Monday, 17 July 2017

भारत और संसार के कमोबेश सभी पढ़े-लिखे लोग हमारे नोबेल-पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन को जानते हैं। वह सिर्फ इकॉनमिस्ट नहीं हैं बल्कि लेखक-बुद्धिजीवी भी हैं और अंग्रेजी तथा अपनी मातृभाषा में बढ़िया लिखते हैं। यहां यह सूचित करना अनिवार्य है कि वह एक सेक्युलर और प्रगतिशील चिंतक हैं और किसी तरह की दकियानूसियत में कतई विश्वास नहीं करते। यह स्वाभाविक है कि ऐसे व्यक्तित्व पर कई वर्षों में फैली हुई एक डॉक्युमेंट्री फिल्म बने जो पूरे संसार में देखी और सराही जाए।
यूं तो इस पर किसी को या भारत की बीजेपी सरकार को क्या ऐतराज हो सकता था लेकिन सेंसर बोर्ड के कोलकता ऑफिस ने अंग्रेजी में बनी इस फिल्म में छह संगीन आपत्तियां निकाल डालीं। सेंसर ने कहा कि अमर्त्य सेन ने फिल्म में अंग्रेजी में ‘गुजरात’, ‘काउ’ (गाय), ‘हिंदू इंडिया’ और ‘हिंदुत्व व्यू ऑफ इंडिया’ जैसे शब्दों का प्रयोग किया है, जो आपत्तिजनक हैं। सेंसर ने वृत्तचित्र के निर्माता-निदेशक सुमन घोष से कहा है कि इन शब्दों को या तो निकाल दें या उन पर आवाज का धीमा करने वाला पर्दा डाल दें, जैसा आजकल कभी-कभी टेलीविजन और फिल्मों पर किया जाता है।

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