Wednesday 18 October 2017

फुटपाथ का दर्द !
अपने लिए तो दुनिया जीती है
वाइन के साथ रम भी पीती है
गरीबों के लिए कोई कुछ करता नहीं
देश में आज भी फटेहाल और बदहाल जिंदगी रोती है
जिनकी सुबह नहीं होती
जिनकी शाम नहीं होती
जिनकी होली नहीं होती
जिनकी दीवाली नहीं होती
कैसे जीती है ये जिंदगी
जो हर रात रोती है
और आज भी फुटपाथ पे सोती है ![संजय शर्मा].

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