Monday, 22 February 2016

HOW SIDDARTH VARADARAJAN EXPOSED ARNAB GOSWAMI'S  BLUFF *?
Come on,Mr Goswami,you too are accountable before nation and nation wants to know :-
Explain Kanhaiya fake video that your channel had been airing up till Thursday. Only after Siddharth Varadarajan of The Wire exposed your channel, it was stopped. Also explain why your channel ran stories against JNU and not against PDP who have been against the hanging of Afzal Guru for a long time now. They have also raised pro Afzal Guru Slogans in the past. Is it because they have an alliance with the BJP?
*[Reference :-How the Wire's Siddharth Varadarajan took down Times now's Arnab Goswami twice,Feb.20,2016].


Saturday, 20 February 2016

कन्हैया प्रकरण भाजपा के दोगलेपन का मुंह बोलता प्रमाण भी है। एक ओर तो इस पार्टी ने कन्हैया पर बगावत का आरोप लगाया है, वहीं दूसरी ओर जम्मू-कश्मीर में सत्ता की सीढिय़ां चढऩे के लिए इसने मुफ्ती मोहम्मद सईद की पी.डी.पी. के साथ गठबंधन बना रखा है। मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के कुछ घंटे के भीतर ही मुफ्ती ने अलगाववादी हुर्रियत और आतंकी संगठनों को इस बात का श्रेय दिया था कि उन्होंने चुनाव करवाने के लिए साजगार माहौल पैदा किया था। उनकी सरकार ने अलगाववादी नेता मसरत आलम को भी रिहा कर दिया था। 
 
बगावत के मुद्दे पर भाजपा का पाखंडपूर्ण रवैया इस तथ्य से भी प्रतिबिम्बित होता है कि पंजाब में इसने मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल सहित अकाली नेताओं द्वारा 1983 में गुरुद्वारा रकाबगंज दिल्ली के सामने संविधान की धारा 25 की प्रतियां जलाए जाने के ‘बगावती कृत्य’ की अनदेखी करते हुए अकाली दल के साथ सरकार बनाने  के लिए हाथ मिला लिए। क्या संविधान को जलाया जाना कन्हैया के कथित बगावती कृत्य से कहीं अधिक गंभीर आपराधिक मामला नहीं? 
 
ऐसा लगता है कि जे.एन.यू. प्रकरण भाजपा 
के वैचारिक प्रेरणा स्रोत आर.एस.एस. की देश भर में उत्कृष्टता के केन्द्रों, खास तौर पर शिक्षा, पत्रकारिता, फिल्म निर्माण, कला एवं सांस्कृतिक संस्थानों पर नियंत्रण करने की रणनीति का हिस्सा है। इस लक्ष्य को साधने के लिए ही मोदी सरकार ने अपने सैद्धांतिक रूप में प्रतिबद्ध वफादारों को ऐसे संस्थानों का प्रमुख बनाना शुरू कर दिया है, बेशक उनमें से कुछ एक मैरिट के मामले में कहीं नहीं ठहरते।
THE THREE D MANTRA OF PM MODI, 
It's practice and perception !
It was way back on 28th September 15,when PM Modi reiterated that 'make in India' programme would be success because of 3 D's. What is its practice and perception today?
‪#‎Democracy‬-undermined when directives from courts and even that of Supreme Court are not implemented and rule of law is suspended for petty political designs. 
‪#‎Demography‬-it is tilted towards youth, but from FTII Pune to Rohith Vemula's suicide to the present demonisation of JNU in order to establish hegemony of sangh parivar, the Government's treatment and their denigration en mass has been harsh.
‪#‎Deregulation‬-noble idea indeed, but the Smiriti Irani led HRD ministry has undermined for a long time even the very limited autonomy universities used to enjoy.
‪#‎सबकेसाथसबकाविकास‬#
ELVIS WAS DESI,SO WAS PICASSO !
George Mikes, the British humorist who was born in Hungary, claimed, tongue in cheek, that everyone in the world was of Hungarian origin. The Indian Council of Cultural Relations (ICCR) might take exception to such a pronouncement by making the counterclaim that everyone – or at least almost everyone – is actually of Indian descent.
At its recent three-day Delhi conference – attended by international scholars and ministers Sushma Swaraj and Mahesh Sharma – the ICCR raised an old theory which traces the origins of the globally scattered community of the Romany folk – variously known as Roma, gypsies, tinkers and Zingari – to India where this nomadic tribe is said to be represented by the Banjaras.

