दलितों एवं अन्य कमज़ोर वर्गों के विरुद्ध बड़ता अन्याय ,शोषण तथा आंतक !
पिछले दिनों राष्ट्रीय स्वयं संघ की कर्म भूमि एवं कार्य शाला गुजरात राज्य के आनंद डिस्ट्रिक्ट में उच्च जाति के पटेल महारथियों ने जयेश सोलंकी नामक दलित युवक की दीवार से पटक पटक कर क्रूरतापूर्वक हत्या कर डाली . उसका "जघन्य अपराध": दूर बैठकर गरबा नृत्य देखना . गुजरात राज्य में न यह पहली वीभत्स घटना है और न आखरी . अन्य राज्यों में भी दलितों तथा अन्य कमज़ोर वर्गों को किसी न किसी बहाने चुन चुन कर निशाना बनाया जा रहा है. वैसे भी भाजपा की गाय प्रेरित राजनीति ने पहले ही दलित ,मुस्लिम तथा अन्य को उनकी रोजीरोटी से वंचित करके आर्थिक बदहाली के किनारे खड़ा कर दिया है. यह भी एक कडवी सच्चाई है कि पिछले तीन वर्षों में येन केन प्रकारेण धर्म निरपेक्षता से कहीं अधिक मनुवाद को महिमामंडित किया जा रहा है. जहां वर्ष २००५ में दलितों के खिलाफ २६१२७ मामले सामने आये वहीं वर्ष २०१५ में ४५००३ मामले सामने आये .यह आंकडे पंजीकृत मामलों के हैं . पूरे देश में हज़ारों मामले दर्ज ही नहीं होते हैं .जहाँ तक बहुचर्चित मॉडल राज्य गुजरात का सम्बन्ध है -वर्ष २०१५ में दलितों के खिलाफ अपराध के ९४९ केस पंजीकृत किएगए और चार्ज शीट दर्ज की गयी लेकिन केवल ११ मामलों में क़ानूनी प्रक्रिया पुरी की गयी .
यह एक सामाजिक त्रासदी ही है कि आज ७० साल की आज़ादी , क़ानूनी प्रावधानों तथा बहु प्रचारित जुमले 'सब का साथ सब का विकास' की प्रष्टभूमि में भी दलितों तथा अन्य कमज़ोर वर्गों के खिलाफ सामाजिक अन्याय ,शोषण तथा आंतक का सिलसला जारी है.
पिछले दिनों राष्ट्रीय स्वयं संघ की कर्म भूमि एवं कार्य शाला गुजरात राज्य के आनंद डिस्ट्रिक्ट में उच्च जाति के पटेल महारथियों ने जयेश सोलंकी नामक दलित युवक की दीवार से पटक पटक कर क्रूरतापूर्वक हत्या कर डाली . उसका "जघन्य अपराध": दूर बैठकर गरबा नृत्य देखना . गुजरात राज्य में न यह पहली वीभत्स घटना है और न आखरी . अन्य राज्यों में भी दलितों तथा अन्य कमज़ोर वर्गों को किसी न किसी बहाने चुन चुन कर निशाना बनाया जा रहा है. वैसे भी भाजपा की गाय प्रेरित राजनीति ने पहले ही दलित ,मुस्लिम तथा अन्य को उनकी रोजीरोटी से वंचित करके आर्थिक बदहाली के किनारे खड़ा कर दिया है. यह भी एक कडवी सच्चाई है कि पिछले तीन वर्षों में येन केन प्रकारेण धर्म निरपेक्षता से कहीं अधिक मनुवाद को महिमामंडित किया जा रहा है. जहां वर्ष २००५ में दलितों के खिलाफ २६१२७ मामले सामने आये वहीं वर्ष २०१५ में ४५००३ मामले सामने आये .यह आंकडे पंजीकृत मामलों के हैं . पूरे देश में हज़ारों मामले दर्ज ही नहीं होते हैं .जहाँ तक बहुचर्चित मॉडल राज्य गुजरात का सम्बन्ध है -वर्ष २०१५ में दलितों के खिलाफ अपराध के ९४९ केस पंजीकृत किएगए और चार्ज शीट दर्ज की गयी लेकिन केवल ११ मामलों में क़ानूनी प्रक्रिया पुरी की गयी .
यह एक सामाजिक त्रासदी ही है कि आज ७० साल की आज़ादी , क़ानूनी प्रावधानों तथा बहु प्रचारित जुमले 'सब का साथ सब का विकास' की प्रष्टभूमि में भी दलितों तथा अन्य कमज़ोर वर्गों के खिलाफ सामाजिक अन्याय ,शोषण तथा आंतक का सिलसला जारी है.
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