Sunday, 13 September 2015

निसन्देह, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अच्छे दिन !
संघ नियन्त्रित सरकार की स्थापना के बाद भले ही जन साधारण का मन मस्तिष्क और आंखें, बहु प्रचारित अच्छे दिनों की प्रतीक्षा में निराशाजनक ढंग से थक गई हों, परन्तु असाधारण रूप से कट्टर हिन्दूवाद की जननी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अच्छे दिन स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर हो रहे हैं. मज़दूर संघ, विधार्थी परिषद, बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद, संस्कृति परिषद, शिक्षा और स्वास्थ्य भारती आदि आदि की शान प्रासंगिकता और महत्व देखते ही बनता है. स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार संघप्रधान मोहन भागवत को आकाशवाणी से अपने प्रवचन देने का अवसर प्रदान किया गया. तथाकथित संस्कृतिक संस्था के आवरण को तिलांजलि देकर दिल्ली में आयोजित संघ शिविर में प्रधानमंत्री सहित पूरे मंत्रालय ने संविधानिक गोपनियता की धज्जियां उड़ाते हुए, भारत सरकार का लेखाझोखा परम आदरणीय प्रातः स्मरणीय राष्ट्र गुरू मोहन भागवत के चरणकमलों में विनम्रतापूर्वक प्रस्तुत किया, जिसे गुरूजी ने नये निर्देश -एजंडा के साथ स्वीकार किया.
रिमोर्ट कन्टरोल पहले भी था, आज भी है.

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