अध्यात्मवादी कहलाने का फैशन !
# हमारे कई परिचित जो हमारी नास्तिकतावादी तर्कशीलता क आगे अपने को बेबस पाते हैं तो बचाव की मुद्रा में कहते हैं -हम किसी प्रकार की धार्मिक आस्था से परे केवल अध्यात्मवादी (Spiritualist ) हैं. कमाल का विरोधाभास है. भला धर्म के बिना अध्यात्मवाद होता है क्या ?और फिर अध्यात्मवादी का सीधा सरल अर्थ है, आत्मा (धर्म का अभिन्न अंग)नामक काल्पित अस्तित्व के स्तर पर जीना अर्थात अपने को अभौतिक आत्मा समझना और भौतिक संसार की अच्छाई बुराई से ऊपर उठने का दावा (ढोंग).यह सब अव्यवहारिक है. व्यवहार में वही लोग दैनिक जीवन में लाभहानि पर विचार करते हैं, लेनदेन का सौदा करते हैं, भूख मिटाने के लिए भौतिक पदार्थों का उपयोग, संसारिक मोहमाया के साथ पूर्ण रूपेण लिप्त, वासनापूर्ती के लिए सदा तत्पर और प्रयत्नशील नज़र आते हैं. ऐसे शुद्ध रूप से भौतिकवादी अपने को अध्यात्मवादी कैसे परिभाषित कर सकते हैं. क्या यह दोहरा मापदण्ड (Hypocrisy) नहीं है? भगवा राज्य में साधु सन्यासी, स्वयंभू अध्यात्मवादी, भगवा वेशभूषा में सभी संसारिक भौतिक सुखों का आनंद लेकर भी अपने को शुद्ध अध्यात्मवादी कहते नहीं थकते.
# हमारे कई परिचित जो हमारी नास्तिकतावादी तर्कशीलता क आगे अपने को बेबस पाते हैं तो बचाव की मुद्रा में कहते हैं -हम किसी प्रकार की धार्मिक आस्था से परे केवल अध्यात्मवादी (Spiritualist ) हैं. कमाल का विरोधाभास है. भला धर्म के बिना अध्यात्मवाद होता है क्या ?और फिर अध्यात्मवादी का सीधा सरल अर्थ है, आत्मा (धर्म का अभिन्न अंग)नामक काल्पित अस्तित्व के स्तर पर जीना अर्थात अपने को अभौतिक आत्मा समझना और भौतिक संसार की अच्छाई बुराई से ऊपर उठने का दावा (ढोंग).यह सब अव्यवहारिक है. व्यवहार में वही लोग दैनिक जीवन में लाभहानि पर विचार करते हैं, लेनदेन का सौदा करते हैं, भूख मिटाने के लिए भौतिक पदार्थों का उपयोग, संसारिक मोहमाया के साथ पूर्ण रूपेण लिप्त, वासनापूर्ती के लिए सदा तत्पर और प्रयत्नशील नज़र आते हैं. ऐसे शुद्ध रूप से भौतिकवादी अपने को अध्यात्मवादी कैसे परिभाषित कर सकते हैं. क्या यह दोहरा मापदण्ड (Hypocrisy) नहीं है? भगवा राज्य में साधु सन्यासी, स्वयंभू अध्यात्मवादी, भगवा वेशभूषा में सभी संसारिक भौतिक सुखों का आनंद लेकर भी अपने को शुद्ध अध्यात्मवादी कहते नहीं थकते.
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