Wednesday 16 September 2015

एक भक्त का आभार, 
श्रीमान जी, 
नमोनमः, 
आप ने और आप के साथियों ने जो कुछ दिन पूर्व मांसाहार पर प्रतिबंध लगाया है, ऐसे क्रांतिकारी पहल के लिए आप की पूरी टीम हार्दिक बधाई की पात्र है. प्रत्येक राष्ट्र को आप से प्रेरणा लेनी चाहिए. नागरिक साधारणतया समझदार नहीं होते हैं और उन्हें नैतिक अनुशासन सिखाना परमावशयक होता है. उन के लिए क्या अच्छा है और क्या बुरा है-यह समझाने का दायित्व भी आप का ही बनता है. 
संविधान में नागरिक को परिपक्व बताया गया है वह तो केवल जुमला मात्र है. नागरिक क्या खायें, क्या पिये, क्या पहने, कैसे सोचे, क्या पढे, क्या और कैसे देखे-इन सभी क्रियाकलापों का निर्धारण करना अकेले आप का ही उत्तरदायित्व है. आज विश्व में जो देश उन्नति के शिखर पर हैं उस का एकमात्र कारण है-वहां के नागरिकों द्वारा बौद्धिक स्तर पर अपनी सरकार के प्रति पूर्ण समर्पण.
गौमांस पर प्रतिबंध के दूरगामी सकारात्मक प्रभाव होंगे. जब जनताजनार्धन के मन मस्तिष्क पर गाय माता की छवि दृढतापूर्वक स्थापित होगी, स्वभाविक रूप से नारी के सम्मान में भी बढोत्तरी होगी और नारी के विरुद्ध अपराध कांग्रेस राज के साथ जुडा बीता कल होगा. ऐसी दूरदर्शिता ऐसी अदभुत योजना केवल आप के सुशासन का अध्यात्मवादी चमत्कार है. गौमाता के प्रसाद पंचग्व्य, मूत्र एवं गोबर पर आधारित अर्थ व्यवस्था आकाश को छूने लगेगी और आने वाले समय में हम विश्व अर्थ व्यवस्था का नेतृत्व करेंगे -ऐसी सुखद कल्पना स्वभाविक ही है.
कुछ लोगों की रोज़ीरोटी पर नकारात्मक प्रभाव -यह कोई समस्या नहीं है. उन लोगों से अधिक हमें गाय माता के हित अहित को प्राथमिकता देनी ही होगी, क्योंकि मरनोपरान्त वैतरणी नदी को लांघने में दिव्य गाय माता ही सहायक होगी.
अच्छे दिनों की अनुभूति से ओतप्रोत,
आप का अंधभक्त,
निक्कर दास.

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