व्यंग्य यथार्थ के आसपास ;
भगवा विचारक और अन्य बुद्धिवादी विपरीत बुद्धिवाद के पर्याय क्योंकर ?
चाणक्य नीति दर्पण में चाणक्य ने 'विनाश काले विपरीत बुद्धि' मानसिकता का आधार सोने का हिरण बताया था जो न तो किसी ने देखा ,न सुना ,न किसी ने निर्माण किया परंतु फिर भी रघुनन्दन जैसा विवेकी उसके पीछे उसको पकडने के लिए गया .मुझे विश्वास है यदि चाणक्य के समय भगवा ब्रिगेड होता वह उनके व्यवहार और चिंतन को 'विनाश काले विपरीत बुद्धि' का प्रेरणा स्त्रोत मानते .
प्रायः सोचता हूँ कि भगवा संस्कृति और चिंतन में ऐसा क्या है जो आधुनिक शिक्षा प्रणाली ,विशेष रूप से आधुनिक विज्ञान और टेक्नोलॉजी में उच्च शिक्षा प्राप्त स्वयंसेवक उल्टी बुद्धि के प्रतीक और पर्याय बन जाते हैं ? जो २१वीं शताब्दी के नागरिक होकर भी पाषण युग के मानसिकता के चलते फिरते प्रचारक बन जाते हैं. जो hypocrisy [दोहरा मापदंड ] के प्रतीक के रूप में अपने दैनिक जीवन में जहाँ एक तरफ आधुनिक विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी का सब से अधिक लाभ उठाते हैं वहीं दूसरी तरफ तथाकथित प्राचीन बुद्धिवाद पर खोखले प्रवचन देते फिरते हैं .
*गाय ऑक्सीजन लेती है और ऑक्सीजन ही छोडती है तथा गाय मूत्र सर्वरोगहरं संजीवनी है .
*समस्त विश्व में जो भी साइंटिफिक अविष्कार आजतक आविष्कारित हैं वह मलेच्छों ने प्राचीन हिन्दू धार्मिक ग्रन्थों से चुराये हैं .
* पावन देश भारत विश्वगुरु था ,विश्वगुरु है और समय अन्तराल तक विश्वगुरु रहेगा .
*महाभारत ,रामायण ,गीता ,वेद, उपनिषद ,पुराण,मनुस्मृति आदि आदि मिथात्मक काव्यात्मक ग्रन्थ न होकर वास्तविक इतिहास हैं और आज २१वीं शताब्दी में सार्थक और मार्गदर्शन है .
पिछले ४८ घंटों में तो असाधारण चमत्कार सामने आया है.
*भगवा शासित मध्य प्रदेश में रोगों का निदान एवं चिकित्सा अब डॉक्टर या वैद्य नहीं वरन तिलकधारी चोटीधारी ज्योतिषी करेंगे .चिकित्सा के फील्ड में अगला नोबल पुरस्कार विश्वगुरु भारत को मिलना तय है .
* टाइम्स ऑफ़ इंडिया के मुंबई एडिशन [१७ जुलाई २०१७] में प्रकाशित समाचार के अनुसार डॉ हर्षवर्धन& ,केन्द्रीय विज्ञान मंत्री ???] के निर्देशन में घठित उच्च अधिकार कमेटी #पंचगव्य [जो गाय मूत्र ,गाय गोबर,गाय दही ,गाय दूध तथा गाय घृत का दिव्य मिश्रण है ]की चिकित्सा तथा विज्ञान के अन्य सेक्टर में उपयोगिता पर गहन मंथन और विचार विमर्श कर रही है .मुझे पूरा विश्वास है कि यदि यह कमेटी रोग प्रतिरोधक vaccines की तुलना में दिव्य पंच गव्य की उपयोगिता स्थापित कर पाये तो चिकित्सा विज्ञान के फील्ड में पावन देश भारत का नोबल पुरस्कार भी मिलना तय है .
*डॉ हर्षवर्धन,MBBS, MS ,ENT Specialist !
