संस्कारी पहलाज निहलानी की कैंची पर रोकथाम ज़रूरी !
हमारे देश में वैचारिक मतभेद पर अभिव्यक्ति बोद्धिक वाद विवाद का अभिन्न अंग रहा है परंतु आज के परिवेश में संघ परिवार इस परंपरा को देशद्रोह मानता है .फिर भला "हर हर मोदी घर घर मोदी "के रचनाकार संस्कारी समर्पित आज्ञाकारी निहलानी देश भक्ति की दौड़ में पीछे कैसे रह सकते हैं ? फिल्म प्रमाणिकता के केन्द्रीय बोर्ड [CBFC] के बॉस का पद यूं ही तो नहीं मिला है .उनका दायित्व बनता है कि फिल्मों को अधिकृत प्रमाण पत्र केवल और केवल नागपुरी संस्कार सभ्यता तथा आचार संहिता की स्थापित नियमावली के अनुसार ही इशू किया जाये .
फिल्म लिपिस्टिक अंडर माय बुरका को भले ही विश्व स्तर पर सरहाने के साथ साथ प्रशंसा मिली हो परंतु बॉस की आज्ञा अनुसार फिल्म का प्रदर्शन भारत की पावन भूमि में नहीं हो सकता क्योंकि फिल्म बोल्ड है निर्माण अभिनय और विषय सब कुछ नारी प्रधान है. जाने माने अर्थ शास्त्री और फिल्म निर्माता सुमन घोष की नोबेल पुरस्कार विजेता अमरत्य सेन पर बनी डाक्यूमेंट्री निहलानी की कैंची का शिकार बनी है. मुख्य आधार विचारधारा का है. सेन अपनी विशिष्ट आर्थिक विचाधारा के कारण देश द्रोहिओं की अवांछित श्रेणी की लिस्ट में लिपिबद्ध हैं . भक्तों ने सेन से नोबल पुरस्कार छीनने की मांग भी की थी . बस फिर क्या था ,भगवा फरमान जारी हो गया कि फिल्म से वह सभी संदर्भ काट दिए जायें जहाँ जहाँ डाक्यूमेंट्री में देशद्रोही शब्दों 'गुजरात' 'हिन्दू इंडिया' 'cow' तथा 'Hindutva view of India [भारत का हिन्दुत्ववादी द्रष्टिकोण]' का प्रयोग किया गया है.
आज के परिवेश में चर्चा और चिंतन का विषय है कि क्या धर्मनिरपेक्ष प्रजातन्त्रवादी वयस्था में एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति पर अपनी विचाधारा थोपने का संविधानिक अधिकार है ? देश तथा समाज के लिए क्या उचित है और क्या अनुचित है ? एक विशेष धर्म प्रेरित रजनीतिक विचारधारा और उसके अनुरूप आचार संहिता का औचित्य कहाँ और क्योंकर बनता है ? संविधान में परिभाषित मूल अधिकारों की प्रासंगिकता क्या संघ परिवार के राजनीतिक सशक्तिकरण के साथ साथ ही निरस्त हो गई है ? माना आरएसएस राज्य में व्यवहार और चिंतन में हिंदूवादी विचारधारा का बोलबाला है जिसके अंतर्गत धर्म निरपेक्ष प्रजातान्त्रिक व्यवहार और चिंतन देशद्रोह की परिभाषा में परिभाषित है लेकिन अभीतक संघ परिवार के न चाहते भी संविधान के आधार पर भारत देश धर्म निरपेक्ष प्रजातान्त्रिक देश है न कि संस्कारी हिन्दू राष्ट्र !
हमारे देश में वैचारिक मतभेद पर अभिव्यक्ति बोद्धिक वाद विवाद का अभिन्न अंग रहा है परंतु आज के परिवेश में संघ परिवार इस परंपरा को देशद्रोह मानता है .फिर भला "हर हर मोदी घर घर मोदी "के रचनाकार संस्कारी समर्पित आज्ञाकारी निहलानी देश भक्ति की दौड़ में पीछे कैसे रह सकते हैं ? फिल्म प्रमाणिकता के केन्द्रीय बोर्ड [CBFC] के बॉस का पद यूं ही तो नहीं मिला है .उनका दायित्व बनता है कि फिल्मों को अधिकृत प्रमाण पत्र केवल और केवल नागपुरी संस्कार सभ्यता तथा आचार संहिता की स्थापित नियमावली के अनुसार ही इशू किया जाये .
फिल्म लिपिस्टिक अंडर माय बुरका को भले ही विश्व स्तर पर सरहाने के साथ साथ प्रशंसा मिली हो परंतु बॉस की आज्ञा अनुसार फिल्म का प्रदर्शन भारत की पावन भूमि में नहीं हो सकता क्योंकि फिल्म बोल्ड है निर्माण अभिनय और विषय सब कुछ नारी प्रधान है. जाने माने अर्थ शास्त्री और फिल्म निर्माता सुमन घोष की नोबेल पुरस्कार विजेता अमरत्य सेन पर बनी डाक्यूमेंट्री निहलानी की कैंची का शिकार बनी है. मुख्य आधार विचारधारा का है. सेन अपनी विशिष्ट आर्थिक विचाधारा के कारण देश द्रोहिओं की अवांछित श्रेणी की लिस्ट में लिपिबद्ध हैं . भक्तों ने सेन से नोबल पुरस्कार छीनने की मांग भी की थी . बस फिर क्या था ,भगवा फरमान जारी हो गया कि फिल्म से वह सभी संदर्भ काट दिए जायें जहाँ जहाँ डाक्यूमेंट्री में देशद्रोही शब्दों 'गुजरात' 'हिन्दू इंडिया' 'cow' तथा 'Hindutva view of India [भारत का हिन्दुत्ववादी द्रष्टिकोण]' का प्रयोग किया गया है.
आज के परिवेश में चर्चा और चिंतन का विषय है कि क्या धर्मनिरपेक्ष प्रजातन्त्रवादी वयस्था में एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति पर अपनी विचाधारा थोपने का संविधानिक अधिकार है ? देश तथा समाज के लिए क्या उचित है और क्या अनुचित है ? एक विशेष धर्म प्रेरित रजनीतिक विचारधारा और उसके अनुरूप आचार संहिता का औचित्य कहाँ और क्योंकर बनता है ? संविधान में परिभाषित मूल अधिकारों की प्रासंगिकता क्या संघ परिवार के राजनीतिक सशक्तिकरण के साथ साथ ही निरस्त हो गई है ? माना आरएसएस राज्य में व्यवहार और चिंतन में हिंदूवादी विचारधारा का बोलबाला है जिसके अंतर्गत धर्म निरपेक्ष प्रजातान्त्रिक व्यवहार और चिंतन देशद्रोह की परिभाषा में परिभाषित है लेकिन अभीतक संघ परिवार के न चाहते भी संविधान के आधार पर भारत देश धर्म निरपेक्ष प्रजातान्त्रिक देश है न कि संस्कारी हिन्दू राष्ट्र !
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