If ICCR’s assertion were to be taken at face value – or race value – it adds an entirely new dimension to the already much-vaunted Indian diaspora and its global reach.
The diaspora has become the darling of our current prime minister – and vice versa – and the supposition that thanks to the Romany connection he could have a far larger potential fan following abroad could well spur NaMo to undertake even more foreign forays than he already does. Indeed, thanks to his itinerant ways, the PM could himself claim to be part wandering gypsy, by inclination if nothing else.
वामपंथी विचारधारा को छद्म बौद्धिकता कहा जा रहा है। मैं भारतीय वामपंथी राजनीति की नहीं, वामपंथी विचारधारा की बात कर रही हूं। सुनिए, दुनिया में इससे वैज्ञानिक और न्यायसंगत और कोई विचारधारा नहीं। इसे समझने के लिए भारी डिग्री क्या, मार्क्स को भी पढ़ने की ज़रूरत नहीं। सामाजिक न्याय, संसाधनों का बराबर बंटवारा, वंचितों और शोषितों को वरीयता जैसी बातों को कहने और समझने के लिए रॉकेट साइंस की ज़रूरत नहीं। वामपंथ जिस सशस्त्र क्रांति की बात करता है, उसकी आलोचना करते वक़्त आप भूल जाते हैं कि आधुनिक राष्ट्र का आपका यह सिद्धांत भी सेना के बिना नहीं चलता। वामपंथ की अपनी दिक्कतें हो सकती हैं, लेकिन धर्म और जाति के नाम पर मारकाट करनेवाली आपकी मौजूदा व्यवस्था से यह बहुत बेहतर है। 

Thursday, 18 February 2016

BRAZEN DENIAL OF KANAYA'S ACCESS TO JUSTICE !
Mahatma Gandhi taught us how to respond when confronted with an unjust law. You must publicly disobey the unjust law, and demand that the state either withdraws the unjust law or punishes you under this law. The state in these circumstances does not have the option of persisting with the upholding the law, and refusing to apply it against persons who publicly disobey the law because they regard it to be unjust.
I am deeply convinced that the law related to sedition under Section 124A of the Indian Penal Code is a profoundly unjust law, the incongruous continuance of a colonial law that had been created precisely to criminalise freedom fighters who are publicly opposed to the colonial regime. I am even more outraged by the gross misuse of this law in our democratic republic against student leader Kanhaiya Kumar. Kumar’s public positions passionately and vigorously supporting the values of the Constitution, social and economic equality, democracy and secularism, qualify him in my eyes to be a young Indian who is a role model for all of us, of all ages. The application of the law to him seems to have been done with the mala-fide purpose of curbing his democratic right to dissent with the policies and programmes of the central government.
To make things worse, students, teachers and journalists were beaten in the court complex and inside the court while the police looked on as mute spectators while the violence was unleashed against them. This is nothing short of a brazen denial of Kumar’s access to justice, a right as fundamental as all other rights. I learn that a petition has been filed in the Supreme Court for an order directing the Union of India to ensure peace and non-violence in the court premises, so that Kanhaiya Kumar could be properly defended and his life and liberty guaranteed by the state. More than 800 journalists have written to the Chief Justice of India, complaining of gross violation of their fundamental rights to report on court proceedings without fear of being beaten up.

