व्यंग्य यथार्थ के आस पास ;
आम आदमी बलि का बकरा ?
* हरियाणा के डिप्टी advocate general गुरदास सिंह को परम पूज्यनीय प्रातः स्मरणीय नागपुर संस्कारी बाबा राम रहीम का रोहतक जेल में निजी बैग उठाने के संगीन अपराध में हरियाणा सरकार ने सस्पेंड कर दिया !
* विवेक विहार थाने के प्रभारी [SHO] संजय शर्मा को परम रमणीय एवं परम पूज्यनीय देवी तुल्यं राधे माँ को अपनी सरकारी कुर्सी पर बैठाने तथा थाने में देवी का आदर सत्कार समारोह आयोजित करने के अपराध में अन्य स्टाफ के साथ सस्पेंड कर दिया गया .
पुरानी कहावत है जैसे राजा वैसी प्रजा . वैसे भी आम जनता जनार्धन देश के कर्णधारों तथा देश के उच्च पदों पर आसीन नेतागण के सामाजिक आचरणों से प्रेरित होती रहती है और फिर आज जो कर्णधार देश में रामराज्य स्थापित करने की दिशा में दिन रात २५ घंटे कार्यरत हैं .जिन्हें वेंकाया नायडू ने ईश्वर का उपहार परिभाषित किया है .भला ऐसे आदर्श एवं आलौकिक नेतागण के सामाजिक व्यवहार और चिंतन की क्योंकर अवहेलना की जा सकती है ? क्या जनता जनार्धन का नैतिक कर्तव्य अपने नेताओं के आदर्शों को फॉलो करना नहीं है ? अभी कुछ समय पहले हरियाणा का समस्त मंत्रीमंडल बाबा गुरमीत के चरणों में नतमस्तक नज़र आता था तो भला वरिष्ट सरकारी वकील गुरदास सिंह का बाबाजी का बैग उठाने का जुर्म कितना बड़ा संगीन जुर्म था ? जब देश के उच्चतम संविधानिक पदों पर आसीन संविधानिक परम्पराओं की धजियाँ उड़ाते एक धर्म विशेष की धार्मिक नौटंकी में खुले आम भाग लेते नज़र आते हैं तो पुलिस अधिकारी संजय शर्मा का बिलकुल वैसा ही आचरण अपराध कैसे हो गया ?दोनों ,गुरदास सिंह तथा संजय शर्मा सरकारी नीति का पूरी ईमानदारी के साथ अनुसरण ही तो कर रहे थे .
आम आदमी बलि का बकरा ?
* हरियाणा के डिप्टी advocate general गुरदास सिंह को परम पूज्यनीय प्रातः स्मरणीय नागपुर संस्कारी बाबा राम रहीम का रोहतक जेल में निजी बैग उठाने के संगीन अपराध में हरियाणा सरकार ने सस्पेंड कर दिया !
* विवेक विहार थाने के प्रभारी [SHO] संजय शर्मा को परम रमणीय एवं परम पूज्यनीय देवी तुल्यं राधे माँ को अपनी सरकारी कुर्सी पर बैठाने तथा थाने में देवी का आदर सत्कार समारोह आयोजित करने के अपराध में अन्य स्टाफ के साथ सस्पेंड कर दिया गया .
पुरानी कहावत है जैसे राजा वैसी प्रजा . वैसे भी आम जनता जनार्धन देश के कर्णधारों तथा देश के उच्च पदों पर आसीन नेतागण के सामाजिक आचरणों से प्रेरित होती रहती है और फिर आज जो कर्णधार देश में रामराज्य स्थापित करने की दिशा में दिन रात २५ घंटे कार्यरत हैं .जिन्हें वेंकाया नायडू ने ईश्वर का उपहार परिभाषित किया है .भला ऐसे आदर्श एवं आलौकिक नेतागण के सामाजिक व्यवहार और चिंतन की क्योंकर अवहेलना की जा सकती है ? क्या जनता जनार्धन का नैतिक कर्तव्य अपने नेताओं के आदर्शों को फॉलो करना नहीं है ? अभी कुछ समय पहले हरियाणा का समस्त मंत्रीमंडल बाबा गुरमीत के चरणों में नतमस्तक नज़र आता था तो भला वरिष्ट सरकारी वकील गुरदास सिंह का बाबाजी का बैग उठाने का जुर्म कितना बड़ा संगीन जुर्म था ? जब देश के उच्चतम संविधानिक पदों पर आसीन संविधानिक परम्पराओं की धजियाँ उड़ाते एक धर्म विशेष की धार्मिक नौटंकी में खुले आम भाग लेते नज़र आते हैं तो पुलिस अधिकारी संजय शर्मा का बिलकुल वैसा ही आचरण अपराध कैसे हो गया ?दोनों ,गुरदास सिंह तथा संजय शर्मा सरकारी नीति का पूरी ईमानदारी के साथ अनुसरण ही तो कर रहे थे .
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