Tuesday, 10 May 2016

चिंता और चिंतन का विषय !
बंगलादेश में इस्लामी आतंकवादियों के आक्रमणों का शिकार होने वालों की सूची लगातार बढ़ती ही जा रही है तथा धर्म निरपेक्ष ब्लॉगरों, शिक्षाविदों, समलैंगिक अधिकारों के कार्यकत्र्ताओं के साथ-साथ धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्य, शिया, सूफी और अहमदिया मुसलमानों, ईसाइयों और हिन्दुओं की हत्या की जा रही है। 

Thursday, 5 May 2016

WE LIVE IN RIDICULOUS TIMES !
 Even as the high-decibel criticism of students from Jawaharlal Nehru University and Hyderabad University continues unabated, the riverside celebration of “Hindu-India” curated by the self-anointed Sri Sri has been forgotten. It has dissolved into the polluted air that hangs over the Yamuna. This so-called guru initially proclaimed that he would pay no fine or charge towards the environmental restoration. There was of course no question of his being accused of being anti-national or harming the flood-plains of a river. In fact, he was applauded. The certification came from none other than the prime minister himself.

The defence of the event, violent in ecological terms, extravagant in financial and social terms and shockingly wasteful in terms of time, energy and sheer man-hours, has come not in terms of a reasoned explanation but in low and mean personal accusations levelled against environmental activists, finger-pointing towards the excesses by other religious groups and the reduction of every criticism into the pettiest forms of party politics. Serious discourse is, of course, lost.

Wednesday, 4 May 2016

राजस्थान के मुख्यमंत्री के अस्थायी  हेलिपैड के लिए  लाखों लीटर पानी बर्बाद  !
 राजस्थान के 1.21 लाख से अधिक गांवों व ढाणियों में से 29,000 से अधिक गांवों व ढाणियों में पेयजल का संकट है वहीं 22,254 ढाणियों व गांवों का पानी प्रदूषित हो जाने के कारण पीने के अयोग्य हो चुका है तथा राज्य की एक चौथाई जनता विषैला पानी पीने के लिए मजबूर है। 
 
बाड़मेर जिला इसका सर्वाधिक शिकार है जहां 9963 गांव और ढाणियां प्रदूषित पानी की समस्या से जूझ रही हैं जबकि जोधपुर जिले में 4470, नागौर में 1162,भरतपुर में 700, जयपुर में 668, जालौर में 651, टोंक में 531, जैसलमेर में 392, चुरू में 382,अलवर में 361, राजसमंद में 355, डोंगरपुर में 310 गांवों और ढाणियों के लोग प्रदूषित पानी पी रहे हैं।
 
कुल 22,254 गांव-ढाणियों में से 7056 गांव-ढाणियों के पानी में फ्लोराइड, 13,814 गांव-ढाणियों में सैलीनिटी, 1370 गांव-ढाणियों में नाइट्रेट और 14 गांव-ढाणियों के पानी में लौह प्रदूषण पाया गया है। जयपुर के निकट जमडोली स्थित सरकारी स्पैशल होम में गत दिनों दूषित भोजन और पानी के परिणामस्वरूप ही 7 बच्चों सहित 12 लोगों की मृत्यु हो गई।
 
 लोग तो सूखे और प्रदूषित पानी की समस्या से जूझ रहे हैं परन्तु दूसरी ओर हमारे राजनेताओं के लिए पानी निर्ममता से बहाया जा रहा है। इसका नवीनतम उदाहरण पुष्कर में मिला जब राज्य की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे 3 मई को वहां एक रोप-वे का लोकार्पण करने पहुंचीं।
 
समारोह स्थल से मात्र अढ़ाई किलोमीटर दूर स्थायी हैलीपैड होने के बावजूद इसके नजदीक एक अस्थायी हैलीपैड बनवाया गया जिस पर छिड़काव के लिए लगभग 7 लाख लीटर पानी बर्बाद किया गया। 

Monday, 2 May 2016

व्यंग्य :-
भ्रमणिश्रावित्र (मोबाइल ) तुष्टिकरण हेतु देव भाषा में दिव्य आराधना !
यदा यदाही मोबाइलस्य
ग्लानिर्भवति सिग्नलः
'आउट ऑफ रीच' सूचनेन
त्वरित जागृत संशयाः ।
विच्छेदितं संपर्का: कलहं मात्र भविष्यति।
तस्मात 'चार्जिंग' एवं 'रिचार्जिंग' कुर्वंतु तव सत्वरं।
मनसोक्तम् 'चॅटिंगं'।
हास्यविनोदेन 'टेक्स्टिंगं'।
सत्वर सत्वर 'फाॅरवर्डिंगं'।
अखंडितं सेवाः प्रार्थयामि
'टच स्क्रीनं' नमस्तुभ्यं अंगुलीस्पर्शं क्षमस्वमे।
प्रसन्नाय इष्टमित्राणां अहोरात्रं मेसेजम् करिष्ये॥
इति श्री 'मोबाईल' स्तोत्रम् संपूर्णम् ।
ॐ शांति शांति शांति: ।।
॥शुभम् भवतु॥
रोज सुबह शाम इसका ३ बार जाप करें तो इंटरनेट की सर्विस अखंड बनी रहती है और आपका मोबाईल सदा निरोग अवस्था में रहता है। और हाँ भाइयो/ बहनों... संस्कृत का फ्युचर ब्राइट है.... थोड़ी बहुत सीख लोगे तो कृपा आएगी!!
[आभार:अज्ञात तथा मानव संसाधन मंत्री ).

