Friday, 28 July 2017

सेक्युलर से कम्युनल बनने का सफ़र वह भी चन्द घंटों में !

रात को ही क्यों हुई सारी कवायद?

बात बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ही हो रही है। नीतीश कुमार ने बुधवार की शाम को अपनी अंतरात्मा की आवाज पर इस्तीफा दे दिया था। इस्तीफा देते ही नीतीश का रंग बदलने लगा। 12 मिनट बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष करने के लिए बधाई दे दी। इधर, नीतीश का रंग और भी तेजी से बदल रहा था। केवल दो घंटे में ही वे अपना मूल रंग छोड़कर केसरिया बन गए थे।केवल चन्द घंटो में सेक्युलर से कम्युनल बनने का कायाकल्प असाधारण चमत्कार से किसी भी द्रष्टिकोण से कम नहीं आँका जा सकता है ! यह सारी कवायद रात को इसलिए की गई ताकि सोते हुए गिरगिटों को पता नहीं चल सके। दिन में करते तो गिरगिट यह कहकर फच्चर फंसा सकते थे कि रंग बदलने का अधिकार केवल उन्हें हैं। इंसान कैसे बदल सकता है!

हत्या के आरोपी को समर्थन देने की मजबूरी से लालू भी बचे …

राजनीति में ज्ञानचक्षु वैसे तो खुलते नहीं हैं। खुलते भी हैं तो देर से। जैसे ही नीतीश ने रंग बदला, उधर लालू के ज्ञान चक्षु एक्टिव हो गए। उन्होंने कहा, “ ओह हो, नीतीश तो हत्या के आरोपी हैं।” उधर नितीश की सुप्त  अंतरात्मा भी एक वर्ष और कुछ महीनों के बाद जागी और उसके मन मस्तिष्क में ज्ञानमय चेतना जागी " यह में क्या कर रहा था !जूनियर लालू तो केवल आरोपी मुलजिम है सीनियर लालूजी तो सजायाफ्ता मुलजिम हैं ! एक गुप्त सूचना के अनुसार केसरिया और कम्युनल चोला पहनने के बाद भी नीतीशजी परेशानी के आलम में हैं क्योंकि उनके नए उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी भी कई धाराओं के अंतर्गत आरोपी मुलजिम हैं !

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