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सुषमा स्वराज का यह कहना कि उसने मानवीय आधार पर ललित मोदी की मदद की थी, यह तर्क स्वीकार नहीं हो सकता है। यह तर्क बचाव का हथकंडा ही माना जाएगा। देश के अंदर ललित मोदी की पत्नी की तरह हजारों-लाखों कैंसर की मरीज हैं। कई अन्य गंभीर बीमारियों के मरीज हैं, पर उन्हें सुषमा स्वराज जैसे नेता व मंत्री मानवीय आधार पर कौन-सी सुविधाएं उपलब्ध कराते हैं और मदद देते हैं?
सुषमा स्वराज का यह कहना कि उसने मानवीय आधार पर ललित मोदी की मदद की थी, यह तर्क स्वीकार नहीं हो सकता है। यह तर्क बचाव का हथकंडा ही माना जाएगा। देश के अंदर ललित मोदी की पत्नी की तरह हजारों-लाखों कैंसर की मरीज हैं। कई अन्य गंभीर बीमारियों के मरीज हैं, पर उन्हें सुषमा स्वराज जैसे नेता व मंत्री मानवीय आधार पर कौन-सी सुविधाएं उपलब्ध कराते हैं और मदद देते हैं?
अगर ललित मोदी कोई आम आदमी, किसान, मजदूर, छोटा-मोटा व्यापारी होता तो क्या वह सुषमा स्वराज के कार्यालय तक भी पहुंच सकता था? सुषमा स्वराज के कार्यालय के बाहर ही प्रहरी उसे डांट-फटकार कर भगा देते। पुर्तगाल सरकार के नियम-कानून भी सुषमा स्वराज को घेरने में सहायक सिद्ध हो रहे हैं। पुर्तगाल में आप्रेशन के लिए वयस्क मरीज खुद डैक्लेरेशन दे सकता है, इसलिए वहां पर डैक्लेरेशन देने के लिए ललित मोदी को उपस्थित रहने की जरूरत ही नहीं थी। फिर मदद किसलिए दी थी? सुषमा स्वराज अगर मदद देना भी चाहती थीं तो उन्हें अपनी सरकार से पूरी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए थी। पुर्तगाल सरकार से कूटनीतिक बात कर ललित मोदी की पत्नी का आप्रेशन कराना चाहिए था न कि पुर्तगाल जाने के लिए ललित मोदी की मदद करनी चाहिए थी?
एक ईमानदार और नैतिक विदेश मंत्री का कत्र्तव्य क्या अपने देश से भगौड़े व्यक्ति को वापस देश लाने और उसे कानून के हवाले करने का नहीं होना चाहिए? क्या यह कत्र्तव्य सुषमा स्वराज ने निभाया? उत्तर होगा-कदापि नहीं।
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