Tuesday, 12 May 2015

मीडिया और केजरीवाल दोनों को आत्ममंथन तथा आत्मचिंतन की अवश्यकता !
अरविंद केजरीवाल को खुद आईने में अपना चेहरा देखना चाहिए, खुद की कमजोरियों को देखना चाहिए, अपने वायदों को देखना चाहिए और अपने आप को एक दक्ष व कत्र्तव्यनिष्ठ शासक बनाने के लिए अहंकार व उत्तेजना को छोडऩा होगा, उन्हें संयमित होकर सकारात्मक सक्रियता पर ध्यान देना चाहिए। अहंकारी शासक कभी भी अपने लिए जनसमर्थन हासिल नहीं कर सकता है। एमरजैंसी में इन्दिरा गांधी ने भी मीडिया की आवाज को जमींदोज करने की कोशिश की थी। दाव उल्टा पड़ा था। एमरजैंसी के बाद हुए लोकसभा चुनाव में इन्दिरा गांधी की हुई पराजय व हश्र से अरविन्द केजरीवाल को सबक लेना चाहिए।

मीडिया को भी आत्ममंथन करना चाहिए। अरविंद केजरीवाल जैसे अहंकारी व खुशफहमी से लबालब व्यक्ति को अपना आईकॉन नहीं बनाना चाहिए। बिना सोचे-समझे, बिना दुष्परिणाम की चिंता किए किसी को भी मसीहा घोषित नहीं कर देना चाहिए। मीडिया को सनसनी से बचना चाहिए। मीडिया को अरविन्द केजरीवाल प्रकरण से सबक भी लेना चाहिए। पर क्या मीडियाकर्मी सबक लेने के लिए तैयार हैं। मीडिया को स्वतंत्र रिपोॄटग पर ही ध्यान केन्द्रित करना चाहिए।

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