Thursday 26 March 2015

अंधविश्वास और हिंदू धर्म :-
हिंदू धर्म हज़ारों वर्ष तक बड़े अव्यस्थित ढंग से बनता रहा,इसलिए उस में इतना अधिक कचरा और विष मिल गया है कि जीवन के लिए किसी भी दृष्टिकोण से उपयोगी नहीं है.हिंदू धर्म की परंपरा बहुत प्राचीन होने से उस में भान्ति भान्ति के अंधविश्वास हैं. वे मनुष्य में वैज्ञानिकता पैदा नहीं होने देते,धन तथा श्रम की बरबादी कराते हैं तथा योग्य और उचित उपायों से वंचित रखते हैं.विस्तार से उदाहरण प्रस्तुत करना कठिन है परन्तु संक्षेप में उल्लेख अवश्य किया जा सकता है :-
# अमुक रोग अमुक देवता के कोप से या कुग्रहों के कारण होता है.
# ब्राह्मण को भोजन कराना या दान देना- वह सब पितरों को प्राप्त होता है.
# पृथ्वी शेषनाग के फन पर टिकी हुई है या कछुए की पीठ पर.
# अणिमा,महिमा,सिद्धयों मंत्रतंत्र की झूठी कथाएं और विधान भरे पड़े हैं.
# बेसिरपैर की भविष्यवाणियां का ढेर लगा हुआ है.
# त्रिकालदर्शी ,सर्वज्ञ,युक्त योगी ,यंजान आदि की कपोल कल्पना.
# बंदर,वासुकी,सर्प,भालू,गिद्ध विद्वतापूर्वक मनुष्यों की भाषा बोलते हैं.
# श्रीकृष्ण ने उंगली पर पहाड़ उठा लिया,हनुमान पूरा पहाड़ उठाकर उड़े.
# हनुमान ने सूर्य निगल लिया.राहु केतु सूर्य तथा चंद्र को निगल जाते हैं.
# मत्स्येंद्रनाथ,गेरखनाथ आदि के चरित्र की उल्टी सीधी कहानियां.
इस प्रकार हिंदू धर्म में और सैंकडों प्रकार के असंख्य अंधविश्वास हैं जिस कारण यह धर्म विज्ञानविरुद्ध और अकल्याणकारी बन के रह गया है.
और ऐसे मृत धर्म को संघ सरकार महानतम तथा सर्वउतम धर्म के रूप में परिभाषित कर रही है.२१वीं शताब्दी की समस्त समस्याओं का समाधान बता रही है.मित्रो (मित्रों) आप स्वयं निर्णय करें.

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