Monday, 17 August 2015

व्यंग्य :-
दिव्य भस्मक विज्ञान की तलाश !
कुछ दिन पूर्व, ब्रह्म मुहर्त की वेला में प्रातः स्मरणीय परम आदरणीय ज्ञान शिरोमणि विराट हिंदू विश्व वैज्ञानिक, दीना नाथ बत्रा जब ज्ञान चक्षशओं को प्रदीप्त करनी वाली मुद्रा शीर्ष आसन की अवस्था में महाज्ञान भण्डार वाल्मीकि रामायण के बाल कांड का अध्ययन कर रहे थे तो सर्ग 40 के 30वें श्लोक का अवलोकन करते ही प्रसन्नात्मा इन्द्रियमनः के कारण वह साधारण मुद्रा में आये और उस निम्न श्लोक को कई बार मन की गहराईयों से पढा :-
रोषेण महताविष्टो हुंकाकमकरोत्तदा,
ततस्ते नाप्रमेयेण कपिलेन महात्मना,
भस्मराशीकृताः सर्वे काकुत्स्थ सगरात्मजाः
अर्थात कपिलदेव महात्मा ने क्रोधित हो हुंकार दिया, हे राम, उन महात्मा तपस्वी कपिलदेव के हुंकार मात्र से अप्रमेय बलशाली ,महाराजा सगर की पत्नी सुमति के गर्भ से उत्पन्न, 60,000 पुत्र जल कर राख का ढेर होगए.
बत्रा जी के उन्नत मन मस्तिष्क में विचार आया -यदि आज हमारे पास वह प्राचीन भस्मक विज्ञान हो तो राष्ट्रीय हिंदू राज्य को सेना और शस्त्रास्त्र रखने की आवश्यकता ही न पड़ती और अरबों खरबों धनराशि भी बच जाती. बस सीमा पर केवल कुछ महाॠषियों के सौजन्य से शत्रु की सेना और आतंकवादीयों को हुंकार मात्र से भस्म किया जा सकता है. परन्तु परेशानी का विषय था कि ऐसी असाधारण भस्मक कला कहां गायब हो गई ???
परेशानी की हालत में बत्राजी पुष्पक विमान द्वारा हिंदू राष्ट्र की राजधानी इन्द्रप्रस्थ में प्रकट हुए और एक उच्चस्तरीय गोष्टी में भाग लिया. गहन विचार विमर्श के पश्चात एक उच्च अधिकार प्राप्त कमेटी का गठन हुआ जो 100 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी. कमेटी का अधिकार क्षेत्र निम्न होगा :-
1.जर्मनी ,अमरीका ,इंगलैंड आदि देशों के वैज्ञानिक कार्यशालाओं की गुप्त तलाशी.
2. मृत जर्मन बुद्धिवादी मेक्स मुलर की आत्मा की मापिंग परीक्षा.
3.दिव्य भस्मक कला के लुप्त होने में इटली माफिया का रोल.
कमेटी के सदस्य हैं:-अशोक सिंघल,गिरीराज किशौर, परवीन तगौड़िया, मोहन भागवत तथा सुभ्रामन्यन स्वामी. सभी शंकराचार्य विशिष्ट निमंत्रित सदस्य होंगे.
जय हिंदू राष्ट्र !

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