Wednesday 3 December 2014

SARCASTIC LINGUISTIC SATIRE !
अगर शोले संस्कृत में होती तो..
१.......बसंती इन कुत्तों के सामने मत नाचना
|| हे बसन्ति एतेषां श्वानानाम् पुरत: मा नृत्य||
२.......अरे ओ सांबा, कितना इनाम रखे हैं सरकार हम पर?
||हे साम्बा, सर्वकारेण कति पारितोषिकानि अस्माकं कृते उद्घोषितानि?
३.......चल धन्नो आज तेरी बसंती की इज्जत का सवाल है
||धन्नो, (चलतु वा) धावतु अद्य तव बसन्त्य: लज्जाया: प्रश्न: अस्ति |
४.......जो डर गया समझो मर गया
|| य भीत:भवेत् स:मृत:एव मन्य ||
५.......आधे इधर जाओ, आधे उधर जाओ और बाकी हमारे पीछे आओ
|| केचन पुरुषा:अत्र गच्छन्तु केचन पुरुषा: तत्र गच्छन्तु शेषा:पुरुषा:मया सह आगच्छतु||
६......सरदार, मैने आपका नमक खाया है
||हे प्रधानपुरुष: मया तव लवणम् खाद्यते ||
७.......अब गोली खा.
||अधुना गोलीम् खाद ||
८.......सुअर के बच्चो...
||हे सुकराणां अपत्यानि.....||
९.......तेरा क्या होगा कालिया...|
हे कालिया तव किं भवेत् ?
१०......ये हाथ मुझे दे दे ठाकुर
॥ ठाकुर, यच्छतु मह्यं तव करौ ||
११......हम अंग्रेजों के जमाने के जेलर है|
||अहं आंग्लपुरुषाणाम् समयस्य कारानिरीक्षक: अस्ति ||
१२..... तुम्हारा नाम क्या है बसंती?
||बसन्ति किं तव नामधेयम् ?
१३......होली कब है, कब है होली..?
||कदा होलिकोस्तव: कदा होलिकोस्तव:?

No comments:

Post a Comment