Wednesday, 17 February 2016

MEANINGFUL AND PURPOSEFUL JUDICIAL ACTIVISM !
The Supreme Court has made a right beginning in the right direction by asking the RBI to share with it information about loan defaulters who owe Rs 500 crore or more to public sector banks. Calling the practice of writing off loans “a big fraud”, the court has pointed to media reports according to which top ten public sector banks had waived Rs 40,000 crore bad loans in 2015 alone. The court has put the RBI in the dock saying, “The RBI is supposed to keep watch on these banks. What are you doing about it?” 
व्यंग्य, 
भक्तगण का श्री श्री श्री स्वामी ड़ेवड़ानंद सरस्वती से भावपूर्ण विनम्र अनुरोध :-
हे दयालु कृपालु, हमारी आंखें इन्तज़ार करते करते पत्थरा गई हैं. अभी अभी आप ने हमारे शीर्षस्थ नेतृत्व को फेक एनकोंउंटर के आरोप से मुक्ति दिलाने का चमत्कार किया है. हमें सामूहिक रूप से आप के आभारी हैं. एक बार फिर अपनी लीला दिखाओ. आप दिव्य शक्तियों से सम्पन्न हैं, आप सक्षम हैं कुछ भी प्रमाणित करने के लिए. आज हमारी धार्मिकता आहत है. हमारे धर्म की गौरवशाली परम्परा के महान प्रतीक परम पूज्यनीयप्रातः स्मरणीय हमारे दुलारे बापू आसाराम जी, हिंदुत्व के महान योद्धा प्रज्ञा साध्वी जी, असीमानंद जी एवं कर्नल पुरोहित जी, देशद्रोही कांग्रेस दल और इटली माफिया के षड़यंत्र का शिकार होकर कारागार में कई वर्षों से साधना कर रहे हैं.हे दयानिधि, एक बार फिर से कौन बनेगा अपराधी की लीला खेलते हुए, option लेकर, षड़यंत्र बटन दबाकर लाक करने का कष्ट करें. आप की असीम कृपा के अभिलाषी,
‪#‎भक्तगण‬

Tuesday, 16 February 2016

देशभक्त  बनने के उपाय !
ज़ोर-ज़ोर से बोलें, भारत माता की जय।
- बीच-बीच में किसी लेखक या बुद्धिजीवी की पिटाई करते रहें।
- किसी किताब या कलाकृति में आपकी नजर में कुछ राष्ट्रविरोधी हो तो फौरन उसका विरोध करें, उसे जला दें या तोड़फोड़ दें।
- कोई अगर कहे कि देश अपने नागरिकों के साथ नाइंसाफ़ी कर रहा है तो उसे माओवादी बता दें।
- अगर कोई मजदूरों और किसानों की बात उठाए तो उसे विकास विरोधी क़रार दें।
- आरक्षण का सवाल उठे तो योग्यता की बात करें। दलितों, अल्पसंख्यकों और पिछड़ों को बीच-बीच में उनकी औकात बताते रहें।
- सुबह पार्क जाकर ज़ोर-ज़ोर से हंसे, योग करें, बाबा की मैगी खाएं, उनके बताए मुताबिक सांस लें और छोड़ें।
- पाकिस्तान को बार-बार गालियां दें।
- क्रिकेट मैच में भारतीय टीम का झंडा लेकर घूमें, गाल पर तिरंगा छपवा लें।
- लोकतंत्र को कोसते हुए बताएं कि सारी गड़बड़ियां वोट की राजनीति से है।
- नेहरू को गालियां दें और बताएं कि पटेल यह देश अच्छे से चला सकते थे।
- गांधी को महात्मा मानें, लेकिन गोडसे को और महान आत्मा मानें, उनकी मूर्तियां लगवाएं, उनकी फांसी के दिन पर शौर्य दिवस मनाएं।
- अभिव्यक्ति के अधिकार पर भरोसा करें, लेकिन भक्ति के अधिकार को ज़्यादा बड़ा मानें।
- गाय को सड़क पर भटकने दें, पॉलिथीन खाने दें, लेकिन गोकशी और गाय का कारोबार करने वालों की जासूसी करें, ज़रूरत करने पर पिटाई भी।
- महिलाओं का पूरा सम्मान करें, उन्हें भड़काऊ कपड़े न पहनने दें, उन्हें घर के भीतर रखें, उन्हें पतिव्रता और धर्मपरायण होने की शिक्षा दें।
- गीता-वेद, महाभारत-रामायण पढ़ें न पढ़ें, लेकिन रीति-रिवाजों और परंपराओं का हवाला देते हुए सत्यनारायण कथा, तमाम तरह के व्रत-उपवास करते-कराते रहें।
- देश में किसी तानाशाह या सैनिक शासन की ज़रूरत बताएं।
- अखबार न पढ़ें, किताब न पढ़ें, संविधान न पढ़ें, एक फ़र्ज़ी ट्विटर अकाउंट शुरू करें और जो भी देश और समाज को बदलने की सोचें, उसको धमकाएं।
- विचार भी करें और बहस भी, लेकिन जो आपकी न माने या न सुने, उसका मुंह तोड़ दें।
- बस देश के लिए जिएं, देश के लिए सोचें और देश के लिए किसी की जान भी लेने को तैयार रहें।

