Thursday 19 November 2015

व्यंग्य -यथार्थ के आसपास !
राष्ट्र गुरू के बाद अब राष्ट्र बाबा का पतंजलि वाणी से जनता को सन्देश !
राष्ट्र गुरु मोहन भागवत के आकाशवाणी सम्बोधन की शैली में राष्ट्र बाबा रामदेव ने पतंजलि वाणी के माध्यम से जनता को दालप्याज़ से ऊपर उठ कर अपने आंसू पोंछकर पतंजलि नूडल्ज़ खाकर परम सुख फील करने को कहा है. 
"अरे भाई, क्या रखा है दालों में जिस से जोड़ों में रोग बन जाते हैं. अपनी मानसिकता बदल, तू भाग्यवान है, तेरे पर राष्ट्र नेता का आशीर्वाद है जो 21वीं शताब्दी में विष्णु का अवतार है. अभाव का रोना छोड़, तेरी आधी ज़िंदगी गुज़र गई उल्लू बनने में, शेष ज़िंदगी काठ उल्लू बनाने में, और उल्लू बन और उल्लू बना. मेरे समाज के नवरत्न निर्मल बाबा सी सीख, देख किस तरह चारों ओर कृपा बरसेगी. मैं ने इस देश की पावन भूमि को रोग मुक्त करने की भीष्मप्रतिज्ञा की है, लच्छेदार शब्दावली, योग, प्राणायाम और आयुर्वेद के सौजन्य से अधिकांश भारतीय रोग मुक्त हो गये हैं, शेष मेरे नूडल्ज़ खाकर रोगमुक्त हो जायेंगे. राष्ट्र नेता देश को कांग्रेस मुक्त कर रहा है और मैं रोग मुक्त. मैं ने देश वासियों की अन्य समस्याओं को सुलझाने के लिए, बाज़ार सौन्दर्य प्रसाधन, नवरत्न आटा, दलिया, सब्ज़ी मसाले, तेल आदि आदि से भर दिया है. मुझे Z +सुरक्षा यूं ही नहीं मिली है. मैं युग पुरूष की श्रेणी का असाधारण पुरूष हूं. तभी रक्षा मंत्रालय के साथ मिलकर मैं सैनिकों की समस्याओं का भी समाधान करने जा रहा हूँ. गौमाता के पवित्र दिव्य गोबर पर मेरा अनुसंधान लगभग पूरा हो चुका है. गोबर आधारित अन्य औषधियों के अतिरिक्त, चन्द दिनों में दिव्य गोबर वटी आप लोगों की सेवा में प्रस्तुत करने जा रहा हूँ जिस से विश्व स्तर पर भूख का समाधान होगा. बस एक गोबर वटी दिन में तीन बार खाने से आप असीम सुख फील करेंगे.करने से/खाने से होता है. और तो और, इस वटी से मेरी आँख की चिरकालीन समस्या का भी समाधान होने जा रहा है. आप लोगों की खुशी मेरी खुशी है.
जय हिंदू राष्ट्र, जय युग पुरूष. "

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