संघ परिवार द्वारा अम्बेदकर का महिमामण्ड़न -एक विरोधाभास !
राजनीतिक हित और वोटबैंक स्वार्थ के कारण पहले विजयदश्मी पर और अब 6 दिसंबर को गवा में आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए सरसंघसंचालक (राष्ट्र गुरू) मोहन भागवत ने देश के महान सपूत अम्बेदकर को श्रदांजली प्रस्तुत करते हुए उन की तुलना संघ विचारक हेडगेवार के साथ की है. कितनी बड़ी विडंबना और कितना बड़ा दोहरा मापदंड है? इतिहास गवाह है कि आर एस एस ने सदा अम्बेदकर और उनके विचारों का विरोध किया. विशेष रूप से वर्ष 1949-1951 की अवधि में उन का विरोध तीव्र और मुखर था जब अम्बेदकर देश के कानून मंत्री थे और जब उन्होंने एक क्रांतिकारी प्रतीक के रूप में personal law में संशोधन कराके हिन्दू नारी को कई मूलभूत अधिकार दिलाये जिन का हिन्दू धार्मिक ग्रन्थों में निषेध था. बिल पास होने के बाद भी जो अम्बेदकर विरोधी आंदोलन चलाया गया उस मे भी निक्कर ब्रिगेड की प्रमुख भूमिका रही.*.
कमाल की राजनीतिक नौटंकी के सूत्रधार हैं निक्करधारी.
*(आंदोलन का विस्तृत विवरण इतिहासकार रामचंद्र गुहा की पुस्तक -Gandhi Before India, में पढें ).
राजनीतिक हित और वोटबैंक स्वार्थ के कारण पहले विजयदश्मी पर और अब 6 दिसंबर को गवा में आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए सरसंघसंचालक (राष्ट्र गुरू) मोहन भागवत ने देश के महान सपूत अम्बेदकर को श्रदांजली प्रस्तुत करते हुए उन की तुलना संघ विचारक हेडगेवार के साथ की है. कितनी बड़ी विडंबना और कितना बड़ा दोहरा मापदंड है? इतिहास गवाह है कि आर एस एस ने सदा अम्बेदकर और उनके विचारों का विरोध किया. विशेष रूप से वर्ष 1949-1951 की अवधि में उन का विरोध तीव्र और मुखर था जब अम्बेदकर देश के कानून मंत्री थे और जब उन्होंने एक क्रांतिकारी प्रतीक के रूप में personal law में संशोधन कराके हिन्दू नारी को कई मूलभूत अधिकार दिलाये जिन का हिन्दू धार्मिक ग्रन्थों में निषेध था. बिल पास होने के बाद भी जो अम्बेदकर विरोधी आंदोलन चलाया गया उस मे भी निक्कर ब्रिगेड की प्रमुख भूमिका रही.*.
कमाल की राजनीतिक नौटंकी के सूत्रधार हैं निक्करधारी.
*(आंदोलन का विस्तृत विवरण इतिहासकार रामचंद्र गुहा की पुस्तक -Gandhi Before India, में पढें ).
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