धार्मिक अन्धविश्वास ;
आर्थिक सम्पनता के हेतु मूर्खता एवं पाखण्ड !
रूपया-पैसा, धन-दौलत प्रत्येक मनुष्य की अवश्यकता है। मनुष्य दिन से लेकर रात तक लक्ष्मी को पाने की मंशा लिए हुए कार्य करता है। मां लक्ष्मी धन-वैभव व ऐश्वर्य की देवी हैं। उनका पूजन करने से कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती।
आर्थिक सम्पनता के हेतु मूर्खता एवं पाखण्ड !
रूपया-पैसा, धन-दौलत प्रत्येक मनुष्य की अवश्यकता है। मनुष्य दिन से लेकर रात तक लक्ष्मी को पाने की मंशा लिए हुए कार्य करता है। मां लक्ष्मी धन-वैभव व ऐश्वर्य की देवी हैं। उनका पूजन करने से कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती।
पूजन: प्रदोषकाल के समय स्नान कर घर की पश्चिम दिशा में एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर केसर मिले चन्दन से अष्टदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रखें। कलश के पास हल्दी से कमल बनाकर उस पर माता लक्ष्मी की मूर्ति प्रतिष्ठित करें। मिट्टी का हाथी बाजार से लाकर या घर में बना कर उसे स्वर्णाभूषणों से सजाएं। नया खरीदा सोना हाथी पर रखने से पूजा का विशेष लाभ मिलता है। माता लक्ष्मी की मूर्ति के सामने श्रीयंत्र भी रखें। कमल के फूल से पूजन करें। इसके अलावा सोने-चांदी के सिक्के, मिठाई, फल भी रखें। इसके बाद माता लक्ष्मी के आठ रूपों की निम्न मंत्रों के साथ कुंकुम, अक्षत और फूल चढ़ाते हुए पूजा करें।
ॐ पहिनी पक्षनेत्री पक्षमना लक्ष्मी दाहिनी वाच्छा
भूत-प्रेत सर्वशत्रु हारिणी दर्जन मोहिनी रिद्धि सिद्धि कुरु-कुरु-स्वाहा।
भूत-प्रेत सर्वशत्रु हारिणी दर्जन मोहिनी रिद्धि सिद्धि कुरु-कुरु-स्वाहा।
No comments:
Post a Comment