Saturday 20 February 2016

वामपंथी विचारधारा को छद्म बौद्धिकता कहा जा रहा है। मैं भारतीय वामपंथी राजनीति की नहीं, वामपंथी विचारधारा की बात कर रही हूं। सुनिए, दुनिया में इससे वैज्ञानिक और न्यायसंगत और कोई विचारधारा नहीं। इसे समझने के लिए भारी डिग्री क्या, मार्क्स को भी पढ़ने की ज़रूरत नहीं। सामाजिक न्याय, संसाधनों का बराबर बंटवारा, वंचितों और शोषितों को वरीयता जैसी बातों को कहने और समझने के लिए रॉकेट साइंस की ज़रूरत नहीं। वामपंथ जिस सशस्त्र क्रांति की बात करता है, उसकी आलोचना करते वक़्त आप भूल जाते हैं कि आधुनिक राष्ट्र का आपका यह सिद्धांत भी सेना के बिना नहीं चलता। वामपंथ की अपनी दिक्कतें हो सकती हैं, लेकिन धर्म और जाति के नाम पर मारकाट करनेवाली आपकी मौजूदा व्यवस्था से यह बहुत बेहतर है। 

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