Monday 5 December 2016

चाहे हो वो बैंक कोई, या हो कोई एटीएम,
मिलेगी या तो लाइन लंबी, या मिलेंगे ना रकम,
चेक की बत्ती बना हम, कान अपना खुजायेंगे,
पर खाते में पैसे रहें फिर भी निकाल न पाएंगे।
जिन्हें क्लेश करना था कम, वो कर रहे हैं कैश कम,
जिसे चुना था देश ने, वो रहा है विदेश घूम,
लाइन में लगवा, जमा जनता के पैसे कराएँगे,
और लोन अपने मित्रों के, माफ़ करते जाएंगे।
जनता तेरी सिसकियों पे, न मोदी रोने आएगा,
भाषणों में घड़ी-घड़ी, घड़ियाली आंसू बहायेगा,
पनामा पेपर वालों को, वो हाथ न लगाएंगे,
आम जनता पिसे, वो मटरगश्ती उड़ाएंगे।
काले धन की मोदी को, परवाह कहाँ है मेरी जाँ,
स्विस बैंकों में पड़े-पड़े, वो चौगुने हो जाएंगे,
पंद्रह लाख के वादे को, चुनावी जुमला बताएँगे,
और हमें ठेंगा दिखाकर खिलखिलाते जाएंगे !

No comments:

Post a Comment