Monday 7 September 2015

महाराष्ट्र में सुशासन की श्रेष्टतं परम्परा के लिए भक्तगण को बधाई !
असाधारण सुशासन की श्रेष्टतं परम्पराओं को स्थापित करते हुए, भाजपा सरकार ने, स्वतंत्र अभिव्यक्ति जैसे जघन्य अपराध के लिए, भारतीय दण्ड संहिता की धारा 124 ए के अंतर्गत सज़ा की घोषणा कर दी है. भारतीय संविधान में यह धारा अंग्रेज़ों से ज़माने से चली आ रही है और इस का प्रयोग राज्य के विरूद्ध विद्रोह जैसे अति गम्भीर अपराधियों के लिए किया जाता रहा है. दिनांक 18 मार्च 1922 को राज्य विद्रोह के अपराध में महात्मा गांधी के विरुद्ध इसी धारा के अंतर्गत कानूनी प्रक्रिया आरम्भ हुई थी और 21वीं शताब्दी में डा. विनायक सेन और असीम त्रिवेदी जैसे स्वतंत्र अभिव्यक्ति के खतरनाक अपराधियों के लिए भी इसी धारा का प्रयोग हुआ था. अब भविष्य में स्वतंत्र अभिव्यक्ति के अपराधियों को गर्व होगा कि कम से कम अपराध के विषय में वह राष्ट्र पिता के समानांतर हो गये हैं. प्रजातंत्र की गौरवशाली परम्पराओं को सुशासन के साथ क्रियान्वित करने के लिए अन्य सभी राजनीतिक तत्वों को संघ परिवार से प्रेरणा लेनी चाहिए.

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