Wednesday 28 September 2016

सम्प्रदायिक विश्व हिन्दू  परिषद् के भगत सिंह प्रेम का औचित्य क्या है  ?
उत्तर भारत में विश्व हिंदू परिषद हिंदू हितचिंतक अभियान चलाती रही है, जो अपने प्रचार में जिन पोस्टरों-चित्रों का इस्तेमाल करती है, उनमें भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल और नेताजी सुभाष चंद्र बोस को उग्र हिंदुत्व के नायक रहे, विनायक दामोदर सावरकर के साथ दिखाती है। जाहिर है कि सावरकर के संग अन्य क्रांतिकारियों को रखे जाने का उद्देश्य यही है कि उन क्रांतिकारियों की विचार चेतना पर पर्दा डाल दिया जाए। इतिहास का कौन जानकार यह कह सकता है कि सावरकर को छोड़कर किस क्रांतिकारी ने हिंदू राष्ट्र की कल्पना के संबंध में अपने विचार प्रकट किए। क्या यह शहीद भगत सिंह और उनके साथियों की क्रांतिकारी प्रगतिशील विचारधारा से छेड़छाड़ नहीं है। भगत सिंह जैसे मार्क्सवादी चेतना से संपन्न क्रांतिदृष्टा को विहिप के पोस्टर/वैनर पर रखे जाने के पीछे आखिर कौन-सा तर्क है? कौन नहीं जानता कि भगत सिंह 'मैं नास्तिक क्यों हूं’, जैसे पर्चे को लिखने वाले खालिस धर्मनिरपेक्ष थे और नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने तो 'स्वतंत्रता संग्राम और वामपंथ’ तथा 'फारवर्ड ब्लॉक ही क्यों’ जैसे आलेखों के जरिये अपने पक्ष और मंतव्यों को स्पष्ट करने की सार्थक कोशिशें कीं।

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