Saturday, 22 July 2017

भक्तगण का आभार भगवान सत्यनारायण के प्रति, 
"य इदं पठते नित्यं श्रृणोतिमुनिसत्तमा. तस्य नश्यन्ति पापानि सत्यदेव प्रसादतः"
हे प्रभु, दयानिधि, कृपालु, आप की महिमा अपरम्परागत है जो जघन्य सामाजिक अपराधियों को केवल और केवल व्रत कथामात्र से अभयदान देते हैं और केवल उस समय कुपित होते हैं जब या तो संकल्प के अनुसार कथा व्रत (पूजन, ब्राह्मणों को दक्षिणा और भोजन) न कराया जाये अथवा कोई उन के प्रसाद का अपमान करे. आराधनीय हैं ऐसे सत्यनारायण भगवान जो सद्दव्यवार के स्थान पर मात्र कथा सुनने से सारे दुख और पाप तुरन्त मुक्त कर देते हैं. (व्यंग्य ).

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