Sunday, 3 May 2015

हम राममनोहर लोहिया की प्रगतिशील विचारधारा के "समाजवादी क्रन्तिकारी " हैं !
 मुलायम और अखिलेश ने हिंदू पुजारियों व धर्म गुरुओं के लिए अपने घर और दिल के दरवाजे खोल दिए हैं और आए दिन कोई न कोई पूजा-पर्व या अनुष्ठान चलता ही रहता है। इस परम्परा की शुरूआत तब हो गई थी जब अखिलेश 2012 में यू.पी. के सी.एम. बने तो उस समय पंचक था, इसकी शुद्धि के लिए 47 पंडितों से इसकी पूजा करवाई गई। 
 
इसके बाद मुलायम परिवार के एक उद्योगपति मित्र के उनके गोमती नगर स्थित आवास पर एक बड़ा अनुष्ठान संपन्न हुआ, सूत्र बताते हैं कि इसकी पूर्णाहुति पर अखिलेश और डिम्पल भी शामिल हुए। अनुष्ठान में सहभागी बने तमाम पंडितों को उन उद्योगपति की ओर से और अखिलेश-डिम्पल की ओर से 51-51 हजार रुपयों की दक्षिणा दी गई, अनुष्ठान में शामिल होने वाले पंडितों के मोबाइल फोन बाहर ही रखवा लिए जाते थे। 
 
इस बार जब सपा सुप्रीमो मुलायम अचानक से बीमार पड़ गए तो इस परिप्रेक्ष्य में बड़ी धूमधाम से श्रवण यात्रा का आयोजन हुआ। श्रद्धालुओं को लखनऊ से ऋषिकेश-हरिद्वार की मुफ्त यात्रा करवाई गई, उनके लिए ठहरने से लेकर खाने-पीने तक के पुख्ता इंतजाम किए गए। 
 
ट्रेन के पांच कोच इनके लिए खास तौर पर आरक्षित किए गए, श्रद्धालुओं को खाने-पीने के सामान से भरा एक बैग भी खास तौर से भेंट किया गया। स्वयं मुख्यमंत्री इन्हें लखनऊ स्टेशन विदा करने पहुंचे, तमाम अखबारों में यात्रा से संबंधित बड़े-बड़े विज्ञापन दिए गए। ज्यों-ज्यों 2017 की चुनाव की घड़ी करीब आ रही है मुलायम-अखिलेश दरबार में हिंदू पंडितों व धर्म गुरुओं का महत्व निरंतर बढ़ता जा रहा है।

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