Friday, 6 March 2015

कुंभ की सच्चाई !
धर्म की किताबों में कुंभ का बड़ा माहात्म्य बताया गया है.क्या यह किताबें सभी लोग देखते हैं पढते हैं ?नहीं अधिकांश को पढाया जाता है या सुनाया जाता है- कि देखो ,धर्म के पुराने ग्रन्थों में कुंभ मेले की कितनी बड़ी महिमा बताई गई है.अमुक ग्रन्थ में यह लिखा है,अमुक संत ने यह कहा है,यह किया था,अमुक राजा ने इतना दान दिया था.अमुक व्यक्ति को सभी मसीबतों से छुटकारा केवल कुंभ स्नान के कारण ही हुआ था.ऐसे प्रचार तथा प्रवचन कुंभ स्नान को मनुष्य के हर रोग की महाऔषध करार देते हैं.बड़े बड़े दिलचस्प लुभावने दावे किए जाते हैं और कुंभ स्नान को सब प्रकार के पापों का एकमात्र विनाशक बताया जाता है.स्नान करने वाले व्यक्ति के आगे तथाकथित देवताओं को नमस्कार करते बताया गया है एवं हर मनोकामना को पूरी करने वाला अचूक नुस्खा करार दिया गया है.विभिन्न ग्रन्थों में प्रयाग एवं कुंभ की महानता का व्यापक वर्णन है.
निठ्ठले ब्रह्मणों तथा साधुओं (स्वाधुओं) को दान देना सत्कर्म क्यों बताया गया है? क्या दान के बिना पाप नहीं कटते?क्या पाप निवारण के बदले तथाकथित ईश्वर पैसे मांगता है?फिर तो यह ईश्वर घूसखोर है किसी भी भ्रष्ट मनुष्य की तरह रिश्वत मांगता है.स्वार्थों के लिए रचित अनेक श्लोकों में जानबूझ कर ऊंचे ऊंचे सुखों का लालच दिया गया है.फिर कुंभ की ओर कोई क्यों नहीं भागेगा?
ऐसे फल का परिणाम क्यों नहीं दिखता? जिस प्रकार बढाचढा कर प्रयाग की प्रशंसा,स्तुति की गई है उस के अनुसार इलाहबाद की सड़कें सोने की,गलियां चांदी की और हर नागरिक बिना किसी परेशानी के टाटा बिरला अम्बानी अदानी जैसे समृद्ध की श्रेणी में होना चाहिए.क्या शानदार महिमा है :-
अन्यक्षेत्रे कृतं पापं पुण्यक्षेत्रे विनश्यति
पुण्यक्षेत्रे कृतं पापं प्रयागे तीर्थनायके.

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