Saturday, 23 April 2016

अरे भक्तो, सरस्वती को तो माफ़ करो !
लुप्त सरस्वती नदी को पिछले दो सौ सालों में न जाने कितने वैज्ञानिक, भूगोलशास्त्री-भूगर्भशास्त्री खोज करते-करते इस दुनिया से विदा ले चुके हैं या कहें कि यह दुनिया उन्हें विदा दे चुकी है। फिर भी हमारी हिम्मत है कि नहीं टूटी है। अटलजी के जमाने में भी एक बार सरस्वती की खोज हुई थी। अब मोदीजी के जमाने में भी हो रही है।
उधर यह लग रहा है कि सरस्वती नदी बहुत अड़ियल है, वह खोजने वाले लोगों और सरकारों को विलुप्त करके स्वयं भी लुप्त रहती है। ऐसा लगता है कि गंगा-जमुना की आज की हालत देखते हुए सरस्वती को विलुप्त रहने में ही अपनी बुद्धिमानी नजर आती है। और साथ ही उसे खोजने वालों को लुप्त करना भी। वह नदी है और ऊपर से लुप्त भी, इसलिए उसका कुछ बिगाड़ा नहीं जा सकता, वरना तो उसे गंगा-यमुनावाली हालत में ला कर अच्छा सबक सिखाया ही जा सकता था।
वैसे मैं हूं क्या, सवा सौ करोड़ भारतीयों में महज एक भारतीय। मुझे तो आजकल यह भी लगता है कि मैं राष्ट्रभक्तों की श्रेणी में भी हूं या नहीं क्योंकि मुझसे गलती यह हुई है कि जब राष्ट्रभक्ति का सार्टिफिकेट मुफ्त मिल सकता था, लेना जरूरी नहीं समझा और आजकल जो बांटने वाले हैं, उनसे मांगने की हिम्मत नहीं पड़ती। लोग डरा रहे हैं कि अगर आज तो गांधी जी और गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर भी होते तो उन्हें देशद्रोही बता दिया जाता, तो तू है किस खेत की मूली! अव्वल तो वे तुझे सर्टिफिकेट देंगे नहीं और तेरी बढ़ती उम्र का थोड़ा लिहाज कर भी लिया तो मना करेंगे नहीं, देंगे भी नहीं। वे तुझे उसी तरह लटका कर रखेंगे, जैसे हर सरकार में सीबीआई मुलायम सिंह यादव और मायावती जी को लटकाए रखती है। हां तो खैर बात नदी सरस्वती की हो रही थी। मेरी मान्यता है कि वह अब तो मिलने से रही।[आभार माननीय विष्णु नागर जी के प्रति)

Friday, 22 April 2016

तृप्ति देसाई के नेतृत्व में मंदिर प्रवेश का लोलीपोप !
मंदिर या मस्जिद (या दरगाह) में प्रवेश मिलने के बाद क्या होगा? वहाँ जाकर वे क्या करेंगी? पूजा करेंगी, नमाज़ पढ़ेंगी! ये काम तो वे हज़ारों सालों से करती आ रही हैं। कहीं मंदिर के अंदर, कहीं बाहर। जहाँ भी उनके प्रवेश पर प्रतिबंध है, वहाँ प्रवेश मिलने के बाद भी यही काम होगा। तो ऐसा आंदोलन किस काम का जो हमें संघर्ष की परिधि में घुमाकर वापस उसी बिंदू पर लाकर खड़ा कर दे, जहाँ से चलने का मक़सद आगे जाना था। तृप्ति देसाई महिलाओं को विरोध करना सिखा रही हैं, जागरूक होना नहीं। अब महिलाएँ भगवान की पूजा करेंगी और…और आगे कुछ नहीं। क्योंकि भक्ति से भगवान ही मिलते हैं, और उनके आगे, कुछ नहीं!
लेकिन हमें इसके लिए मंदिर की आवश्यकता क्यों हो। होना तो ये चाहिए था कि तृप्ति देसाई किसी मंदिर-दरगाह में महिलाओं के प्रवेश पर लगे सदियों पुराने प्रतिबंधों की जगह मंदिर-मस्जिदों के ही ख़िलाफ़ आंदोलन करतीं। महिलाओं को एक कर ये ऐलान कर देतीं, कि जिस धार्मिक स्थल में उनका प्रवेश वर्जित है, वे उस धार्मिक स्थल का ही बहिष्कार करती हैं। अगर मंदिर को हमारी ज़रूरत नहीं, तो हमें भी उसकी कोई ज़रूरत नहीं। 21वीं सदी में 18वीं सदी का आंदोलन नहीं चलेगा! हमें जश्न और मातम में फ़र्क़ करना आना चाहिए।
MISLEADING CELEBRITY ENDORSEMENTS  !
Though common sense requires buyers to take reasonable care and do due diligence before buying a product or a service, they often act irrationally, swayed by celebrities they adore. Surveys have established that film stars and sports icons influence buying behaviour and the advertisement industry thrives on their star appeal. They need to be held accountable if they submit to greed, disregard societal responsibility and do something wrong, or consumers find a mismatch between the quality promised and delivered. Instances of material considerations prevailing over social obligations are numerous. In 2002 Shah Rukh Khan, Hrithik Roshan and Sachin Tendulkar endorsed a brokerage firm, Home Trade, which swindled 25 co-operative banks of Rs 600 crore. Amitabh Bachchan, Preity Zinta and Madhuri Dixit have faced consumers’ ire for proclaiming Maggi’s nutritional benefits. Australian pacer Brett Lee has lent his name to a company of the Pearls group which has duped millions of investors. More recently, skipper Dhoni was forced to quit as Amrapali brand ambassador after homebuyers complained of delay in flat possession.