Monday, 15 February 2016

ARREST FIRST,INVESTIGATE LATER !
It is a dangerous trend. ABVP boys now decide who or what is anti-national and state power is used to silence their political opponents. First, it was Rohith Vemula in Hyderabad, now it is Kanhaiya Lal in JNU. Earlier, two dim-witted politicians — a BJP MP and the HRD Minister — responded to the boys' complaint. Now the Union Home Minister has thought it fit to use the might of the state to crack down on JNU students. In a tearing hurry to please the boys, who are apparently trying to further the RSS/BJP cultural and political agenda, the Home Minister did not care to get his facts right. The police action, reminiscent of the Emergency days, was based on the rule: Arrest first, investigation later. Courts have repeatedly held that slogans and speeches alone do not constitute sedition, an incitement to violence does.
Realising perhaps the folly of slapping a legally untenable sedition charge against a Left-leaning student, who was present at a spot where a handful of unidentified persons raised pro-Afzal Guru and anti-India slogans, Rajnath Singh has tried to justify the police action by saying the dreaded Hafiz Saeed supports the JNU protest. In the process he has committed another blunder. First, the LeT chief's tweet was fake since his Twitter handle was disabled long ago, according to Pakistani daily Dawn. Secondly, will the BJP now need Hafiz Saeed or David Headley to bail itself out of political troubles? Will the Indian state act against anyone Hafiz Saeed supports? By this logic, the BJP-PDP government should have arrested all those raising anti-India slogans in Kashmir.
There is a serious danger to the autonomy of institutions of higher learning. With a little help from their patrons in the government, Hindutva partisans can summon the police anytime and get anyone framed. Politics of communal polarisation on campuses can backfire for the BJP as middle-class parents would not like universities they so value to turn into ideological battlegrounds. The police cannot be used to settle political or academic debates. Politically, the BJP has scored a self-goal. It has united the Opposition. By targeting JNU, it has turned academics against itself. 

Sunday, 14 February 2016

MUZZLING THE DISSENT !
The five reminders to Hyderabad University leading to Rohith Vemula's suicide and the booking of JNU students' union president Kanhaiya on sedition charges show New Delhi's extraordinary involvement in local-level contestations of ideas. In each case, from FTII, Pune, to the Ambedkar-Periyar study circle, there has been gross muzzling of dissent. Gujarat's Hardik Patel too felt the uncomfortable claw of sedition charges when he seemed to shake and challenge the state BJP dispensation. This small-mindedness has seeped into high policy as well. One of the Centre's stated reasons for dismissing the Arunachal government was the sacrifice of a cow in front of the BJP- appointed Governor's mansion. It is almost as if Narendra Modi and his associates are in a tearing hurry to make the entire country observe standardised norms for dressing, eating and exhibiting partisanship.

