Wednesday, 16 September 2015

जनता को सस्ती और स्तरीय चिकित्सा एवं शिक्षा, स्वच्छ पेयजल तथा लगातार बिजली उपलब्ध करवाना केंद्र और राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है परंतु इन सभी मोर्चों पर संबंधित सरकारें लगातार असफल ही सिद्ध हो रही हैं। यहां तक कि स्वच्छ हवा भी अब लोगों को उपलब्ध नहीं।
वल्र्ड इकनोमिक फोरम की एक रिपोर्ट के अनुसार विश्व में सर्वाधिक वायु प्रदूषित शहरों में से 18 एशिया में हैं और इनमें से 13 तो केवल भारत में ही हैं। प्रदूषित वायु फेफड़ों की गंभीर बीमारियों ब्रोन्काइटिस, दमा, कैंसर और हृदय रोगों का कारण बनती है जिनके इलाज पर प्रतिवर्ष देश को अरबों रुपए खर्च करने पड़ते हैं।
 
देश में मानव जनित वायु प्रदूषण में 80 प्रतिशत योगदान लगातार बढ़ रहे वाहनों और कोयले से चलने वाले विद्युत संयंत्रों का है जिनको नियंत्रित करने की ओर किसी का भी ध्यान नहीं है।
 
दूषित पानी भी अनेक रोगों का कारण बन रहा है जिनमें हैजा, पेचिश, पीलिया, फाइलेरिया, डेंगू, मलेरिया आदि के अलावा खुजली, ट्रैकोमा, पिस्सू और जूएं पडऩा जैसे त्वचा रोग शामिल हैं। बच्चों में कुपोषण तथा उनके विकास को अवरुद्ध करने का भी यह एक मुख्य कारण है।

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