Saturday 24 October 2015

तुम कुत्ते के बच्चे, हम गाय के बच्चे' !

विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह ने हरियाणा में दलित परिवार को जिंदा जलाए जाने पर कहा है कि सरकार इसमें कुछ नहीं कर सकती। अगर कोई कुत्ते को पत्थर मारे तो भला उसमें सरकार का क्या करे? वीके सिंह साहब ने बिल्कुल सही कहा है। कुत्तों और उनके बच्चों के लिए भला सरकार को क्यों परेशान करना। वीके सिंह से कुछ समय पहले संस्कृति मंत्री महेश शर्मा ने भी लेखकों की हत्या और दादरी कांड का विरोध कर रहे लेखकों से कहा था कि सरकार इसमें कुछ नहीं कर सकती, लेखकों को परेशानी है तो वे लिखना छोड़ दें।
इन सबसे पहले 2013 में देश का प्रधानमंत्री बनने से पहले नरेंद्र मोदी ने पहली बार गुजरात के 2002 के दंगों के बारे में दुख जाहिर किया था। उन्होंने कहा था कि अगर कुत्ते का पिल्ला भी गाड़ी के नीचे आ जाए तो दुख होता है। इसके बाद मोदी बहुमत से चुनकर केंद्र में आए थे। मोदी सरकार के मंत्रियों को लोगों को कुत्ता बताने की प्रेरणा शायद उन्हीं से मिली है। पीएम मोदी और उनकी सरकार का ध्यान तो गाय और उनके बच्चों पर है। गाय और उनके बच्चे यानी सवर्ण। कुत्ते और उनके पिल्ले यानी दलित, मुस्लिम और आदिवासी आदि। इसी वजह से ब्राह्मणवादी संगठन आरएसएस ने आरक्षण की समीक्षा की बात कहकर सवर्ण हिंदुओं की दुखती रग को सहलाने की कोशिश भी की थी, हालांकि उसने ये अजेंडा फौरी तौर पर मुल्तवी कर दिया है। 

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