Tuesday 15 December 2015

व्यंग्य, 
विकास ही विकास उद्देश्य के अंतर्गत पावन भूमि भारत पुनः सोने की चिड़िया के रूप में स्थापित होगा. 
केन्द्र में सत्ता का उतरदायित्व संभालने के साथ ही, एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन दीनानाथ बत्रा के नेतृत्व में किया गया था, जिस की जांच का एकमात्र विषय था कि भारत देश स्वर्ण उत्पादक देशों की श्रेणी में प्रथम पायदान से शून्य पायदान तक कैसे और क्योंकर चला गया? जांच कमेटी ने 9 महीनों के गहन अध्ययन के पश्चात यह निष्कर्ष निकाला है कि हमारी पावन भूमि भगवान शिव और अप्सरा मोहिनी के दिव्य उपक्रम के परिणामस्वरूप, सोना चांदी पर्वतमाला से अलंकृत थी (संदर्भः श्रीमदभागवतपुराण, स्कंध 8,अध्याय 12).इस आधार पर अधिकारिक रूप से रहस्य उदघाटन किया गया है कि कि 21वीं शताब्दी में स्वर्ण उत्पादन के दस शीर्षस्थ देश-चीन, अस्ट्रेलिया, अमरीका, रूस, दक्षिणी अफ्रीका, उज़्बेकिस्तान, पीरू, केनडा, घाना तथा इन्डोनेशिया, कभी न कभी हिंदू राष्ट्र के अभिन्न अंग रहे हैं और कालांतर, मल्लेछों के षडयंत्र के कारण पावन भूमि से पृथक कराये गये. इसी घटना क्रम में डा. सुभ्रामन्यन स्वामी की अध्यक्षता वाली कमेटी को यह दायित्व सौंपा गया है कि वह विस्तृत प्रमाण पत्र तैयार करे जिस के अंतर्गत संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) में इन दस देशों को भारतीय स्वामित्व के आधीन लाया जायेगा जिस से पावन भूमि के स्वर्ण युग का पुनः श्रीगणेश होगा.

No comments:

Post a Comment