Monday 23 March 2015

२१वी शताब्दी का भारत और अंधविश्वास;
कठिन से कठिन रोग का मंत्र से इलाज !
दोपहर अभिजीत महूर्त मे उत्तरमुखी होकर पूजाघर मे सफ़ेद-हरे मिश्रित रंग का प्रिंटेड कपड़ा बिछाएं। पूजा में कुशा से बने आसान का उपयोग करें। प्रिंटेड कपड़े पर चावल और मूंग मिलाकर ढेरी बनाएं और ढेरी पर देवी स्कंदमाता का चित्र स्थापित करें। हाथ मे जल लेकर संकल्प करें तथा हाथ जोड़कर देवी का ध्यान करें
ध्यान: सिंहासना गता नित्यं पद्माश्रि तकरद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कंदमाता यशस्विनी।।
घी का दीपक करें। चंदन से धूप करें। देवी पर सफ़ेद कनेर के फूलों को चढाएं। इन्हें मूंग से बने मिष्ठान का भोग लगाएं। हरे रंग की कांच की चुडियां चढ़ाएं। पान ईलायची चढाएं। तत्पश्चात बाएं हाथ में सुपारी लेकर दाएं हाथ से चारमुखी रुद्राक्ष अथवा हरे हकीक अथवा हरे क्रिस्टल की माला से देवी के मंत्र का जाप करें।
मंत्र: ह्रीं स्त्रीं ब्रीं स्कंदमाता देव्यै नमः।।
मंत्र जाप के बाद सुपारी संभालकर अपने पास रखें तथा ज़रूरत पड़ने पर सुपारी को पानी में डुबोकर पानी का सेवन करने से असाध्य रोगों से मुक्ति मिलती है। इनकी उपासना से मंदबुद्धि व्यक्ति को बुद्धि और चेतना प्राप्त होती है। इनकी कृपा से ही रोगियों को रोगों से मुक्ति मिलती है तथा समस्त व्याधियों का अंत होता है।
भक्तजन को बधाई !

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