भगवा विचारक और अन्य बुद्धिवादी विपरीत बुद्धिवाद के पर्याय क्योंकर ?
चाणक्य नीति दर्पण में चाणक्य ने 'विनाश काले विपरीत बुद्धि' मानसिकता का आधार सोने का हिरण बताया था जो न तो किसी ने देखा ,न सुना ,न किसी ने निर्माण किया परंतु फिर भी रघुनन्दन जैसा विवेकी उसके पीछे उसको पकडने के लिए गया .मुझे विश्वास है यदि चाणक्य के समय भगवा ब्रिगेड होता वह उनके व्यवहार और चिंतन को 'विनाश काले विपरीत बुद्धि' का प्रेरणा स्त्रोत मानते .
प्रायः सोचता हूँ कि भगवा संस्कृति और चिंतन में ऐसा क्या है जो आधुनिक शिक्षा प्रणाली ,विशेष रूप से आधुनिक विज्ञान और टेक्नोलॉजी में उच्च शिक्षा प्राप्त स्वयंसेवक उल्टी बुद्धि के प्रतीक और पर्याय बन जाते हैं ? जो २१वीं शताब्दी के नागरिक होकर भी पाषण युग के मानसिकता के चलते फिरते प्रचारक बन जाते हैं. जो hypocrisy [दोहरा मापदंड ] के प्रतीक के रूप में अपने दैनिक जीवन में जहाँ एक तरफ आधुनिक विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी का सब से अधिक लाभ उठाते हैं वहीं दूसरी तरफ तथाकथित प्राचीन बुद्धिवाद पर खोखले प्रवचन देते फिरते हैं .
*गाय ऑक्सीजन लेती है और ऑक्सीजन ही छोडती है तथा गाय मूत्र सर्वरोगहरं संजीवनी है .
*समस्त विश्व में जो भी साइंटिफिक अविष्कार आजतक आविष्कारित हैं वह मलेच्छों ने प्राचीन हिन्दू धार्मिक ग्रन्थों से चुराये हैं .
* पावन देश भारत विश्वगुरु था ,विश्वगुरु है और समय अन्तराल तक विश्वगुरु रहेगा .
*महाभारत ,रामायण ,गीता ,वेद, उपनिषद ,पुराण,मनुस्मृति आदि आदि मिथात्मक काव्यात्मक ग्रन्थ न होकर वास्तविक इतिहास हैं और आज २१वीं शताब्दी में सार्थक और मार्गदर्शन है .
पिछले ४८ घंटों में तो असाधारण चमत्कार सामने आया है.
*भगवा शासित मध्य प्रदेश में रोगों का निदान एवं चिकित्सा अब डॉक्टर या वैद्य नहीं वरन तिलकधारी चोटीधारी ज्योतिषी करेंगे .चिकित्सा के फील्ड में अगला नोबल पुरस्कार विश्वगुरु भारत को मिलना तय है .
* टाइम्स ऑफ़ इंडिया के मुंबई एडिशन [१७ जुलाई २०१७] में प्रकाशित समाचार के अनुसार डॉ हर्षवर्धन& ,केन्द्रीय विज्ञान मंत्री ???] के निर्देशन में घठित उच्च अधिकार कमेटी #पंचगव्य [जो गाय मूत्र ,गाय गोबर,गाय दही ,गाय दूध तथा गाय घृत का दिव्य मिश्रण है ]की चिकित्सा तथा विज्ञान के अन्य सेक्टर में उपयोगिता पर गहन मंथन और विचार विमर्श कर रही है .मुझे पूरा विश्वास है कि यदि यह कमेटी रोग प्रतिरोधक vaccines की तुलना में दिव्य पंच गव्य की उपयोगिता स्थापित कर पाये तो चिकित्सा विज्ञान के फील्ड में पावन देश भारत का नोबल पुरस्कार भी मिलना तय है .
*डॉ हर्षवर्धन,MBBS, MS ,ENT Specialist !
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