Tuesday, 9 February 2016

आज़ादी के ६९ वर्षों के पश्चात् भी घृणित छुआछूत और जातिवाद का घिनौना चेहरा !
स्वतंत्रता के 69 साल बाद भी हम जातिवाद के जहर से मुक्त नहीं हो पाए। इसका एक उदाहरण 31 मार्च, 2011 को केरल के तिरुवनंतपुरम में देखने को मिला था जहां अनुसूचित जाति के एक वरिष्ठ अधिकारी ए.के. रामाकृष्णन की पद से सेवानिवृत्ति के बाद कुछ कर्मचारियों ने उनके कार्यालय के कक्ष और फर्नीचर को गौमूत्र छिड़क कर पवित्र किया था।
इसी प्रकार का एक मामला अब उत्तर प्रदेश के कानपुर (देहात) जिले में स्थित एक सरकारी स्कूल में देखने को मिला है। गत 3 फरवरी को वीरसिंहपुर गांव की दलित प्रधान पप्पी देवी अपने गांव के स्कूल में मिड-डे मील की घटिया क्वालिटी के संबंध में हैडमास्टर सतीश शर्मा से शिकायत करने गई थीं।
पप्पी देवी ने जिला प्रशासन को दी शिकायत में कहा है कि हैडमास्टर के दफ्तर में रखी कुर्सी पर उसके बैठने से वह भड़क उठा कि पप्पी देवी की यह हिम्मत कैसे हुई। हैडमास्टर ने न सिर्फ पप्पी देवी का हाथ पकड़ कर मरोड़ दिया बल्कि उसके चले जाने के बाद स्कूल के बच्चों व कर्मचारियों से उस कुर्सी को धुलवा कर उसका ‘शुद्धिकरण’ करवाया जिस पर वह बैठी थी।
बात यहीं तक सीमित नहीं है। इसी हैडमास्टर द्वारा छुआछूत का एक और मामला भी उक्त कांड की तहसीलदार द्वारा जांच के दौरान सामने आया। स्कूल के दलित बच्चों ने बताया कि सुबह स्कूल का ताला खुलवाने व शाम को छुट्टी के समय बंद करवाने के बाद हैडमास्टर चाबी लेने से पहले उसे धुलवाता है।
निश्चय ही ऐसी घटनाएं हमें सोचने को विवश कर देती हैं कि आजादी के 69 वर्ष बाद भी यदि हमारी मानसिक गुलामी का यह हाल है तो फिर हमें इससे मुक्त होने के लिए और कितने वर्ष इंतजार करना पड़ेगा? [मीडिया रिपोर्ट पर आधारित संकलन].
देश की अर्थ व्यस्था को सुधारने की दिशा में क्रन्तिकारी पहल  !


तूअर मॉनेटाइजेशन स्कीम

वित् मंत्रालय  के सूत्रों से पता चला है :

 कि  अब घर में रखी तूअर दाल को बैंक में रखकर आप कमाई भी कर सकेंगे। गोल्ड माॅनेटाइजेशन स्कीम की तर्ज पर सरकार जल्दी ही तूअर मॉनेटाइजेशन स्कीम भी लांच करेगी।[व्यंग्य].

Sunday, 7 February 2016

GUJARAT MODEL OF DEVELOPMENT !
Silence is not an option Prime Minister Modi can exercise when faced with allegations of allotment of a large tract of land at a significantly below-market price to a company owned by business associates of Gujarat Chief Minister Anandiben Patel's daughter. According to media reports, in 2011 the Gujarat government led by Modi approved the allotment of 245 acres worth about Rs 145 crore for just Rs 1.5 crore. The land is located close to the Gir lion sanctuary in an eco-sensitive zone where no commercial activity is allowed but rules were amended for the benefit of the allottee, Wildwoods Resort & Realties Pvt Ltd, in which Anar Jayesh, a daughter of Anandiben, has acquired an equity stake. Anandiben was the Revenue Minister in the Modi government then and holds the portfolio as Gujarat Chief Minister.
During his stint in Gujarat, Modi had often been accused of handing over public land to industrialists at very low rates. The Adani group was given land for setting up a port and a special economic zone at Re 1 per square metre. The Tatas were given land for the Nano car project at Rs 900 per square metre against the market price of Rs 10,000. The Rahejas got land at Rs 470 per square metre, whereas the Gujarat government charged the Air Force a higher rate of Rs 1,100. Land belonging to an agricultural university in Surat was reportedly passed on to a hotel group. Media reports point out several such deals which have not been properly investigated. The state government had first delayed the appointment of a Lokayukta and then had a court dispute when the Governor made the appointment