राजस्थान के मुख्यमंत्री के अस्थायी हेलिपैड के लिए लाखों लीटर पानी बर्बाद !
राजस्थान के 1.21 लाख से अधिक गांवों व ढाणियों में से 29,000 से अधिक गांवों व ढाणियों में पेयजल का संकट है वहीं 22,254 ढाणियों व गांवों का पानी प्रदूषित हो जाने के कारण पीने के अयोग्य हो चुका है तथा राज्य की एक चौथाई जनता विषैला पानी पीने के लिए मजबूर है।
बाड़मेर जिला इसका सर्वाधिक शिकार है जहां 9963 गांव और ढाणियां प्रदूषित पानी की समस्या से जूझ रही हैं जबकि जोधपुर जिले में 4470, नागौर में 1162,भरतपुर में 700, जयपुर में 668, जालौर में 651, टोंक में 531, जैसलमेर में 392, चुरू में 382,अलवर में 361, राजसमंद में 355, डोंगरपुर में 310 गांवों और ढाणियों के लोग प्रदूषित पानी पी रहे हैं।
कुल 22,254 गांव-ढाणियों में से 7056 गांव-ढाणियों के पानी में फ्लोराइड, 13,814 गांव-ढाणियों में सैलीनिटी, 1370 गांव-ढाणियों में नाइट्रेट और 14 गांव-ढाणियों के पानी में लौह प्रदूषण पाया गया है। जयपुर के निकट जमडोली स्थित सरकारी स्पैशल होम में गत दिनों दूषित भोजन और पानी के परिणामस्वरूप ही 7 बच्चों सहित 12 लोगों की मृत्यु हो गई।
लोग तो सूखे और प्रदूषित पानी की समस्या से जूझ रहे हैं परन्तु दूसरी ओर हमारे राजनेताओं के लिए पानी निर्ममता से बहाया जा रहा है। इसका नवीनतम उदाहरण पुष्कर में मिला जब राज्य की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे 3 मई को वहां एक रोप-वे का लोकार्पण करने पहुंचीं।
समारोह स्थल से मात्र अढ़ाई किलोमीटर दूर स्थायी हैलीपैड होने के बावजूद इसके नजदीक एक अस्थायी हैलीपैड बनवाया गया जिस पर छिड़काव के लिए लगभग 7 लाख लीटर पानी बर्बाद किया गया।
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