुका है. विश्व हिंदू परिषद दिवंगत प्रधान अशोक सिंघल ने कहा था कि मुगल और अंग्रेज़ों के लम्बे शासन के बाद मोदी सरकार पहली हिंदूवादी सरकार है जो इस कट्टर मानसिकता का प्रतीक है. क्या मान लिया जाये कि बिना किसी संविधानिक संशोधन के हमारा देश भाजपा के नेतृत्व में हिंदू राष्ट्र बनने के पथ पर अग्रसर है? जो लोग प्रजातन्त्र, धर्म निरपेक्षता तथा विचारों की स्वतंत्र अभिव्यक्ति के महत्व और अर्थ को समझते हैं जानते हैं उन सब के लिए यह स्थिति चिंता और गहन चिंतन का गम्भीर विषय है. भारत के एक राष्ट्र के रूप में अस्तित्व का संगठित आधार इस की सामाजिक विविधता है. आज एक धर्म विशेष, जाति विशेष, धर्म प्रेरित सामाजिक नियम, राजनीति विशेष के वर्चस्व को सरकारी प्रोत्साहन मिल रहा है और जो लोग प्रजातान्त्रिक अधिकार के अंतर्गत इस एजंडा से असहमत होकर विरोध प्रकट करते हैं उन सब की राष्ट्रभक्ति पर प्रशन चिन्ह लगाकर उन्हें देशद्रोही परिभाषित किया जा रहा है. काश संघ परिवार धर्म प्रेरित राजनीति के घातक दुष्परिणाम का वीभत्स रूप पड़ोसी देश पाकिस्तान की धरती से देख पाता. धर्म का वर्चस्व तोड़ता है जोड़ता नहीं.

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