Tuesday 16 June 2015

हिंदू धर्म में भिक्षावृति का यशगान !
# भिक्षावृति उन्मूलन कानून बने वर्षों हो चुके हैं, लेकिन पूरे भारत में प्रायः सर्वत्र बेरोकटोक भिक्षा मांगी जाती है और तथाकथित पुण्य अर्जन के लोभ में सर्वत्र श्रदापूर्वक दी जाती है. यह भिक्षा /भीख मांगने वाले तरह तरह के स्वांग /नौटंकी रचते हैं जिस से लोगों की करूणा, भावना को जागृत किया जा सके. 
हिंदू धर्म में भिक्षा को बहुत पवित्र कार्य कहा गया है. सम्पूर्ण जीवन में द्विजों (ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य) के लिए जो 16 संस्कार माने जाते हैं उन में से तीन संस्कारों -उपनयन, वानप्रस्थ और संन्यास -में तो भिक्षा मांगने की विधिवत शिक्षा दी जाती है. संक्षेप में, जीवन के पहले 25 वर्षों तक और फिर 50वें से मृत्युपर्यंत भीख मांग कर जीवन निर्वाह करने का धर्मशास्त्रों में विधान है. इन सब विधानों और आदेशों व कथाप्रसंगों ने भक्तों के खून में भिक्षा के प्रति एक विशिष्ट, उदार एवं उदात्त भाव भर दिया है-पुण्य और काल्पनिक दूसरी दुनिया /अगले जन्म में लाभान्वित होना. इसी मानसिकता के कारण आज पूरे देश में परजीवी निठल्लो की फौज खड़ी है भिक्षावृति उन्मूलन कानून की धज्जियां उडाते हुए. आज समय की मांग है कि धर्म और परलोक के चक्कर से निकल कर हम निठल्लों का पालन करना बंद करें और समाज पर बोझ बने अकर्मन्य, परजीवी व मुफ्तखोरों को खूनपसीने से रोटी कमाना के लिए विवश करें.

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